अखिलेश अखिल
पांच राज्यों के चुनाव के बाद एग्जिट पोल ने बीजेपी और कांग्रेस की धड़कनो को बी आधा दिया है। चुनाव के दौडान दोनों दलों के नेताओं बोल जो कह तरहे थे अब बदल से गए हैं। बीजेपी वाले कह रहे हैं कि वह हिंदी पट्टी के सभी तीनो राज्य जीत रहे हैं। यानी बीजेपी राजस्थान ,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने जा रही है। लेकिन अब तेलंगाना को लेकर बीजेपी मन हो गई है। यह मौन किस वजह से है अभी समझ से परे है। जबकि परिणाम तो रविवार को आने हैं।
लेकिन कांग्रेस आज भी अपने बयान पर कायम है। कांग्रेस वाले कह रहे है कि वह चार राज्यों में सरकार बना रही है। और तेलंगाना में तो उसकी सरकार बनेगी ही। तेलंगाना को लेकर कांग्रेस का दावा कुछ ज्यादा ही है। कर्णाटक के बाद तेलंगाना में अगर कांग्रेस सत्ता में पहुँच जाती है तो दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस की पकड़ मजबूत हो सकती है।
फिर बीजेपी के मिशन दक्षिण प्लान का क्या होगा ? रविवार को सच का पता तो चल ही जायेगा लेकिन इतना तो साफ़ है कि इस बार तेलंगाना को लेकर बीजेपी ,कांग्रेस और बीआरएस की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई है। तेलंगाना को लेकर सबसे जयदा दुविधा बीजेपी की बढ़ी हुई है। क्योंकि अगर तेलंगाना में भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी नहीं बन पाई तो इससे उसके मिशन साउथ इंडिया को लोक सभा चुनाव में करारा झटका लग सकता है।
दरअसल, कर्नाटक में विधान सभा चुनाव हारने के बाद भाजपा ने तेलंगाना में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। पार्टी भले ही वहां केसीआर को हराकर राज्य में भाजपा की सरकार बनाने का दावा चुनावी रैलियों और सार्वजनिक मंचों से करते रही हो लेकिन आपसी बातचीत में भाजपा नेताओं का यह मानना होता था कि अगर पार्टी तेलंगाना में इस बार दूसरे नंबर की पार्टी भी बन जाती है तो इसका फायदा पार्टी को अपने मिशन साउथ इंडिया में हो सकता है और इस जीत का फायदा पार्टी तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे राज्य में भी उठा सकती है।
लेकिन, जिस तरह के एग्जिट पोल आए हैं, अगर चुनावी नतीजे भी कमोबेश उसी तरह से आते हैं तो यह बीजेपी के चुनावी रणनीतिकारों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा। अगर एग्जिट पोल के अनुसार तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बन जाती है तो भाजपा को इसका नुकसान राष्ट्रीय स्तर पर भी उठाना पड़ सकता है।
कांग्रेस को कर्नाटक के बाद तेलंगाना जैसे संपन्न राज्य की गद्दी अगर मिल जाती है तो पार्टी को चुनावी खर्चे की रणनीति बनाने में काफी मदद मिलेगी। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए गठबंधन और इंडिया गंठबंधन से अलग हटकर तीसरा मोर्चा बनाने की बीआरएस की योजना भी धरी की रह जायेगी।
इन पांचों में से तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। वहीं, दक्षिण भारत राज्य तेलंगाना में सत्तारूढ़ बीआरएस, कांग्रेस और भाजपा, तीनों राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

