अखिलेश अखिल
पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। यहाँ 16 फरवरी को चुनाव है और सभी पार्टियां पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में खड़ी है। सबके अपने -अपने दावे भी हैं लेकिन जीत की गारंटी किसी के पास नहीं। सत्तारूढ़ बीजेपी को लग रहा है कि देर सवेर त्रिपुरा की जनता उसके पक्ष में आएगी लेकिन इसकी अभी कोई गारंटी नहीं। उधर वाम दलों को लग रहा है कि करीब तीन दशक तक त्रिपुरा में उसकी सरकार रही है। पिछली बार बीजेपी ने छल से वाम दल को कमजोर कर अपनी पैठ बना ली थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। उधर कांग्रेस भी पुरे जोश से मैदान में है। पहले वाम दलों के खिलाफ उसकी राजनीति होती थी लेकिन स्थिति को देखकर उसने वाम दल के साथ गठबंधन किया है और उसकी उम्मीदें भी बढ़ गई है। कांग्रेस वाले कहते फिर रहे कि सरकार गठबंधन की बनेगी। लेकिन यह सब इतना आसान दीखता नहीं।
त्रिपुरा में बीजेपी को पिछले चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल हुई थी। उसे 35 सीटें तब मिल गई थी। त्रिपुरा में बीजेपी की यह जीत सबको चौंका दिया था। वाम गढ़ कहलाने वाला त्रिपुरा कैसे अचानक भगवा रंग में रंग गया किसी को पता भी नहीं चला। वाम दाल को यह बड़ा झटका लगा था। माकपा के अधिकतर नेता बीजेपी के साथ गए थे और जो बचे थे उनमे से ज्यादातर की हार हो गई थी। माकपा 16 सीटों पर सिमट गई थी। बीजेपी की सहयोगी पार्टी आइपीएफ टी को 8 साइट मिली थी। लेकिन इस बार माहौल बदला -बदला लग रहा है। वाम दल पूरी तैयारी के साथ मैदान में खड़ी है तो कॉग्रेस भी नयी रणनीति के साथ ताल थोक रही है। ऐसे में बीजेपी की चुनौती अब बढ़ गई है।
उधर टीएमसी की इस बार इंट्री यहां हो गई है। वह किसी गठबंधन में नहीं है। बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा चुनौती टीएमसी खड़ी कर रही है। साफ़ लग रहा है कि बीजेपी की सबसे ज्यादा परेशानी ममता की पार्टी से होती दिख रही है। बीजेपी काफी गुना भाग तो कर यही है लेकिन इससे उसकी मुसीबत कम नहीं हो रही। पहले बीजेपी ने विप्लव देव को यहां मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन बाद में माणिक साहा को मुख्यमंत्री बना दिया। साहा कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये हैं। बीजेपी भीतर से डरी हुई है। उसे साहा से नुक्सान दिख रहा है। अगर नुक्सान हो गया तो बीजेपी को नुक्सान होगा।
जो हालत हैं उससे लगता है कि अगर जनता का मिजाज बदला तो खेल दूसरे तरह का भी हो सकता है। बीजेपी की सीट में कमी आती है और वाम दल के साथ कोंग्रस कुछ बेहतर परिणाम लाते हैं तो हंग विधान सभा की स्थित भी बन सकती है। ममता के आने के बाद हंग विधान सभा की सम्भावना कुछ ज्यादा ही दिखने लगी है। जानकार मान रहे हैं कि अगर सब कुछ सामान्य तरीके से चल गया और बीजेपी चुनाव जीतने में सफल हो गई तो त्रिपुरा में बीजेपी की जमीन स्थाई हो जाएगी। और ऐसा हुआ तो वाम दल और कांग्रेस फिर यहां उठ नहीं सकती। ऐसे में इस बार सभी पार्टियों की प्रतिष्ठा दाव पर है। केवल टीएमसी ही ऐसी पार्टी है जिसे कुछ खोना नहीं है लेकिन यह सबका बाजार खराब जरूर कर सकती है।