अखिलेश अखिल
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की सजा पर जैसे ही आज सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाईं कांग्रेस के भीतर उल्लास दौर लगाया। देश भर में कांग्रेस दफ्तरों में गाजे बाजे के साथ हर्ष का माहौल बना हुआ है। इसके साथ ही विपक्षी गठबंधन के भीतर भी खुशियां मनाई जा रही है। अब राहुल गाँधी की सांसदी भी बहाल होगी और आगे चुनाव भी लड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि वे आज ही लोकसभा के स्पीकर के सामने अपनी बात रखेंगे ताकि राहुल गाँधी की सदस्यता जल्द बहाल हो सके। उनकी चाहत है कि सोमवार को राहुल गाँधी संसद में आएं।
उधर कांग्रेस के भीतर भी बैठके की जा रही है और आगे की रणनीति पर चर्चा चल रही है। कई लोग लोकसभा स्पीकर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। हालांकि अभी देखना होगा कि लोकसभा सपीकर आगे क्या कुछ निर्णय लेते हैं।
आजाद भारत में कई अवसर आये है जब अदालत के फैसले के बाद देश की राजनीति बदलती रही है। 1975 दौर भी सबको याद होगा जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गाँधी की सदस्यता को इस आधार पर रद्द कर दिया कि उन्होंने चुनाव में गलत तरीका का इस्तेमाल किया था। यह ाजदा भारत का ऐसा मामला था जिसके बाद देश की राजनीति ही बदल गई। इंदिरा गाँधी उस वक्त प्रधानमंत्री थी। कोर्ट के फैसके के बाद उन्होंने देश में आपातकाल लगा दिया। फिर जो हुआ सबको पता है। उसकी कहानी आज भी याद की जाती है और बीजेपी आज भी उस आपातकाल की चर्चा करती रहती है। निश्चित तौर पर वह आपातकाल आजद भारत पर एक कलंक ही था।
इसके बाद 1977 में चुनाव हुए। कई विपक्षी पार्टियां एक साथ आयी और जनता पार्टी का निर्माण किया और जब चुनाव हुए तो कांग्रेस की बड़ी हार हुई। कह सकते हैं कि कैसे एक अदालत के फैसले ने पुरे देश की राजनीति को हो बदल दिया।
अब कुछ इसी तरह के फैसले सुप्रीम कोर्ट से निकले हैं। यह फैसला राहुल गाँधी को लेकर है। राहुल गाँधी को मोदी सरनेम मामले में गुजरात की अदालत से दो साल की सजा मिली थी जिसमे उन्हें जेल भी जाना था और इस दो साल की सजा के बाद उनकी सांसदी भी खत्म हो गई थी। अगर राहुल को आज राहत नहीं मिलती तो उन्हें जेल तो जाना ही पड़ता इसके साथ ही उनकी आठ साल तक राजनीति भी गर्त में चली जाती। लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगाने का ऐलान किया इसके बाद ही देश की राजनीति 360 डिग्री तक घूम गई। आगे क्या कुछ होगा इसे देखना बाकी है लेकिन इतना तय है कि इससे बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी के सामने अब और चुनौती बढ़ेगी। संसद में भी अब राहुल अपनी बात रख सकेंगे। अविश्वास प्रस्ताव पर भी अपनी बात रख सकते हैं।
लेकिन आज कोर्ट ने जो कुछ भी कहा उसे भी जानना जरुरी है। सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी की “सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों होता है” वाली टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगा दी। उनकी दोषसिद्धि पर रोक के साथ, राहुल गांधी की सांसद के रूप में अयोग्यता भी अब स्थगित रहेगी।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि “भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत दंडनीय अपराध के लिए सजा अधिकतम दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों है। विद्वान ट्रायल जज ने अपने द्वारा पारित आदेश में अधिकतम दो साल की सजा सुनाई है। सिवाय इसके कि अवमानना की कार्यवाही में इस न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को चेतावनी देते हुए कहा गया है कि विद्वान ट्रायल जज द्वारा दो साल की अधिकतम सजा सुनाते समय कोई अन्य कारण नहीं बताया गया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह केवल दो साल की अधिकतम सजा के कारण है विद्वान न्यायाधीश द्वारा लगाया गया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के प्रावधान लागू हो गए। यदि सजा एक दिन कम होती, तो प्रावधान लागू नहीं होते। ”
विशेष रूप से जब अपराध गैर-समझौता योग्य, जमानती और संज्ञेय था, तो विद्वान ट्रायल न्यायाधीश से कम से कम यह अपेक्षा की जाती थी कि वह अधिकतम सजा देने के लिए कारण बताए।
हालांकि विद्वान अपीलीय अदालत और उच्च न्यायालय ने आवेदनों को खारिज करने में काफी पन्ने खर्च किए हैं, लेकिन इन पहलुओं पर विचार नहीं किया गया है।” साथ ही पीठ ने कहा कि राहुल गांधी के बयान “अच्छे स्वाद” में नहीं थे और कहा कि सार्वजनिक जीवन में एक व्यक्ति को सार्वजनिक भाषण देते समय अधिक सावधान रहना चाहिए। धारा 8(3) के व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए न केवल याचिकाकर्ता के अधिकार बल्कि निर्वाचन क्षेत्र में उसे निर्वाचित करने वाले मतदाताओं के अधिकार भी प्रभावित होते हैं और यह तथ्य भी कि ट्रायल कोर्ट द्वारा अधिकतम सज़ा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है। सजा पर पीठ ने कहा कि वह सजा पर रोक लगा रही है। पीठ ने अपील के लंबित होने पर विचार करते हुए मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया।
जस्टिस बीआर गवई , जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की तीन-न्यायाधीशों की पीठ गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ‘मोदी चोर’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से गुजरात हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती दी गई थी, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें लोक सभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने पिछले महीने 21 जुलाई को कांग्रेस नेता की याचिका पर नोटिस जारी किया था।