मां जगदंबा दुर्गा की पूजा आराधना करने के पश्चात प्रभु श्री राम ने बानरी सेना के साथ लंका पर आक्रमण कर दिया। इसके उपरांत 10 वें दिन प्रभु श्री राम के द्वारा रावण के वध के पूर्व लक्ष्मण हनुमान सुग्रीव और अंगद जैसे वीरों ने विभीषण को छोड़कर रावण के पूरे वंश को ही समाप्त कर दिया। कहा भी गया है,रहा न कुल कोई रोवन हारा। लंका और रावण के पूरे वंशजों के विनाश में प्रभु श्री राम ने तो सिर्फ कुंभकरण और रावण का ही वध किया था।अन्य राक्षसों का वध तो युद्ध में लक्ष्मण ने ही किया था।तभी तो तुलसीदास ने प्रभु श्री राम के मुख से रामचरित मानस में कहलवाया है जग मह सखा निशाचर जेते ,लक्ष्मण हनहि निमिष मह तेते। यही कारण था की प्रभु श्री राम ने पूरे युद्ध के दौरान लक्ष्मण को युद्ध संचालन से संबंधित कोई दिशा निर्देश कभी नहीं दिया था।जिस युद्ध में मेघनाद ने युद्धरत लक्ष्मण को शक्तिबान से मारकर मरणासन्न कर दिया था और प्रभु श्रीराम लक्ष्मण की दशा देख तबतक रोते रहे जबतक कि बीर बजरंगी द्वारा लाए गए संजीवन बूटी के सेवन से लक्ष्मण ने चैतन्य न प्राप्त कर लिया ,उस युद्ध में भी सब कुछ जानने वाले प्रभु श्रीराम ने लक्ष्मण को युद्ध के पूर्व कोई सुझाव और सलाह नहीं दिया था।लेकिन जब लक्ष्मण उस मेघनाद से लड़ने जा रहे थे जिसके पास अब शक्तिबान जैसा कोई अस्त्र शस्त्र भी नहीं बचा था जिसके बल पर वह लक्ष्मण जैसे योद्धा से टक्कर ले सके,तब प्रभु श्रीराम लक्ष्मण को बुलाकर विशेष सलाह और चेतावनी दी थी।प्रभु श्री राम के इस व्यवहार से लक्ष्मण को घोर आश्चर्य होता है।
वहीं दूसरी तरफ जब युद्ध भूमि में युद्ध के दौरान मेघनाथ की खंडित भुजा भुजा पत्नी सुनैयना के कक्ष में जा गिरता है तो इसे देखकर सुनयना भी आश्चर्यचकित हो जाती है।फिर जब सुनयना एक कार्य विशेष से प्रभु श्रीराम के पास आती है तो उसके प्रति प्रभु श्रीराम का आचरण और सुनयना के वक्तव्य से सारी वानरी सेना आश्चर्यचकित हो जाती है और भावावेश में सुनयना पर कुछ तंज भी कस देती है।आइए जानते हैं सभी के आश्चर्यचकित होने के पीछे क्या कारण था फिर इसका निवारण कैसे हुआ।
लक्ष्मण के आश्चर्यचकित होने के पीछे का कारण यह था कि लक्ष्मण जानते थे कि प्रभु श्री राम को हर बात की जानकारी रहती है,वे यह भी जानते हैं की मेघनाद अब लक्ष्मण का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है, बल्कि लक्ष्मण ही उसके प्राणों का अंत कर देने में समर्थ है ,उसके बावजूद प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण से संभल कर युद्ध करने के लिए कहा था। साथ ही उन्होंने लक्ष्मण को यह चेतावनी भी दी थी कि किसी भी हालत में मेघनाद का कटा हुआ सिर भूमि पर गिरकर तड़पने न पाए,अन्यथा अपनी पूरी सेना का ही विनाश हो जाएगा। इसके अलावा लक्ष्मण के आश्चर्य का एक दूसरा बड़ा कारण यह था कि जिस मेघनाद ने प्रभु श्री राम के भाई लक्ष्मण का प्राण लगभग हर ही लिया था, उसके प्रति वे दयालु क्यों हो रहे हैं और लक्ष्मण को भी युद्ध क्षेत्र में मेघनाद से पूरी निर्दयता से युद्ध करने से मना कर रहे हैं और इसके लिए पूरी सेना के नष्ट होने का डर दिखा रहे हैं।
लक्ष्मण के इस आश्चर्य का समन खुद मेघनाद की पत्नी सुलोचना ने किया था,लेकिन चलिए पहले जानने का प्रयास करते हैं कि खुद सुलोचना के आश्चर्य चकित होने का क्या कारण था,जबकि वह इस बात से वाकिफ थी कि उसका पति युद्ध भूमि में युद्धरत है और युद्ध में किसी भी योद्धा की कभी भी मृत्यु हो सकती है।दरअसल सुलोचना एक पतिव्रता नारी थी और वह जानती थी कि एक पतिव्रता नारी की सुहाग उजाड़ने की क्षमता यमराज में भी नहीं है। ऐसे में जब युद्ध भूमि में लक्ष्मण के हाथों मारे जाने के बाद मेघनाद की भुजा उड़कर सुलोचना के सामने गिरती है तो पति की भुजा पहचान के बावजूद उसे यकीन नहीं होता है। उसे लगता है कि यह शत्रु सेना की माया है ।तब वह पति मेघनाद की भुजा को लिखकर सारी बात बताने के लिए कहती हैं। वह खुद उस भुजा के संपर्क में नहीं आती है और दासी से उस भुजा के हाथ में एक खड़िया देने के लिए कहती है। खड़िया देने के बाद वह भुजा युद्ध का सारा हाल बयां कर देता है जिससे उसका सारा आश्चर्य और शक हकीकत में बदल जाता है और वह अपने पति के साथ सती होने के लिए अपने ससुर रावण से या निवेदन करती है कि वह श्री राम से मेघनाथ के सर को मांग लाए ,लेकिन रावण ऐसा करने से इनकार कर देता है। तब मंदोदरी उसे खुद राम के पास जाकर मेघनाद के सर को मांगने की सलाह देती है। सास मंदोदरी की सलाह पर सुलोचना जब शत्रु सेना में अपने पति का सर मांगने जाती है तब सुलोचना को आते देख प्रभु श्री राम खड़े हो जाते हैं और आदर सहित मेघनाथ के सर सुलोचना को लौटा देने का लक्ष्मण को आदेश देते हैं।बानारी सेना राम के इस बर्ताव को देखकर आश्चर्य से भर जाती है और तंज करती है कि भला कोई मृत व्यक्ति का भुजा भी ऐसा लिख सकता है और अगर यह सत्य है तो सुलोचना अपने पति के सर से हंसने के लिए कहकर उसे। सत्यापित करे।प्रभु श्री राम को सुलोचना के सतीत्व का पता है, इसके बावजूद वह मेघनाद के सर की तरफ आदर से देखते हैं।तभी मेघनाद का सर जोर-जोर से हंसने लगता है। इसे देखकर सारी वानरी सेना हतप्रभ हो जाती है और उनका सारा आश्चर्य और शक समाप्त हो जाता है। तब सुलोचना लक्ष्मण की तरफ मुखातिब होते हुए कहती है की लक्ष्मण आप में मेरे पति को मारने का समर्थ नहीं था, आप दो पतिव्रता नारियों के कारण ऐसा करने में सफल रहे।एक तरफ उर्मिला का सतीत्व था और दूसरी तरफ सीता का सतीत्व था।तीसरी तरफ मेघनाद के पीछे मेरा सतीत्व था।लेकिन तब मैं रावण के दिए हुए अन्न को ग्रहण करती थी, इस कारण मेरे सतीत्व का प्रभाव थोड़ा कम हो गया और आप मेघनाथ को मारने में सफल हो गए। यह सुनकर लक्ष्मण का भी सारा आश्चर्य और घमंड समाप्त हो गया और उन्होंने आदर सहित सुलोचना के सतीत्व को नमन करते हुए मेघनाद का सर उसे वापस कर दिया जिसे लेकर सुलोचना अपने पति मेघनाद के साथ सती हुई और दोनों को मोक्ष की प्राप्ति हुई।