Homeदेशमणिपुर में हिंसा जारी ,कांगपोकपी जिले में आपातकालीन बंद से बढ़ी परेशानी 

मणिपुर में हिंसा जारी ,कांगपोकपी जिले में आपातकालीन बंद से बढ़ी परेशानी 

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न्यूज़ डेस्क 
देश के भीतर पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं। सभी पार्टियां चुनाव खेल को आगे बढ़ाने में लगी हुई है। लेकिन मणिपुर आज भी जल रहा है। न किसी पार्टी को मनियर की सुध है और न ही सत्ता सरकार को। बीजेपी की वहां सरकार है लेकिन मणिपुर की हालत ख़राब है। अगर यही सरकार किसी दूसरी पार्टी की होती तो आज मणिपुर की सरकार बदल गई रहती या फिर राष्ट्रपति शासन के हवाले होता मणिपुर। लेकिन मणिपुर जल रहा है और बीजेपी की सरकार भी चल रही है। आजाद भारत का यह अनोखा सच है।          
       मणिपुर में हिंसा की एक ताजा घटना में सोमवार को कांगपोकपी जिले में अज्ञात सशस्त्र गिरोह ने दो लोगों की हत्या कर दी।पुलिस ने बताया कि यह घटना आदिवासी बहुल कांगपोकपी जिले के कांगचुप इलाके में हुई।हत्या के बाद आदिवासी एकता समिति, सदर हिल्स कांगपोकपी ने पूरे कांगपोकपी जिले में 48 घंटे के लिए आपातकालीन बंद लगा दिया और सभी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और बाजारों को बंद करने की घोषणा की और वाहनों की आवाजाही को 48 घंटे के लिए प्रतिबंधित कर दिया। 
 दोनों शवों को मोटबुंग पीएचसी में लाया गया, जहां मोटबुंग सामुदायिक हॉल में एक शोक समारोह आयोजित करने से पहले उनका पोस्टमार्टम किया गया। कांगपोकपी के सैकड़ों कुकी-ज़ो लोग दोनों के शव पाने के लिए गमगीफाई में एकत्र हुए और उन्‍होंने मृतकों को बंदूक की सलामी दी।मीडिया से बात करते हुए सीओटीयू के सूचना और प्रचार सचिव थांगटिनलेन हाओकिप ने कहा कि सोमवार को उग्रवादियों द्वारा आदिवासियों पर किए गए हमले से एक बार फिर कुकी-ज़ो-बहुल क्षेत्र में उनकी आक्रामकता का स्पष्ट संकेत मिलता है।
                 सीओटीयू ने दोनों आदिवासियों की हत्या में केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की और हाओकिप ने केंद्र से पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए थांगमिनलुन हैंगशिंग और हेनमिनलेन वैफेई की भीषण हत्या का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने का आग्रह किया। सीओटीयू ने केंद्र से यह भी आग्रह किया कि वह संबंधित अधिकारियों को क्रूर हमले और हत्या में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए सक्रिय कदम उठाने का निर्देश दे, साथ ही संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दे कि कुकी-ज़ो-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में ऐसा कोई हमला और हत्या न हो।
             मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जा दिए जाने के खिलाफ 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। इस मार्च का विरोध किए जाने पर मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी। उसके बाद से अब तक 180 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हो गए। ।

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