बीरेंद्र कुमार झा
चुनाव संपन्न होने के बाद हुए एग्जिट पोल में राजस्थान में न तो कांग्रेस को और न ही बीजेपी को क्लियर कट मेजॉरिटी दी गई है। विभिन्न सर्वे दल इसे लेकर अलग- अलग दावे कर रहे हैं।कोई बीजेपी को जीत दिला रहा है तो कोई कांग्रेस को।साथ ही इनके रेंज भी काफी बड़े हैं जो इनके दावों पर बड़े अलटफेर की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।ऐसे में अब एग्जिट पोल की जगह अब 3 दिसंबर को एक्जैक्ट पोल से ही सही तौर पर पता चलेगा। इसके अलावा राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव भी वसुंधरा राजे या किसी अन्य क्षेत्रीय नेताओं के नाम पर ना लड़कर मोदी के नाम पर लड़े,बावजूद इसके इस बात को लेकर बीजेपी के अंदर यह तुल पकड़ने लगा है कि यदि पार्टी सत्ता में आने में सफल रही तो मुख्यमंत्री का चेहरा कोई और नहीं बल्कि वसुंधरा राजे ही होगी। कहा तो यहां तक जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का रास्ता नहीं रोक पाएंगे, क्योंकि आरएसएस ने एन वक्त पर अपनी रणनीति बदल ली है।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है की 199 में से 65 बीजेपी प्रत्याशी वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक हैं,जो वसुंधरा राजे के लिए विद्रोह भी करने के लिए तैयार है। बीजेपी आलाकमान के लिए भी इतनी बड़ी संख्या में विधायकों की अनदेखी करना मुश्किल हो सकता है। साथ ही वसुंधरा राजे ने इस बार सिर्फ अपने समर्थकों के विधानसभा क्षेत्र में ही प्रचार किया है। गौरतलब है की तिजारा से भाजपा प्रत्याशी महंत बालकनाथ और बहरोल से जसवंत यादव वसुंधरा राजे की पैरवी कर चुके हैं।
क्या थी आरएसएस की पूर्व मंशा
पूर्व में राजस्थान को लेकर आरएसएस की मंशा यह थी कि यहां वसुंधरा राजे की जगह किसी नए चेहरे को प्रोजेक्ट किया जाए। यही कारण था कि आरएसएस ने ही बीजेपी को राजस्थान में चुनाव वसुंधरा राजे के नाम पर चुनाव न लड़कर मोदी के नाम पर लड़ने के निर्देश दिए थे। दरअसल आरएसएस पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और दिया कुमारी को लेकर राजस्थान में दांव खेलने की सोच रहा था। रेल मंत्री को पार्टी ने बतौर ब्राह्मण चेहरा प्रोजेक्ट भी किया था, लेकिन वे वसुंधरा राजे की तुलना में मजबूत साबित नहीं हो पाए। वहीं दूसरी तरफ पार्टी का एक बड़ा धड़ा दिया कुमारी का विरोध कर रहा है खासकर वसुंधरा राजे समर्थकों के द्वारा।
आरएसएस ने बदली रणनीति
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्टी में संभावित विद्रोह को रोकने के लिए आरएसएस ने एन वक्त पर अपनी रणनीति बदल ली है।आरएसएस को राजस्थान में वसुंधरा राजे के मुकाबले कोई दमदार चेहरा मिल ही नहीं।घुमा-फिरा कर बात वसुंधरा राजे पर ही आकर समाप्त हो गई और खासकर पिछले 6 महीने के दौरान वसुंधरा राजे ने राजस्थान में जबरदस्त वापसी भी की है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है अगर राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आती है,तो वसुंधरा राजे का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है।