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नए संसद में गूंजा नारी शक्ति बंदन अधिनियम पास कराने की गूंज ,पीएम ने कहा इस बिल के लिए सरकार संकल्पित 

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न्यूज़ डेस्क 

आज नए संसद भवन में संसदीय कार्य की शुरुआत हो गई। पुराने भवन के सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री ने संबोधन किया और देश की आजादी से लेकर अब तक के सफर पर रौशनी भी डाली। कई और मुद्दों का भी उन्होंने उल्लेख किया। फिर प्रधानमंत्री ने कहा कि कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी गई है। आज 19 सितंबर की यह तारीख इसीलिए इतिहास में अमृत्व को प्राप्त करने जा रही है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, नेतृत्व कर रही हैं तो बहुत आवश्यक है कि नीति निर्धारण में हमारी माताएं-बहनें, हमारी नारी शक्ति अधिकतम योगदान दें। योगदान ही नहीं, महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएं।            
     पीएम ने कहा आज इस ऐतिहासिक मौके पर नए संसद भवन में सदन की पहली कार्यवाही के अवसर पर देश के इस नए बदलाव का आह्वान किया है। देश की नारी शक्ति के लिए सभी सांसद मिलकर नए प्रवेश द्वार खोल दें इसका आरंभ हम इस महत्वपूर्ण निर्णय से करने जा रहे हैं। महिलाओं के नेतृत्व में विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इस उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम इस माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं सभी माताओं, बहनों, बेटियों को आश्वस्त करता हूं कि हम इस विधेयक को अमल में लाने के लिए संकल्पित हैं।’                   
  पीएम मोदी ने कहा हर देश की विकास यात्रा में ऐसे मील के पत्थर आते हैं, जब वह गर्व से कहता है कि आज के दिन हम सभी ने नया इतिहास रचा है। ऐसे कुछ पल जीवन में प्राप्त होते हैं। नए सदन के प्रथम सत्र के प्रथम भाषण में मैं विश्वास और गर्व से कह रहा हूं कि आज का यह पल और आज का यह दिवस संवत्सरी और गणेश चतुर्थी का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए इतिहास में नाम दर्ज करने वाला समय है। हम सभी के लिए यह पल गर्व का है। अनेक वर्षों से महिला आरक्षण के संबंध में बहुत चर्चाएं हुई हैं। बहुत वाद-विवाद हुए हैं। महिला आरक्षण को लेकर संसद में पहले भी कुछ प्रयास हुए हैं। 1996 में इससे जुड़ा विधेयक पहली बार पेश हुआ। अटलजी के कार्यकाल में कई बार महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन उसे पार कराने के लिए आंकड़े नहीं जुटा पाए और उस कारण से वह सपना अधूरा रह गया। महिलाओं को अधिकार देने, उन्हें शक्ति देने जैसे पवित्र कामों के लिए शायद ईश्वर ने मुझे चुना है। एक बार फिर हमारी सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है।’
                         मोदी ने कहा कि स्पेस हो या स्पोर्ट्स हो, दुनिया महिलाओं की ताकत देख रही है। जी20 में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की चर्चा हुई। दुनिया इसका स्वागत कर रही है, स्वीकार कर रही है। दुनिया समझ रही है कि सिर्फ महिलाओं की विकास की बात पर्याप्त नहीं है। हमें मानव जाति की विकास यात्रा में नए पड़ावों को अगर प्राप्त करना है, राष्ट्र की विकास यात्रा में नई मंजिलों को पाना है तो महिलाओं के नेतृत्व में विकास को बल दें। जी20 में भारत की बात को विश्व ने स्वीकार किया है। महिला सशक्तीकरण की हमारी हर योजना ने महिलाओं को नेतृत्व देने की दिशा में बहुत सार्थक कदम उठाए हैं। आर्थिक समावेश को ध्यान में रखते हुए जनधन योजना शुरू की। 50 करोड़ में अधिकतर महिलाएं खाताधारक बनीं। मुद्रा योजना में 10 लाख रुपये का कर्ज दिया जाता है, उसका सबसे ज्यादा लाभ महिलाओं ने उठाया। प्रधानमंत्री आवास योजना में पक्के घरों की ज्यादातर रजिस्ट्री महिलाओं के नाम हुई।’
                     पीएम ने कहा कि अभी चुनाव तो दूर हैं और जितना समय हमारे पास बचा है संसद के इस मौजूदा कार्यकाल में। मैं पक्का मानता हूं कि यहां जो व्यवहार करेगा, यह निर्धारित करेगा कि कौन यहां (सत्ता पक्ष) बैठेगा, कौन वहां (विपक्ष) बैठेगा। जो वहां बैठे रहना चाहता है, उसका व्यवहार क्या होगा, इसका फर्क आने वाले समय में देश देखेगा।’
                     प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा भाव जैसा होता है, वैसे ही कुछ घटित होता है। यद् भावं तद भवति…! मुझे विश्वास है कि भावना भीतर जो होगी, हम भी वैसे ही भीतर बनते जाएंगे। भवन बदला है, भाव भी बदलना चाहिए, भावनाएं भी बदलनी चाहिए। संसद राष्ट्रसेवा का स्थान है। यह दलहित के लिए नहीं है। हमारे संविधान निर्माताओं ने इतनी पवित्र संस्था का निर्माण दलहित के लिए नहीं, देशहित के लिए किया है। नए भवन में हम सभी अपनी वाणी, विचार, आचार से संविधान की आत्मा के अनुसार काम करें। हमारा पूरा प्रयास रहेगा और मैं चाहूंगा कि सदन के नेता के नाते हम सभी सांसद आपकी आशा-अपेक्षा पर खरे उतरें और अनुशासन का पालन करें।’
                         प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि यह संसद नए रंग रूप के साथ प्रस्तुत है। सब कुछ नया है, लेकिन यहां पर कल और आज को जोड़ती हुई बहुत बड़ी विरासत का प्रतीक भी मौजूद है। वह नया नहीं है, पुराना है। वह आजादी की पहली किरण का स्वयं साक्षी रहा है, वह आज हमारे बीच उपस्थित है। यह हमारे समृद्ध इतिहास को जोड़ता है। जब हम नए संसद में प्रवेश कर रहे हैं, तब यहां आजादी की पहली किरण का साक्षी रहा पवित्र सेंगोल यहां मौजूद है। यह वही सेंगोल है, जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का स्पर्श हुआ था। यह पंडित नेहरू के हाथों में पूजा विधि करके आजादी के प्रारंभ पर इसे सौंपा गया था। तमिलनाडु की महान परंपरा का यह प्रतीक तो है ही, यह देश की एकता का भी प्रतीक है। जो पवित्र सेंगोल पंडित नेहरू के हाथों में शोभा देता था, आज हम सभी की प्रेरणा का कारण बन रहा है, इससे बड़ा गर्व क्या होगा।’
                        पीएम ने कहा कि गणेश चतुर्थी के साथ संवत्सरी का भी अवसर है। इसे क्षमावाणी का भी पर्व कहते हैं, जिसमें मिच्छामी दुक्कड़म भी कहते हैं। मन, कर्म, वचन से जाने-अनजाने में दुख पहुंचाया है तो उसकी क्षमायाचना का अवसर है। मेरी तरफ से भी पूरी विनम्रता के साथ और पूरे हृदय से सभी संसद सदस्यों और पूरे देशवासियों को मिच्छामी दुक्कड़म कहता हूं।’

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