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जनवरी में प्रभु श्रीराम की प्राणप्रतिष्ठा की तैयारी अयोध्या में की जानी है। प्रधानमंत्री भी इसमें शामिल होंगे। उन्होंने अपनी सहमति भी दे दी है। लेकिन दूसरी तरफ विश्व हिन्दू परिषद् पुरे देश में इस आयोजन का अलख जगा रहा है। विहिप का मकसद पुरे देश के पांच लाख से ज्यादा मंदिरों को एक साथ जोड़ने की है। हिन्दू समाज के चाहे जिस भी समुदाय के मंदिर हों सबको एक साथ लाने के प्रयास किये जा रहे हैं। सबको निमंत्रित किया जा रहा है। मंदिरों के पंडो -पुजारियों से बातचीत की जा रही है। जानकारी के मुताबैक विहिप यह सब आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए कर रहा है। सभी जातियों के मंदिरों के एक साथ जोड़कर जातिगत सोंच को ख़त्म करने की बात की जा रही है। बता दें की हाल में ही बिहार में हुए जातीय गणना के बाद देश भर में जातिगत गणना करने की मांग विपक्ष की तरफ से उठाया जा रहा है।
विहिप के संयुक्त महासचिव डॉ. सुरेंद्र जैन ने बताया कि भगवान राम के जीवन का एक सबसे बड़ा संदेश यही है कि हर समाज के लोगों को साथ लेकर आगे चलने से ही विजय मिलती है। लेकिन राजनीतिक स्वार्थवश कुछ राजनीतिक दल और कुछ नेता हिंदू समाज को जातियों में बांटने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे समय में हिंदू समाज को एक करने की आवश्यकता बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि उद्घाटन के दिन राम मंदिर से ही यह संदेश जाना चाहिए कि पूरा हिंदू समाज एक है और वे इसी के लिए प्रयास कर रहे हैं।
जैन के अनुसार इसके पहले जब पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने जातिगत आरक्षण लागू कर हिंदू समुदाय को विभिन्न जातियों में बांटने की कोशिश की थी, उस समय भी विहिप ने चरण पादुका पूजन कार्यक्रम चलाया था। इस कार्यक्रम से देश के हर समाज, हर जाति के लोग जुड़े और जातिगत दूरी को कम करने में मदद मिली। इसी प्रकार कुछ समय पहले राम मंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि अभियान की शुरुआत की गई। इस कार्यक्रम से भी देश के करोड़ों हिंदू परिवार जुटे और जातिगत दूरी पीछे रह गई। उन्होंने कहा कि जब-जब राम की बात आती है, पूरा देश जातिगत दूरियों को भूलकर एक हो जाता है। विहिप राम नाम की इसी शक्ति के सहारे हिंदू समुदाय की सबसे बड़ी कमजोरी को दूर करने की कोशिश करेगी।
भाजपा 2024 में लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में आने की तैयारी कर रही है। विपक्ष के जातिगत जनगणना और ओबीसी समुदाय की भागीदारी के दांव से भाजपा की राह मुश्किल हुई है। यह उसके लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी बाधा भी बन सकता है। भगवा खेमे के आलोचकों का कहना है कि राम मंदिर के उद्घाटन के जरिये भाजपा विपक्ष के इसी हमले से बचने की काट खोज रही है।