न्यूज डेस्क
भारतीय महिला मुक्केबाजों ने रविवार को केडी जाधव स्टेडियम में इतिहास रच दिया है। निकहत जरीन ने जहां लगातार दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया तो टोक्यो ओलंपिक की पदक विजेता लवलीना पहली बार विश्व विजेता बनीं। भारत ने इससे पहले 2006 में दिल्ली में ही चार स्वर्ण पदक जीते थे, लेकिन तब महिला मुक्केबाजी ओलंपिक खेल नहीं था।
महिला मुक्केबाजी को 2012 के लंदन ओलंपिक में शामिल किया गया था। तब से पहली बार भारत ने विश्व चैंपियनशिप में चार स्वर्ण जीते हैं। निकहत ने 50 किलोग्राम भारवर्ग में आस्ट्रेलिया की कैटलिन पार्कर को जजों की समीक्षा में 5—2 से पराजित किया। जरीन इस बार नए भारवर्ग में उतरीं,पिछली बार उन्होंने इस्तांबुल में 52 भारवर्ग में खिताब जीता था। पहली बार उन्होंने छह बाउट खेली हैं।
निकहत के होंठ से निकला खून
निकहत जरीन के पक्ष में जजों ने सर्वसम्मति से फैसला 5—0 से जरूर लिया,लेकिन यह सांसों को थामने वाला मुकाबला था। निकहत के होंठ से खून निकल रहा था, तीसरे दौर में रेफरी ने एनगुएन का जोरदार पंच पड़ने पर उनके खिलाफ निगती भी गिनीं। यह पूरे टूर्नामेंट में किसी भी भारतीय मुक्केबाज के खिलाफ पहला काउंट था। पहला दौर 0—5 से हारने के के बाद एनगुएन हार मानने को तैयार नहीं थी। दूसरे दौर में वह अपने बांए हाथ से जोरदार प्रहार कर निकहत की लगातार कड़ी परीक्षा ले रही थीं, लेकिन तेलंगाना के निजामाबाद की यह मुक्केबाज एक जख्मी योद्धा की तरह एनगुएन के हर पंच का जवाब अपने जोरदार मुक्कों से देती रहीं। उन्होंने रेफरी को एनगुएन के खिलाफ काउंट देने पर मजबूर किया
पार्कर ने दी लवलीना को कड़ी टक्कर
लवलीना ने मुकाबलें अच्छी शुरुआत की। उन्होंने पहले दौर में पार्कर पर सीधे पंच लगाए। हालांकि पार्कर ने भी जवाब दिया, लेकिन लवलीना के पक्ष में यह दौर 3—2 से गया। अगले दौर में पार्कर ने जबरदस्त वापसी की और 1—4 से इस दौर में मुकाबले बेहद कड़ा हुआ। दोनों ही मुक्केबाजों ने एक दूसरे पर मुक्के बरसाए। नतीजतन मुकाबले को समीक्षा के लिए भेजा गया, जहां पर्यवेक्षक और सुपरवाइजर का फैसला लवलीना के पक्ष में गया।