लोकसभा चुनाव 2024 के पहले फेज का मतदान शुक्रवार को हो रहा है।इसके साथ ही इस बात का भी खुलासा हो रहा है कि ज्यादा से ज्यादा मतदान करने के लिए संकल्पित चुनाव आयोग के संकल्प को उनके ही मातहत अधिकारी और कर्मचारी किस प्रकार से धत्ता बता रहे हैं।इनके कारनामे की वजह से जीवित व्यक्ति को मृत दिखा दिया जाता है।चुनाव प्रक्रिया से जुड़े कर्मचारी और अधिकारी के इस क्रियाकलाप से मतदाता मतदान केंद्र पर जाकर भी मतदान नहीं कर पाता है।शुक्रवार को बिहार की जिन चार सीटों के लिए वोट डाले जा रहे हैं उनमें नवादा, जमुई, औरंगाबाद और गया संसदीय सीट शामिल हैं। इनमें से नवादा के रजौली में एक बूथ पर निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक मृत घोषित हो चुकी एक महिला वोट करने पहुंच गयी। वहीं रोह में भी एक जीवित मतदाता को मृत घोषित किये जाने का मामला सामने आया है।
रजौली में महिला को खुद के मृत होने की मिली जानकारी
नवादा के रजौली में बूथ नंबर 289 पर मतदान की प्रक्रिया चल रही थी।मतदाता वोट डालने के लिए कतार में लगे हुए थे।मतदानकर्मी वोटरों के पहचान पत्र को वेरिफाइ करके अनिवार्य प्रक्रिया का पालन कराते हुए मतदान करवा रहे थे। इसी दौरान एक महिला मतदाता उषा देवी जब मतदान के लिए पहुंचीं तो उन्हें पता चला कि वो वोट नहीं डाल सकतीं। दरअसल, निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड में उन्हें मृत घोषित किया गया था और वोटर लिस्ट से नाम काट दिया गया था। लेकिन जब वो खुद सामने आयीं तो उन्हें ये जानकर हैरानी हुई।उन्होंने अपना मरदाता पहचान पत्र दिखाया ,लेकिन इसके बावजूद रिकॉर्ड में मृत दर्शाए जाने के कारण उन्हें वोट डालने देने से वंचित कर दिया गया।
रोह में भी मृत बता एक युवक का नाम वोटर लिस्ट से काटा गया
निर्वाचन से जुड़े मामले के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का ऐसा ही एक मामला नवादा के रोह में पाया गया, जहां उत्क्रमित विद्यालय रोह के बूथ नंबर 40 पर जब पंकज कुमार नाम का एक मतदाता वोट डालने पहुंका तो उन्हें पता चला कि उसे मृत घोषित करके उसका नाम विलोपित कर दिया गया है।गौरतलब है कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की शिकायतें कई बूथों से मिल रही हैं।नाम विलोपित करने या दूसरे बूथों पर नाम शिफ्ट करने का मामला सामने आ रहा है।वोटरों को अपना नाम वोटर लिस्ट में ढूंढने में परेशानी हो रही है।
मतदाता दिवस जैसे कई कार्यक्रमों का प्रतिवर्ष होता है आयोजन
मतदाता पहचान पत्र में मतदाता का नाम,पता और उम्र जैसी गड़बड़ियां तो आम है, मतदाता सूचि में मृत दिखाकर मतदाता का नाम मतदाता सूची से विलोपित कर देने जैसी बड़ी गड़बड़ियां भी अक्सर चुनाव के दौरान देखने को मिल जाती है।और यह सब तब भी हो रहा है जबकि सरकार इसे रोकने के लिए प्रतिवर्ष कई कार्यक्रमों का आयोजन करती है।चुनावी वर्ष में तो ऐसे कार्यक्रमों की संख्या और भी बढ़ जाती है।प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को मतदाता दिवस का आयोजन किया जाता है।रैंडम चेकिंग की भी व्यवस्था है।लेकिन अक्सर चुनाव विभाग से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों के द्वारा ढिलाई बरते जाने से मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी हो जाती है और कई लोग मतदान से वंचित रह जाते हैं।दूसरी तरफ मतदाता मतदाता पहचान पत्र के भरोसे रह जाता है ,जिसमें मतदाता सूची से उसके नाम विलोपित होने जैसे कॉलम होते ही नहीं है और न ही चुनाव से जुड़े कर्मचारियों या अधिकारियों द्वारा उसके मतदाता सूची से नाम विलोपन से जुड़ी जानकारी ही देते हैं।