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महाराष्ट्र में आज बीजेपी प्रमुख नड्डा का दौरा ,क्या एमवीए को चुनौती दे जाएगी बीजेपी ?

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अखिलेश अखिल 

कर्नाटक भले ही चला गया लेकिन महाराष्ट्र से अभी भी बीजेपी को आस है। बीजेपी को लग रहा है कि पिछले लोकसभा चुनाव में जिस तरह बीजेपी को 23 सीटें मिली थी ,फिर आगामी चुनाव में भी महाराष्ट्र से उसे भरपूर लाभ होगा। लेकिन क्या ऐसा संभव है ? जानकार मान रहे हैं कि अब ऐसा संभव नहीं है। पिछले चुनाव में बीजेपी को बड़ा लाभ इसलिए हुआ था कि उसके साथ शिवसेना भी खड़ी थी। कुल 48 सीटों में से बीजेपी -शिवसेना को बड़ी जीत यहाँ से हुई थी। कुल 41 सीटों पर बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की जीत हुई थी। बीजेपी को कुल 23 सीटें मिली थीं, जबकि शिवसेना को 18 सीटों पर जीत मिली। वहीं एनसीपी को चार और कांग्रेस को महज 1 सीट मिल पाई थी।  वहीं अगर विधानसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो बीजेपी को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिलीं, वहीं शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली। याद रहे यूपी के सबसे ज्यादा सीट वाला राज्य महाराष्ट्र ही है। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं जबकि 48 सीटें महाराष्ट्र में है।      
बता दें कि ये तमाम आंकड़े तब के हैं जब एमवीए में शामिल कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था।  वहीं अगर आने वाले चुनावों में एमवीए गठबंधन बना रहता है तो बीजेपी के लिए ये आंकड़े डराने वाले हो सकते हैं। तीनों दलों की ताकत के आगे बीजेपी काफी ज्यादा पीछे नजर आ सकती है।  बीजेपी के साथ शिंदे गुट है, जिसका चुनावों में असली लिटमस टेस्ट होना है।       
 महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव से पहले बीएमसी का चुनाव भी होना है। बीजेपी पूरी ताकत से यह चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन शिंदे शिवसेना का बैकअप उसे मिलता नहीं दिख रहा है। उधर बीएमसी चुनाव उद्धव शिवसेना के लिए भी बड़ी चुनौती है। उद्धव शिवसेना वैसे अभी भी बीएमसी पर पकड़ ज्यादा रख रही है लेकिन चुनाव में कुछ असर पड़ने की सम्भावना भी है। यही वजह है कि उद्धव ठाकरे लगातार उत्तर भारतीय लोगों से ज्यादा संपर्क अभियान चलाये हुए हैं। पिछले दिनों नीतीश कुमार का मुंबई दौरा भी कुछ इसी नजरिये से किया गया था। नीतीश कुमार मिलने तो गए थे उद्धव और शरद पवार से मिलने ताकि विपक्षी एकता को धार दी सके लेकिन उनका एक मकसद शिवसेना को बीएमसी चुनाव में मदद करना भी था। उद्धव ठाकरे को उत्तर भारतीयों का कितना साथ मिलता है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन खा जा रहा है कि जब बीएमसी के चुनाव होंगे तो राजद के कई नेता और नीतीश कुमार के भी कई नेता मुंबई का दूर करेंगे।  
    इधर कर्नाटक चुनाव में हार के बाद बीजेपी का पूरा फोकस महाराष्ट्र पर ह गया है। आज ही बीजेपी अध्यक्ष दो दिनों की महाराष्ट्र यात्रा पर हैं। नड्डा पुणे में करीब 1200 कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे और बाद में सांसद और विधायकों से मुलाकात भी करेंगे। इसे आने वाले चुनावों की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि की बीजेपी महाराष्ट्र में अब कुछ बेहतर कर पायेगी ?
          बता दें कि शरद पवार के घर पर अभी कुछ दिन पहले ही एमवीए की बैठक हुई थी। इस बैठक में कर्नाटक के परिणाम पर भी चर्च हुई और आगे की रणनीति पर भी चर्चा की गई। कहा जा रहा है कि एमवीए की इस बैठक में शरद पवार ने कोई ऐसा मैप तैयार किया है जिससे बीजेपी की मुश्किलें और भी बढ़ सकती है। जानकार कह रहे हैं कि जिस बीजेपी को पिछले चुनाव में शिवसेना के सहयोग से 23 सीटें मिल गई थी अब उसे पांच सीटों पर समेटने की तैयारी है। खा जा रहा है कि बीएमसी चुनाव होते ही एमवीए उस मैप पर काम करना शुरू कर देगा। यह ऐसा खेल है जिससे बाहर निकलना बीजेपी के लिए कठिन हो जाएगा। शिंदे गुट को तो ख़त्म करने की ही बात की जा रही है।  एनसीपी चीफ शरद पवार के घर पर कुछ दिन पहले एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें तमाम एमवीए नेता शामिल हुए. इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, बताया गया कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों का भी इस बैठक में जिक्र हुआ. कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी को घेरने की रणनीति तैयार की गई. बैठक में तीनों दलों ने अपने-अपने मुद्दों को रखा और आगे किस तरह से सीटों का बंटवारा किया जाए, इसका भी जिक्र हुआ. तीनों दलों की इस बैठक के बाद अब सभी अपने नेताओं की अलग बैठक भी बुला रहे हैं, जिसमें आगे पार्टी की रणनीति क्या होगी इस पर काम किया जा रहा है. साथ ही सीट शेयरिंग को लेकर भी अभी से मंथन शुरू हो गया है.
              उधर 17 मई को एमवीए के दो बड़े दल शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी ने अपने नेताओं से फिर बातचीत की। बताया गया कि ये बातचीत आने वाले चुनावों की रणनीति को लेकर ही  की गई। एनसीपी लगातार अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी है और कोशिश है कि वो महाराष्ट्र में बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती के तौर पर पेश हो। क्योंकि शिवसेना के दो टुकड़े हो चुके हैं, ऐसे में नंबर के मामले में शरद पवार की एनसीपी ही एमवीए की सबसे बड़ी पार्टी है। जिसे एनसीपी एक मौके की तरह देख रही है। 
              शिवसेना चुनावी माहौल गर्माने के लिए 19 जून का भी इंतजार कर रही है, जिसे लेकर तैयारियां जोरों पर है। इस दिन शिवसेना का स्थापना दिवस होता है, जिसे एक बड़े इवेंट के तौर पर मनाया जाएगा। साथ ही उद्धव ठाकरे अपनी पारंपरिक पार्टी को तोड़ने को लेकर जनता तक भावुक संदेश पहुंचा सकते हैं।  जिसका असर शिवसेना कैडर पर पड़ सकता है। उधर शरद पवार सफ कह चुके हैं कि हमें एमवीए को मजबूत बनाये रखना है ताकि बीजेपी को डेंट किया जा सके। ऐसे में बीजेपी के लिए क्या स्पेस बनेगा कहा  नहीं जा सकता। 

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