न्यूज डेस्क
शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों का पावन त्योहार अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है लेकिन नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों के प्रतीक में कन्या पूजन का भी विधान है जो इस पर्व के महत्व को और भी बढ़ा देता है।
कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा धरती पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। नवरात्रि के पावन दिनों में नियम और निष्ठा के साथ मां आदिशक्ति के नौं स्वरूपों का पूजन करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। वहीं नवरात्रि के नौं दिनों के दौरान पड़ने वाली अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन को दुर्गा अष्टमी या फिर महाअष्टमी कहा जाता है। अष्टमी तिथि को मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी के पूजन का विधान है।
देवीभगवत पुराण में के अनुसार, 9 रूप और 10 महाविघाएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन महादेव के साथ अर्धांगिनी स्वरूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। महागौरी की कृपा मात्र से सभी संकट दूर हो जाते हैं और हर असंभव कार्य पूर्ण हो जाता है। कुछ घरों में महाअष्टमी तिथि पर ही कन्या पूजन हो जाता है लेकिन कुछ घरों में महानवमी तिथि को कन्य पूजन करते हैं।
नवरात्रि में अष्टमी तिथि के दिन पूजा करने से शादी-विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। साथ ही महागौरी की पूजा से दांपत्य जीवन सुखद बना रहता है और पारिवारिक कलह भी खत्म हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए देवी महागौरी की ही पूजा की थी।
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