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आखिर पीडीपी नेता महबूबा ने क्यों कहा नए कश्मीर में न तो सेना सुरक्षित और न ही स्थानीय लोग 

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न्यूज़ डेस्क 
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि नए कश्मीर में न तो सेना सुरक्षित है और न ही आम  लोग। मुफ्ती ने कहा कि गुरुवार को आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला किया जिसमें सेना के जवानों की जान चली गई और एक दिन बाद जम्मू क्षेत्र के पुंछ जिले में घटना स्थल के पास तीन नागरिक मोहम्मद सफीर, रियाज हुसैन और शौकत हुसैन मृत पाए गए।

 महबूबा ने  कहा कि पुंछ में बाफलियाज के पास टोपा पीर से सेना ने 15 स्थानीय लोगों को उठाया और उनमें से तीन चोट के निशान के साथ मृत पाए गए। उन्होंने कहा,“हिरासत में लिए गए तीन लोगों के शव मुठभेड़ स्थल के पास पाए गए हैं। शवों पर यातना के निशान हैं। शेष 12 को गंभीर चोटें आई हैं और सुरनकोट और पुंछ के अस्पतालों में उनका इलाज चल रहा है।”

 पूर्व मुख्यमंत्री ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि समाचार रिपोर्टों और इंटरनेट पर व्यापक रूप से साझा किए गए वीडियो का हवाला देते हुए दावा किया कि क्षेत्र के लोगों को कथित तौर पर ‘गंभीर यातना का शिकार बनाया जा रहा है।’ उन्होंने कहा,“राजौरी और पुंछ बेल्ट शांतिप्रिय क्षेत्र रहे हैं तथा इस क्षेत्र में आतंकवाद से संबंधित किसी भी घटना में कभी भी कोई स्थानीय भागीदारी नहीं रही है।”


  बीजेपी  के हालात सामान्य होने के दावे पर तंज कसते हुए मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को खुली जेल में तब्दील कर दिया गया है।उन्होंने कहा,“लोगों को हिरासत में रखा जा रहा है। यूएपीए के तहत, पत्रकारों को सच बोलने पर गिरफ्तारी का सामना करना पड़ रहा है। वे अब तय करते हैं कि मस्जिद के मंच पर क्या कहा जा सकता है। लोगों का जीवन दयनीय बना दिया गया है और सरकारी कर्मचारियों को चुप करा दिया गया है।”
  उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अपनी नाकामियों को छुपाने की कोशिश में स्थानीय लोगों पर हमला कर रही है।उन्होंने कहा,“जहां भाजपा अपनी कमियों को छुपाने के लिए स्थानीय लोगों को परेशान कर रही है, वहीं सैनिक सेवाएं दे रहे हैं और इस प्रक्रिया में अपनी जान दे रहे हैं। इस ‘नए कश्मीर’ में न तो सेना सुरक्षित है और न ही स्थानीय लोग सुरक्षित हैं।”

  पीडीपी अध्यक्ष ने इन मौतों की जांच करने और कथित यातना में मारे गए प्रत्येक नागरिक को 50 लाख रुपये और घायलों को पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि अमशीपोरा शोपियां फर्जी मुठभेड़ के बाद सेना को मिली छूट के कारण पुंछ में नागरिक हत्याएं हुईं।

 उन्होंने कहा कि जुलाई 2020 में सेना ने कहा कि अमशीपोरा शोपियां में तीन पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए और बाद में यह साबित हुआ कि मारे गए तीनों पुरुष राजौरी के मजदूर थे और एक फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे। उन्होंने कहा,“सेना अदालत (अम्शोपिरा मामले में) ने उन्हें दोषी पाया, जबकि एक अन्य अदालत ने फैसले को उलट दिया, जिससे बलों के बीच एक झूठी मिसाल कायम हुई कि वे बिना किसी रोक-टोक के काम कर सकते हैं। राज्यपाल की गारंटी के बावजूद अभी तक न्याय नहीं मिला है।”

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