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इसरो चंद्रयान 3 को चंद्रमा के ध्रुव पर ही क्यों लैंडिंग करना चाहता है

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बीरेंद्र कुमार झा

रूस के लूना 25 अंतरिक्ष यान के चांद पर लैंडिंग के दौरान क्रैश होने के बाद पूरी दुनिया की नजरे अब भारतीय मिशन चंद्रयान 3 पर टिकी हुई है।चंद्रयान का विक्रम लैंडर के चांद पर लैंडिंग करने में अब कुछ ही घंटे का वक्त बचा है। इसरो ने मंगलवार को अपडेट दिया है कि चंद्रयान 3 मिशन बुधवार शाम को दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयार है भारत दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन करने वाला पहला देश बनना चाहता है।चंद्रमा के इस हिस्से पर अभी तक कोई भी मिशन नहीं गया है।इसलिए पहले लूना 25 भी इसी सप्ताह दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला था, लेकिन यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। सवाल यह है कि चांद के दक्षिणी हिस्से में ऐसा क्या है कि सभी देश चांद के इसी हिस्से पर अब लैंडिंग करना चाह रहे हैं?

चंद्र मिशन का लाइव कवरेज कल 5:30 बजे से

भारत का चंद्र मिशन वर्तमान में तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए चांद के इलाके पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए सही जगह ढूंढने का लक्ष्य बना रहा है। इसरो का मानना है कि अगर सब कुछ सही रहा तो 23 अगस्त की शाम 6:04 पर विक्रम चंद पर लैंडिंग करेगा। इसरो की योजना है लैंडिंग की लाइव कवरेज 5:30 बजे से ही शुरू हो जाएगी।पूरी दुनिया को भारत के इस मिशन के सफल होने का इंतजार है।

चांद के दक्षिणी हिस्से में क्या है खास

इसरो के पूर्व निदेशक सुरेश नाईक ने बताया कि इसरो हमेशा प्रत्येक मिशन पर अलग-अलग चीज करने की कोशिश करता है तो यह एक पहलू है ।दूसरा पहलू इस क्षेत्र में उचित मात्रा में पानी मिलाने की संभावना है।चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में बड़े-बड़े गड्ढों के कारण काफी गहरी और स्थाई रूप से छाया वाले क्षेत्र होंगे और फिर भूमि की सतह पर लगातार धूमकेतु और क्षुद्र ग्रहों की बमबारी होती रहती । यह एक प्रकार की एक खगोलीय पिंड है जो दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं और चंद्रमा की सतह पर बर्फ और गायब कण के रूप में जमा है।

बहुत सारा पानी खनिज और मानव कॉलोनी का सपना

नाईक का कहना है की उम्मीद की जाती है कि दक्षिण हिस्से में जमा बर्फ में बहुत सारा पानी होगा। एक अन्य कारक यह है कि इसकी अद्वितीय स्थलाकृतियों के कारण बिजली उत्पादन संभव है ।एक ओर विशाल छायादार क्षेत्र है तो दूसरी ओर ढेर सारी चोटिया हैं।यह चोटिया अस्थाई रूप से सूरज के प्रकाश में रहती है इसलिए निकट भविष्य में यहां मानव कॉलोनी स्थापित करना एक लाभप्रद स्थिति ।चीन पहले से ही 2030 तक वहां मानव कॉलोनी स्थापित करने की सोच रहा है। चंद्रमा पर बहुत सारे कीमती खनिज भी उपलब्ध है। बहुमूल्य खनिजों में से एक हीलियम 3 है जो हमें प्रदूषण मुक्त बिजली उत्पन्न करने में मदद कर सकता है।

अमेरिका और चीन की योजना

नाईक ने यह भी कहा कि अगले 2 वर्षों में विभिन्न देशों द्वारा 9 चंद्र मिशन की योजना बनाई गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन दोनों ने दक्षिणी ध्रुव पर मिशन की योजना बनाई है।गौरतलब है कि पिछला भारतीय मिशन 2019 में चंद्रयान 2 इसी क्षेत्र के पास सुरक्षित रूप से उतरने में विफल रहा था।

भारत रचेगा इतिहास

एक बार जब चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास एक रोवर तैनात करेगा तो इसरो वैज्ञानिकों ने कहा है कि वे चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की संरचना के बारे में अधिक जानने के लिए 14 दिनों तक प्रयोग की एक श्रृंखला चलाएंगे।चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ और खनिज का भंडार होने की उम्मीद है भारत दक्षिण ध्रुव का अध्ययन करने वाला पहला देश बनना चाहता है। चंद्रमा के इस हिस्से पर अभी तक कोई मिशन नहीं गया है।

,कब हुई थी चांद पर पानी की खोज

1960 के दशक की शुरुआत में पहली बार अपोलो लैंडिंग से पहले वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि चंद्रमा पर पानी मौजूद हो सकता है 1960 के दशक के अंत और 1970 के दसक की शुरुआत में अपोलो क्रू द्वारा विश्लेषण के लिए लाए गए नमूने सूखे प्रतीत हुए।

2008 में ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नई तकनीक के साथ उन चंद्र नमूनों का दोबारा निरीक्षण किया और ज्वालामुखी कांच के छोटे मोतियों के अंदर हाइड्रोजन पाया। 2009 में इसरो के चंद्रयान-1 को जांच पर नासा के एक उपकरण ने चंद्रमा की सतह पर पानी का पता लगाया था। उसी वर्ष नासा के एक अन्य जांच दल ने जो दक्षिण ध्रुव पर पहुंचा था,इसमें चंद्रमा की सतह के नीचे पानी की बर्फ पाईं गई।iनासा के पहले के मिशन 1998 के लूनर प्रोस्पेक्टर में इस बात के प्रमाण मिले थे कि पानी में बर्फ की सबसे अधिक सांद्रता दक्षिणी ध्रुव के छायादार गड्ढों में थी।

 

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