न्यूज़ डेस्क
पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच एक दूसरे को नीचा दिखाने ,कमतर आंकने की होड़ मची है। जनता की नज़रों में एक दूसरे को कितना गिरा दिया जाए कि वह मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहे इसी को लेकर मंथन चलते हैं। राजनीतिक पार्टियों के आईटी सेल कब किसका चीरहरण कर ले कौन जाने !
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री मोदी को घेरा है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि जातीय गणना की जरूरत नहीं क्योंकि गरीब की एक ही जाती होती है। यह अच्छी बात है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी को बताना चाहिए कि वे हर सभाओं में खुद को ओबीसी क्यों कहते हैं ?जब सारे गरीब एक ही जाति के हैं तो पीएम को ओबीसी बताने की क्या जरूरत है।? राहुल गाँधी ने कहा कि .मोदी जी ने आज कहा कि एक ही जाति गरीब की है,यानी दलित ,पिछड़े आदिवासी नहीं है। क्या आदिवासी संस्कृति,इतिहास नहीं है। दलितों का फिर क्यों अपमान होता है और ओबीसी को क्यों उनका हक नहीं मिलता..। सिर्फ एक ही जाति है तो फिर श्री मोदी को क्यों बार बार हर जनसभा में अपने को ओबीसी कहना पड़ता है।
उन्होने कहा कि मोदी भाजपा और संघ की सोच आदिवासी विरोधी है,और वह आदिवासियों को वनवासी कहकर उनका अपमान करते है।उन्होने कहा कि उनकी सोच में आदिवासी मतलब जंगल में जानवरों जैसा रहने वाला वनवासी है। वह आदिवासियों से जानवरों जैसा व्यवहार करना चाहते है। उन्होने भाजपा के एक नेता द्वारा मध्यप्रदेश में एक आदिवासी पर पेशाब करने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके सोच आदिवासियों के लिए अच्छी नही है। उन्होंने कहा कि आदिवासी मतलब जिनके पास एक दिन जल,जंगल और जमीन थी और उसके मालिक थे। भाजपा की सोच इसके विपरीत है,अगर वह सत्ता में लौटी तो आदिवासी अपने मूल हक से वंचित हो जायेंगे।
गांधी ने ट्राइबल बिल,पेसा कानून,जमीन अधिग्रहण कानून जैसे आदिवासियों के हित में कांग्रेस सरकार द्वारा लिए गए अहम निर्णयों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने प्रावधान किया कि आदिवासी इलाकों में बगैर ग्राम सभा की सहमति के जमीन नही ली जा सकती। उन्होंने कहा कि यह कानून ही नही बनाए बल्कि इसे लागू भी किया गया।उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ में मोदी के परम मित्र अडानी की लौह अयस्क की खदान को यहां की कांग्रेस सरकार ने इसलिए रद्द कर दिया क्योंकि आदिवासी इसके विरोध में थे। उसके लिए आदिवासियों की राय की बहुत अहमियत है।
उन्होंने मोदी पर लोगों से झूठे वादे करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी ने कहा कि 15 -15 लाख सभी के खाते में आयेंगे,नोटबंदी से काला धन वापस आयेगा और जीएसटी से हिंदुस्तान को बदलेंगे..। उन्होने भीड़ से पूछा कि क्या ऐसा हुआ,जवाब मिला नही। गांधी ने पिछले विधानसभा चुनावों में अपने किए वादों का जिक्र किया और पूछा कि क्या कोई है,जिससे इसका लाभ नही मिला। उन्होने कहा कि हमनें वादा किया था कि किसानों का कर्ज माफ करेंगे,धान 2500 रुपए क्विंटल खरीदेंगे,मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में इसका निर्णय लिया। गांधी ने लोगो को विश्वास दिलाया कि इस बार भी जो वादे हम करेंगे उसको जरूर पूरा करेंगे। हम जो कहते है उसे जरूर पूरा करते है।
गांधी ने कहा कि मोदी तथा भाजपा एवं राहुल तथा कांग्रेस की सोच में बड़ा फर्क यह है कि हम किसानों का कर्जा माफ करते है उन्हे धान की अच्छी कीमत देते हैं,बिजली बिल में रियायत देते है तो फिर उसके पास पैसा बचता है। वह पैसा वह गांव में खर्च करता है जिससे छोटा व्यापारी भी लाभान्वित होता है आगे बढ़ता है,और गांव की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है जबकि मोदी की सोच अडानी को मजबूत करने की है,क्या अडानी गांव में एक भी पैसा खर्च करेंगा,वह तो अमेरिका जापान और दूसरे देशों में खर्च करेंगा और अपना व्यापार बढ़ायेगा।
उन्होने मोदी और भाजपा नेताओं की भाषा नीति पर गंभीर सवाल उठाया और कहा कि यह हिन्दी हिन्दी करते रहते है जबकि अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ाते है। वह नहीं चाहते कि गांव गरीब और आदिवासी का बच्चा अंग्रेजी पढ़े। उनका मानना है कि आदिवासियों और इन वर्गों का बच्चा अगर अंग्रेजी पढ़ गया तो डॉक्टर,इंजीनियर,पायलट बनने की सोचने लगेंगा। उन्होने छत्तीसगढ़ सरकार के स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस की सोंच यह हैं कि गरीब आदिवासी का बच्चा भी छत्तीसगढ़ी,हिन्दी के साथ ही अंग्रेजी भी पढ़े। उन्होंने लोगो से कांग्रेस सरकार के पांच वर्ष के कामकाज पर फिर समर्थन देने की अपील की।

