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क्या केंद्र सरकार ओबीसी आरक्षण पर गठित रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को लागू लड़ने जा रही है ?

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अखिलेश अखिल 

एक तरफ जहां बिहार में जारी जातिगत जनगणना के नतीजे अभी सामने नहीं आये हैं और सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सर्कार से लेकर कई लोगों  की आपत्तियों पर शीर्ष अदालत अभी विचार ही कर रही है ऐसे में एक बड़ी खबर ये आ रही है कि केंद्र सरकार रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की तैयारी में है। रोहिणी आयोग का गठन 2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी की अध्यक्षता में किया गया था। मकसद यह पता लगाना था कि ओबीसी को जो 27 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल रहा है क्या उनमे भी भेदभाव है। क्या सभी ओबीसी जातियों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है या फिर कुछ् जातीय ही ये लाभ उठा रही है।? बता दें कि अभी पिछले महीने ही रोहिणी आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौप दी है। यह रिपोर्ट एक हजार पैन की है जिसमे बहुत सी बातें कही गई है लेकिन अभी तक रिपोर्ट की बातों को उजागर नहीं किया गया है।                

      सूत्रों के हवाल से एक अंग्रेजी अखबार ने कहा है कि आयोग ने अपनी 1000 पन्नों की रिपोर्ट में कई ऐसी सिफारिशें की हैं जिनसे ओबीसी कोटे यानी उन्हें आरक्षण दिए जाने के पारंपरिक आधार बदल जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक आयोग ने ओबीसी जातियों की नई सूची भी दी है जिसमें देश भर की 2.633 जातियों को शामिल किया गया है।अखबार के मुताबिक आयोग ने विभिन्न समुदायों को मिलने वाले लाभों की मात्रा के आधार पर ओबीसी के वर्गीकरण की सिफारिश की है। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा कोटे में कुछ ‘अत्यंत पिछड़े समुदायों’ का नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों दोनों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व पाया गया।         
           बताया जाता है कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाले शैक्षणिक संस्थानों और केंद्र सरकार की भर्तियों में कोटे की जांच की है। इसके तहत आयोग ने पाया कि 983 ओबीसी जातियों को कोटे के तहत कुछ भी हासिल नहीं हुआ है, जबकि 994 को सिर्फ 2.68 फीसदी लाभ ही मिला है।
                  आयोग को गठित करने के पीछे एक कारण यह पता लगाना भी था कि कहीं ओबीसी की कुछ प्रभावशाली जातियां ही तो आरक्षण का अधिकतम लाभ नहीं ले रही हैं। वैसे आम धारणा है कि ओबीसी के लिए निर्धारित 27 फीसदी आरक्षण कभी भी पूरा नहीं किया गया और वर्चस्व वाली ओबीसी जातियों ने इसका भरपूर फायदा उठाया और इनमें से भी क्रीमी लेयर को सर्वाधिक लाभ मिला।
                      सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि आयोग ने ओबीसी जातियों की सूची का वर्तमान में मिलने वाले लाभों के आधार पर उप वर्गीकरण करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत जिन्हें कोई लाभ नहीं मिला है, उन्हें ओबीसी कोटे के कुल 27 फीसदी में से 10 फीसदी आरक्षण दिया जाए, 10 फीसदी उन जातियों को दिया जाए जिन्हें कुछ लाभ मिला है और बाकी 7 फीसदी उनके लिए रखा जाए जिन्होंने कोटे का अधिकतम लाभ उठाया है। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह की व्यवस्था से किसी भी समुदाय को कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा।
                  गौरतलब है कि मार्च 2023 में केंद्र सरकार ने एक लिखित उत्तर में संसद में दावा किया था कि रोहिणी आयोग के साथ 2011 की जनगणना का कोई भी आर्थिक-सामाजिक डेटा शेयर नहीं किया था। ध्यान रहे कि 2011 जनगणना के सामाजिक-आर्थिक डेटा को सार्वजनिक नहीं किया गया है। कयास हैं कि केंद्र सरकार 18 सितंबर से शुरु होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को पेश कर सकती है।
                     रोहिणी आयोग ने जो आंकड़े जमा किए हैं, संभावना है उनसे विभिन्न ओबीसी जातियों की स्थिति का अनुमान लगेगा और उनके सामने आने से चुनावी गणित पर असर हो सकता है, क्योंकि इनमें से कई समुदाय राजनीतिक और चुनावी तौर पर प्रभावशाली माने जाते हैं। वैसे अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बीजेपी रोहिणी आयोग की सिफारिशों को लागू करने की जल्दी में है या नहीं, क्योंकि इस रिपोर्ट के सामने आने के अप्रत्याशित नतीजे भी हो सकते हैं। इसके अलावा इस रिपोर्ट को लागू करने में कई किस्म को जोखिम भी हैं।
                  बता दें कि लोकसभा में 2022 में डीएमके सांसद ए के पी चिनराज ने एक सवाल में पूछा था कि क्या सरकार ने 2011 जनगणना के आंकड़े रोहिणी आयोग के साथ साझा किए हैं, जिस पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने स्पष्ट जवाब दिया था कि नहीं और जस्टिस जी रोहिणी आयोग की तरफ से ऐसी कोई मांग भी नहीं की गई थी। इस जवाब पर यूजीसी के पूर्व चेयरमैन और इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च प्रोफेसर सुखदेव थोराट ने कहा था कि, “शिक्षा, भूमि स्वामित्व, गरीबी जैसे सामाजिक-आर्थिक संकेतकों और इन जाति समूहों द्वारा सामना किए जाने वाले भेदभाव के स्तर पर भी एक अध्ययन होना चाहिए। इसके बिना ऐसा कोई भी काम संभव नहीं होगा।”

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