पटना (बीरेंद्र कुमार झा): बिहार में जेडीयू और आरजेडी गठबंधन को अस्तित्व में आने के दो महीने के अंदर नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के दो मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। पहले कार्तिक सिंह ने और अब सुधाकर सिंह ने। अपहरण के एक अपराध के आरोपी के रूप में कार्तिक सिंह का बिहार में कानून मंत्री बनकर रहने से नीतीश कुमार की काफी किरकिरी हो रही थी। लेकिन आरजेडी कोटे से मंत्री होने के कारण नीतीश कुमार को अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखना एक मजबूरी थी।
नीतीश ने बदला था कार्तिक सिंह का विभाग
ऐसे में एक दांव चलते हुए नीतीश कुमार ने उनका विभाग बदल दिया जिससे तंग आकर कार्तिक सिंह ने नीतीश कुमार मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया। यानि नीतीश कुमार का यह दांव निशाने पर ठीक बैठा। लेकिन सुधाकर सिंह के मामले में क्या! यहां तो इस्तीफा देकर भी सुधाकर सिंह नीतीश कुमार की किरकिरी ही कर रहे हैं। सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद हर राजनीतिक दल इसके अलग अलग मायने निकलने में लग गया है। बीजेपी को लगता है कि तेजस्वी यादव को बिहार के मुख्य्मंत्री बनाने का मुद्दा ज्यादा गरमाया तो जेडीयू और आरजेडी के बीच तनाव इस कदर बढ़ जायेगा कि मंत्रियों के इस्तीफा से शुरू हुआ यह खेल दोनो घटक दलों की बिखराव पर समाप्त होगा।
जेडीयू नेता सुधाकर सिंह के इस्तीफे पर खामोश
जेडीयू नेता सुधाकर सिंह के इस्तीफा वाले मामले पर ज्यादा मुखर नहीं है और अंदर ही अंदर अपनी योजना बना रह है। अंदर -अंदर योजना तो आरजेडी भी बना रहा है,लेकिन इसे लगता है कि ऐसे मामले जल्दी ही समाप्त हो जायेंगे और गठबंधन की सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। खैर बिहार की राजनीति में हर राजनीतिक दल अपने लाभ को देखते हुए समय समय पर तरह तरह की चालें चलते रहते हैं जिसकी परिणति कभी नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में सहयोगी मंत्री बीजेपी से रहते हैं और कभी आरजेडी से।
आरजेडी जेडीयू गठबंधन में हो सकता है बिखराव
सुधाकर सिंह का इस्तीफा नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ाकर बिहार में तेजस्वी यादव को जल्दी से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने में मददगार होगा या आरजेडी जेडीयू गठबंधन के विखंडन कराएगा या फिर खुद की ही किरकिरी कराने वाला कदम साबित होगा ? वैसे तो बिहार की राजनीति में कब क्या हो जायेगा कहना मुश्किल है,लेकिन बिहार की वर्तमान परिस्थिति और सुधाकर सिंह की पृष्ठभूमि का अध्ययन कई बातों का संकेत जरूर दे देगा।
दो महीने पूर्व हुआ था दोनों दलों का गठबंधन
बीजेपी से गठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया तो इनके मन में कुछ हसरत रही होगी और ऐसी ही कुछ हसरत तेजस्वी यादव के मन में भी रही होगी जिसने उन्हें पूर्व में आरजेडी और जेडीयू गठबंधन के दौरान नीतीश कुमार द्वारा बड़ा भ्रष्टाचारी का सर्टिफिकेट को नजरंदाज करते हुए दुबारा गठबंधन करने के लिए प्रेरित किया। राजनीति में सभी बातें खुलकर नहीं की जाती हैं,यहां तरह तरह की चालें चलकर अपने पक्ष में हवा बनायी जाता है और हवा के इस दवाब से ही गठबंधन के घटक दल या विपक्ष को अपनी तरफ झुकने के लिए मजबूर किया जाता है।
नीतीश कर रहे हैं विपक्ष को एकजुट करने में
हाल के दिनों में नीतीश कुमार के क्रियाकलापों को देखें तो वे दिल्ली जाकर विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने का इस तरह से प्रयास कर रहे हैं जैसे 2024 के चुनाव मैं अवसर पाकर वे खुद को विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार का चेहरा बना सकें। हालांकि अपने इस कदम के बारे में वे खुद इसे सिर्फ बीजेपी के विरुद्ध विपक्षी एकता का एक प्रयास भर ही कहते हैं,लेकिन अपने सहयोगियों के द्वारा प्रधानमंत्री का चेहरा बताए जाने पर चुप रहकर वे विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री के उम्मीदवार का चेहरा बनाने के लिए हवा भी बना रहे हैं।
आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष ने की तेजस्वी को सीएम बनाने की मांग
अब अगर तेजस्वी यादव की बात की जाय तो आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह द्वारा नीतीश कुमार को 2023 में तेजस्वी यादव की बिहार के सीएम की कुर्सी सौंप कर केंद्र में प्रधानमंत्री बनने की तैयारी करने चाहिए जैसा बयान देने के बाद महागठबंधन में आए तनाव को कम करने के लिए तेजस्वी यादव ने यह ज़रूर कहा की अब गठबंधन और गठबंधन के तहत उनके मुख्यमंत्री बनने से जुड़ी बातें सिर्फ वे ही करेंगे। लेकिन इसके बाद भी आरजेडी के कई नेता ऐसे बयान दे रहे हैं और तेजस्वी उसपर करवाई करने की जगह मौन साधे हुए हैं। इधर तेजस्वी यादव के पिता और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव बीमार होने के बावजूद नीतीश कुमार को लेकर सोनिया गांधी से भेंट करने जाते हैं तो यह भी तेजस्वी यादव को जल्दी से जल्दी बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की दिशा में हवा बहाने का ही प्रयास है।
सुधाकर ने खुद को कहा था चोरों का सरदार
रही बात सुधाकर सिंह की तो भले ही उन्होंने कृषि विभाग में चल रहे चोरी और घोटाला को लेकर खुद को चोरों का सरदार वाली बात कहकर नीतीश कुमार की भी दागदार करने का भरपूर प्रयास किया है,लेकिन खुद वे सरकार या गठबंधन को हिला देने की स्थित में नहीं दिखते। बेसक वे आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का बेटा हैं,लेकिन आरजेडी में लालू परिवार के अलावा किसी और की नहीं चलती,अब तो इस परिवार में भी महत्वपूर्ण मामले में सिर्फ तेजस्वी यादव की ही चलती है ऐसे में पिता के प्रदेश अध्यक्ष होने से सुधाकर सिंह कुछ भी बड़ा नही कर सकते हैं। और इनके खुद की बात की जाय तो आरजेडी से बाहर निकलकर जब पूर्व में इन्होंने अपनी ताकत दिखाने का प्रयास किया था तो ये बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर भी जीत नहीं पाए थे,बल्कि तीसरे स्थान पर रहे थे
ऐसे में यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं कि इनका इस्तीफा वाला प्रकरण नीतीश कुमार के मुख्यमंत्रित्व वाली सरकार पर कोई बड़ा प्रभाव डाल सकता है, हां अगर अंदर ही अंदर ही अंदर इसमें तेजस्वी यादव का साथ हो ताकि यह प्रकरण नीतीश कुमार के ऊपर तेजस्वी के लिए सीएम की कुर्सी खाली करने के लिए दबाव बना सके तो बात और है। तब देखना यह दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार अगली चाल किस रूप में चलते हैं।