18वीं लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को भले ही बहुमत से 32 सीटें कम आई है, लेकिन एनडीए के तहत इसने सरकार तो बना ही ली। न सिर्फ सरकार बनाई,बल्कि प्रधान मंत्री भी नरेंद्र मोदी ही बने और इन्होंने मंत्रिमंडल गठन में भी एक तो 72 में से 61 सीट बीजेपी को दे दी बल्कि गृह,रक्षा, शिक्षा,वित्त और विदेश जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बीजेपी के सांसदों को ही बिठा दिया। फिर एनडीए के नेता के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2047 में देश को दुनियां की तीसरी बड़ी अर्थ व्यवस्था बनाने की बात करने लगे।वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस भी मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए गंठबंधन वाली सरकार के सहयोगी दलों के बीच की गांठ खुलने और मोदी सरकार के गिरने की प्रतीक्षा कर रही है। पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनते ही प्रियंका गांधी ने कहा था कि एनडीए गठबंधन वाली मोदी यहसरकार कितने दिन चलती है यह देखेंगे और अब तो कांग्रेस लोकसभा अध्यक्ष पद के बहाने बीजेपी के विरुद्ध में जेडीयू और टीडीपी को भड़काकर सरकार गिराने का ख्वाब देख रही है।
क्या है स्पीकर का मामला
18 वीं लोकसभा चुनाव के परिणाम में जब भारतीय जनता पार्टी 240 सीटों पर ही सिमट गई ,तब भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में 293 सीटों वाली है एनडीए की सरकार बनने की बात सामने आई।फिर सरकार भी बन गई और इस सरकार में प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ही चुन लिए गए।इसके बाद मंत्रिमंडल में इसके घटक दलों के द्वारा बड़ी हिस्सेदारी की बात सामने आने लगी। खासकर 16 सांसदों वाले तेलुगु देशम पार्टी और 12 सांसदों वाले जनता दल यूनाइटेड के द्वारा। लेकिन इस मामले में भी बीजेपी ने बड़ी हिस्सेदारी झटक ली और 72 सदस्यीय मंत्रिमंडल में सिर्फ 11 मंत्री पद ही बीजेपी से इतर एनडीए गठबंधन के अन्य सहयोगियों को दिया।इसके बाद अब लोकसभा के एक महत्वपूर्ण पद लोकसभा अध्यक्ष को लेकर टीडीपी और जेडीयू के तरफ से दावे किए जाने की बात सामने आने लगी।लेकिन बीजेपी इस पद को भी अपने पास ही रखना चाहती है।ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष को लेकर एनडीए में एक अनार सौ बीमार वाली बनती नजर आने लगी है। कांग्रेस इसी मुद्दे को भड़काकर एनडीए में विभाजन करवाकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने की चाहत रख रही है।
इंडिया गठबंधन का कूटनीतिक प्रयास
सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच बिखराव लाने के उद्देश्य से सबसे पहले इंडिया गठबंधन के घटक दल आम आदमी पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनते ही कहा था कि लोकसभा अध्यक्ष का यह महत्वपूर्ण पद जेडीयू या टीडीपी में से किसी एक को दिया जाना चाहिए।वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन के एक और बड़ा घटक दल कांग्रेस ने भी इस दिशा में अपना प्रयास तेज कर दिया है।वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने दावा किया कि अगर बीजेपी को अध्यक्ष का पद मिलता है, तो वह जेडीयू और टीडीपी सांसदों की खरीद – फरोख्त शुरू कर देगी।अशोक गहलोत ने कहा कि लोक सभा अध्यक्ष अध्यक्ष पद के चुनाव को केवल टीडीपी और जेडीयू ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लोग लोकसभा टकटकी लगाकर देख रहे हैं। सीनियर कांग्रेसी नेता अशोक गहलोत ने तो यहां तक कह दिया कि अगर बीजेपी का भविष्य में कुछ भी आलोकतांत्रिक करने का इरादा नहीं है, तो उसे अध्यक्ष का पद अपने किसी सहयोगी दल को दे देना चाहिए।वहीं अगर बीजेपी लोकसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखती है,तो फिर टीडीपी और जेडीयू को अपने सांसदों की खरीद फरोख्त देखने के लिए तैयार रहना चाहिए।
लोक सभा अध्यक्ष पद को लेकर जेडीयू का पक्ष
शुरुआती दौर में लोकसभा अध्यक्ष पद की चाहत रखने वाला वाले जेडीयू की चाहत में अब परिवर्तन दिखने लगा है।शनिवार को जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू और टीडीपी एनडीए के सहयोगी हैं और वे भारतीय जनता पार्टी द्वारा दिए गए उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। केसी त्यागी ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि जेडीयू और टीडीपी एनडीए में मजबूती से शामिल है। हम बीजेपी द्वारा अध्यक्ष पद के लिए सुझाए गए व्यक्ति का समर्थन करेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर टीडीपी का पक्ष
तेलुगु देशम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमा रेड्डी ने एक मीडिया हाउस से बात करते हुए कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के उम्मीदवार का फैसला एनडीए के सहयोगियों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि एनडीए के सहयोगी दल साथ बैठकर तय करेंगे की अध्यक्ष पद के लिए हमारा उम्मीदवार कौन होगा।आम सहमति बनने के बाद हम उस उम्मीदवार को मैदान में उतरेंगे और टीडीपी समेत एनडीए के सभी सहयोगी दल उसका समर्थन करेंगे।गौरतलब है कि तेलुगू देशम पार्टी अभी भी लोकसभा के अध्यक्ष पद पर अपने पार्टी के किसी सदस्य को देखना चाहती है।दरअसल ऐसा कर वह इस बात से निश्चित हो जाना चाहती है कि बीजेपी भविष्य में उसके दल के सांसदों की खरीद- फरोख्त न कर सके और अगर वह ऐसा करने का प्रयास करें तो स्पीकर के रूप में उसके पार्टी का व्यक्ति उसे मान्यता न दे ।
स्पीकर का पद और और एनडीए के सत्ता में रहते टीडीपी और जेडीयू की स्थिति
केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते ही एनडीए का निर्माण हुआ था। उस समय टीडीपी और जेडीयू दोनों ही दल एनडीए के घटक दल रहे थे।बीच में दोनो ही दल एनडीए से अलग हुए और अभी फिर एनडीए के घटक दल हैं।अब अगर बात एनडीए के घटक दल के रूप में इन दोनों दलों के सदस्यों के लोकसभा अध्यक्ष बनने की की जाय तो जेडीयू पूर्व से लेकर अबतक जब भी एनडीए का घटक दल रहा तब कभी भी इसका कोई सदस्य लोकसभा अध्यक्ष नही रहा। वही बात अगर तेलुगू देशम पार्टी की जाए तो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के वक्त लोकसभा का अध्यक्ष जीएम बाल योगी तेलुगु देशम पार्टी के ही सदस्य थे।