अखंड सुहाग के लिए रखे जाने वाले करवा चौथ व्रत का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। यह पर्व देशभर के अधिकतर हिस्सों में मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं। करवा चौथ के दिन महिलाएं चांद निकलने तक व्रत रखती हैं और पति की लंबी आयु के लिए सोलह श्रृंगार कर चंद्रदेव और करवे की पूजा करती हैं। हर वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ मनाया जाता है। आइए जानते है इस साल करवा चौथ के व्रत के दिन, पूजा का मुहूर्त, पूजा विधि और भोग के बारे में…
Karwa Chauth 2023 Date
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि प्रारंभ: मंगलवार 31 अक्टूबर 2023, रात 09:30
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त: बुधवार 01 नवंबर 2023, रात 09:19
करवा चौथ व्रत का समय: बुधवार 01 नवंबर, सुबह 06:36 – रात 08:26 तक
करवा चौथ पूजा का समय: 01 नवंबर शाम 05:44 – रात 07:02 तक
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय: 01 नवंबर, रात 08:26 पर.
करवा चौथ पूजा विधि
करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जला व्रत रखें। पूजा की सामग्री एकत्र कर लें। मिट्टी से गौरी और गणेश बनाएं। माता गौरी को सुहाग की चीजें चूड़ी, बिंदी, चुनरी, सिंदूर अर्पित करें। करवा में गेहूं और उसके ढक्कन में चीनी का बूरा रखें। रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं। शाम में गौरी और गणेश की पूजा करें और कथा सुनें। रात्रि में चंद्रमा को देख पति से आशीर्वाद लें और व्रत का पारण करें।
करवा चौथ का महत्व और इतिहास
धार्मिक मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने के कारण माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाया था। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सुहाग के लिए रखती हैं।
करवा चौथ में मेहंदी का महत्व
महिलाओं के सोलह श्रृंगार में बिंदी, चूड़ी, सिंदूर, आलता जैसी और दूसरी चीजों के साथ मेहंदी भी शामिल है। करवा चौथ में मेहंदी लगाने का बहुत ही खास महत्व होता है। तो आज हम यहां मेहंदी के कुछ ऐसे डिजाइन्स लेकर आए हैं जिन्हें आप आसानी से खुद ही लगा सकती हैं। इन डिजाइन्स से आपकों हाथों की सुंदरता में चार चांद लग जाएंगे।