नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन पर अगर कदम नहीं उठाते हैं तो हम यहां क्यों हैं? मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि शीर्ष अदालत नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से जुड़े मामलोें में कार्रवाई नहीं करता तो यह संविधान के अनुच्छेद—136 के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन होगा।
बिजली चोरी के आरोपी की जमानत पर फैसला कर रहे थे मुख्य न्यायाधीश
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी बिजली चोरी के एक आरोपी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की। जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई मामला छोटा नहीं है। सीजेआई की इस टिप्पणी को कानून मंत्री किरेन रिजिजू को जवाब के रूप में समझा जा रहा है।
कानून मंत्री ने कहा सुप्रीम कोर्ट को संवेधानिक मामलों तक रहना चाहिए सीमित
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक दिन पहले ही संसद में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत जैसे मामलों की सुनवाई नहीं करनी चाहिए, बल्कि सांविधानिक मामलों की सुनवाई तक सीमित रहना चाहिए। मामले में याचिकाकर्ता को बिजली चोरी के नौ मामलों में से हर में दो दो साल की सजा सुनाई गई थी। प्राधिकार ने फैसला दिया कि सजांए अलग अलग चलेंगी। इसमें उसकी कुल सजा 18 साल होगी। याचिकाकर्ता इसके चिालाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।