न्यूज़ डेस्क
जैसे-जैसे राजस्थान में चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है बीजेपी के भीतर द्वन्द बढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ बीजेपी खड़ी है और पार्टी इस बार उन्हें सीएम का चेहरा नहीं बनाना चाहती। उधर वसुंधरा अपनी पूरी ताकत के साथ बीजेपी के इस खेल को ध्वस्त करने में जुटी है। आगामी चार मार्च को वसुंधरा राजे सालासर मंदिर में अपना जन्मदिन मनाने का ऐलान किया है। हालांकि उनका जन्म दिन आठ मार्च को है लेकिन होली की वजह से वह चार मार्च को ही मंदिर में जन्मदिन मनाने की तैयारी में जुटी हैं। कहा जा रहा है कि आयोजन के जरिये वसुंधरा के समर्थक अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। करीब एक लाख भीड़ इस आयोजन में जुटने की बात कही जा रही है।
उधर बीजेपी किसी भी सूरत में वसुंधरा के इस आयोजन को कमजोर करने को तैयार है। बीजेपी संगठन ने 4 मार्च को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का भी आह्वान किया है। हालांकि, राजे के पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि वह पहले की तरह इस विरोध प्रदर्शन से दूर रहेंगी। इसे पूर्व सीएम और बीजेपी संगठन को समानांतर चलते देखा जाएगा।
बता दें कि कोविड के दौरान भी, राजे ने अपनी वसुंधरा जन रसोई शुरू की थी, इसके तहत प्रभावितों को भोजन परोसा गया था, जबकि बीजेपी ‘सेवा ही संगठन’ अभियान के तहत काम कर रही थी। राजे उपचुनाव प्रचार के साथ-साथ हाल ही में राज्य बीजेपी इकाई द्वारा आयोजित जनाक्रोश यात्रा में भी शामिल नहीं हुई थीं।
कहा जा रहा है कि चार मार्च को बर्थडे शो के बहाने वसुंधरा का अब तक का सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन होगा। वसुंधरा के करीबी नेताओं ने आयोजन की तैयारियों का जायजा लिया है। राजे लगातार देव दर्शन और धार्मिक यात्राओं के माध्यम से फिर से मुख्यमंत्री बनने की अपनी आकांक्षा को सार्वजनिक करती रही हैं। लेकिन चुनावी साल होने के कारण वह सालासर में अपनी ताकत का परिचय देंगी और कई निशाने साधेंगी। इसके साथ ही बीजेपी में चल रही उठापटक के बीच कई राजनीतिक निहितार्थ भी सामने आएंगे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
इस कार्यक्रम को लेकर पार्टी नेतृत्व की ओर से कोई घोषणा नहीं की गई है क्योंकि यह उनका निजी कार्यक्रम है। अभी भी उनके समर्थक, पूर्व मंत्री-विधायक और पदाधिकारी हर संभव तरीके से इसका समर्थन कर रहे हैं। इसे ऐतिहासिक बनाने की तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो गई थी। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए दोनों पार्टियों के गुट दीर्घावधि में अपनी छाप छोड़ने में सक्षम हैं या नहीं, यह देखना अभी बाकी है। लेकिन इस बात की संभावना ज्यादा है कि वसुंधरा इस बार पार्टी के लिए सिरदर्द होती जा रही है। अगर पार्टी ने कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया तो आने वाले समय में पार्टी के भीतर बहुत कुछ हो सकता है। संभव है कि वसुंधरा कोई अलग गुट बनाकर भी मैदान में उतर सकती है।