सोशल मीडिया पर हर दिन नए-नए दावे वायरल होते हैं, जिनमें से कई भ्रम फैलाने वाले भी होते हैं।हाल ही में एक ऐसा ही दावा वायरल हो रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन सिर्फ 30 दिनों में मस्तिष्क की कोशिकाओं को इस हद तक नुकसान पहुंचाता है कि वे माइक्रोस्कोप के नीचे साफ दिखाई देने लगती हैं।आइए जानते हैं, इस दावे में कितनी सच्चाई है
वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि मोबाइल का रेडिएशन महज 30 दिनों में दिमाग की कोशिकाओं को इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर देता है कि नुकसान माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है। इस दावे को कई लोग शेयर भी कर रहे हैं जिससे यह और तेजी से फैल रहा है।
अब तक हुए वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन हमारे शरीर पर सीमित प्रभाव डालता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिका की नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (NCI) जैसी प्रमुख संस्थाएं यह साफ कर चुकी हैं कि मोबाइल से निकलने वाली तरंगे नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन होती हैं जो डीएनए को सीधा नुकसान नहीं पहुंचाती।
अब तक हुए वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, मोबाइल फोन से निकलने वाला रेडिएशन हमारे शरीर पर सीमित प्रभाव डालता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिका की नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (NCI) जैसी प्रमुख संस्थाएं यह साफ कर चुकी हैं कि मोबाइल से निकलने वाली तरंगे नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन होती हैं जो डीएनए को सीधा नुकसान नहीं पहुंचाती।
कुछ रिसर्च में यह जरूर पाया गया है कि अगर लंबे समय तक उच्च स्तर की रेडिएशन के संपर्क में रहा जाए तो न्यूरल सेल्स पर असर हो सकता है लेकिन ये परिणाम सिर्फ प्रयोगशाला के नियंत्रित वातावरण में देखे गए हैं।इंसानों पर इसका कोई ठोस और प्रत्यक्ष प्रमाण आज तक नहीं मिला है।
वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि मोबाइल का रेडिएशन महज 30 दिनों में दिमाग की कोशिकाओं को इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर देता है कि नुकसान माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है। इस दावे को कई लोग शेयर भी कर रहे हैं जिससे यह और तेजी से फैल रहा है।