न्यूज़ डेस्क
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज ऐलान किया कि वे कभी शराबबंदी कानून को वापस नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि शराबबंदी से राज्य के एक करोड़ 82 लाख लोगों ने शारब पीना छोड़ दिया है और ये बाते अभी एक हालिया सर्वे में सामने आयी है। ऐसे में शराबबंदी को वापस नहीं लिए जा सकता।
कुमार ने रविवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में नशामुक्ति दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का उद्धाटन और मद्य निषेध के प्रचार-प्रसार के लिए बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “जब शराबबंदी लागू किए तो शुरू से ही लोग इसके पक्ष में रहे हैं। इसको लेकर पहले भी सर्वे कराया गया है। वर्ष 2018 में सर्वे कराया गया तो पता चला कि एक करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। वर्ष 2023 के सर्वे से पता चला कि एक करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। सर्वे से यह भी पता चला कि 99 प्रतिशत महिलायें जबकि 92 प्रतिशत पुरुष शराबबंदी के पक्ष में हैं। शराबबंदी को लेकर प्रतिदिन हमारे पास रिपोर्ट आती है। शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने के आरोप में बहुत लोग पकड़े गये हैं।”
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को ठीक ढंग से एक बार फिर से शराबबंदी का सर्वे और एक-एक घर में जाकर शराबबंदी का क्या प्रभाव है, पता करने का निर्देश देते हुए कहा कि जब वह कॉलेज में पढ़ते थे तब से ही शराब के विरोध में रहे हैं। वह उसी समय से मानते रहे हैं कि शराब पीना गलत चीज है। वह शुरू से ही शराबबंदी के पक्ष में रहे हैं। जब महिलाओं की मांग हुई तो उन्होंने शराबबंदी लागू किया। उन्होंने कहा कि वह कभी इसको वापस नहीं लेंगे। कुछ जो बड़े लोग हैं वे शराब पीने के पक्षधर हैं और उनके खिलाफ हैं। बापू की बात याद कीजिए। वो हमेशा इसके खिलाफ रहे हैं। ज्यादातर पुलिसवाले और अधिकारी सही हैं पर कुछ लोग गड़बड़ करते हैं, उन पर नजर रखिये। लगातार समीक्षा करते रहिये। एक-एक चीज पर ध्यान दीजिए।
कुमार ने कहा कि उनकी सरकार ने जाति आधारित गणना कराई जिसमें एक-एक घर जाकर सभी चीजों की जानकारी ली गयी। उसी तरह एक-एक घर जाकर शराबबंदी को लेकर ठीक ढंग से आंकलन कीजिए। सर्वे से ये पता चल जाएगा कि कौन-कौन लोग इसके पक्ष में हैं और कौन-कौन इसके खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में शराबबंदी लागू है लेकिन वहां इस पर अच्छे से काम नहीं होता है।
कुमार ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी शराब पीने से होनेवाले दुष्परिणामों को लेकर सर्वे किया था और उसकी रिपोर्ट जारी किया था। शराब पीने से कई प्रकार की बीमारियां होती है। 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटना शराब पीने के कारण होती है। हमलोग सिर्फ शराबबंदी पर ही नहीं एक-एक काम पर ध्यान दे रहे हैं। बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। हमारे पास शादी-विवाह के लिए जो निमंत्रण आता है उसमें यदि निमंत्रण कार्ड पर दहेज मुक्त विवाह नहीं लिखा रहता हैं तो हम उस शादी समारोह में शामिल नही होते हैं। शराबबंदी के बाद बिहार में पर्यटकों की संख्या और बढ़ी है, राजगीर में आयोजित मलमास मेले में तीन करोड़ से अधिक लोग शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सबके हित में काम करते हैं। लोगों के विकास एवं गरीबों के उत्थान के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वर्ष 2005 के पहले यहां क्या स्थिति थी। घर से बाहर कोई नहीं निकलता था। बच्चियां कहां पढ़ पाती थी। उन्होंने बच्चे-बच्चियों को पढ़ने का इंतजाम कराया। जबसे उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में 50 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण दिया है तो हर जगह महिलाएं दिख रही हैं। महिलायें आगे बढ़ रही है। सब लोग मिलकर प्रेम से आगे बढ़िये, इससे परिवार और राज्य आगे बढ़ेगा।
कुमार ने कहा कि उन्होंने महिलाओं की मांग पर वर्ष 2016 में शराबबंदी लागू की। शराबबंदी को शुरू में सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में लागू किया गया लेकिन पांच दिन के अंदर लोगों की मांग पर पूरे बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दिया गया। उन्होंने कहा कि जो लोग पहले पहले शराब पीते थे, वे शराबबंदी लागू होने के बाद शराब पीना बंद कर दिये। कुछ लोग तो किसी भी निर्णय के खिलाफ रहते ही हैं। इस धरती पर सभी लोग सही नहीं हो सकते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नशा मुक्ति लागू करना चाहते थे। हम लोगों ने उनकी बातों को सभी जगहों पर बता दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के बाद कुछ महिलायें अपना अनुभव साझा कर रही थी। उन्होंने बताया कि पहले पति शराब पीते थे। घर का माहौल खराब रहता था। शराबबंदी के बाद वे बाजार से सब्जी लेकर आते हैं और घर का माहौल भी अच्छा रहता है। जो पैसा पहले शराब पीने में खर्च होता था शराबबंदी लागू होने से उस पैसे का सदुपयोग अच्छे खान-पान और रहन-सहन में हो रहा है।

