न्यूज डेस्क
समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान और उनके परिवार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आजम खान की विधायकी रद्द होने के बाद अब उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान की भी विधायकी चली गई है। विधानसभा ने अब्दुल्ला की सीट रिक्त घोषित कर दी है। अब्दुल्ला आजम रामपुर की स्वार विधानसभा सीट विधायक हैं। हाल ही में मुरादाबाद की छजलैट थाने में चल रहे एक मामले में अब्दुल्ला आजम को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है। इसके बाद भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने प्रमुख सचिव विधानसभा को पत्र लिखकर स्वार सीट खाली घोषित करने की मांग की थी।
तीन साल पहले भी गई अब्दुल्ला आजम की विधायकी
अब्दुल्ला आजम को 15 साल पहले हरिद्वार हाईवे पर जाम करने के मामले में दो साल की सजा हुई है।अब्दुल्ला आजम रामपुर की स्वर सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2022 में विधानसभा चुनाव जीते थे। तीन साल पहले भी अब्दुल्ला आजम की विधायकी गई थी। तब अब्दुल्ला की विधायकी उम्र के फर्जी प्रमाणपत्र मामले में गई थी।
क्या है मामला
छजलैट पुलिस ने 29 जनवरी 2008 को सपा के पूर्व मंत्री और रामपुर के पूर्व विधायक आजम खान की कार को चेकिंग के लिए रोका था। इस दौरान गुस्सा होकर सपा नेता आजम खान सड़क पर बैठ गए थे। वहीं आजम खान और उनके साथियों पर सड़क जाम करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने, भीड़ को उकसाने आरोप लगे थे और यह कार्रवाई इसी मामले में ही हुई है।
साल 2008 में मुरादाबाद के छाजलैट थाने में दर्ज हुए इस मुकदमे की सुनवाई मुरादाबाद के स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में आजम खान और अब्दुल्लाह खान, महबूब अली सहित 9 सपा नेता आरोपी थे। हालांकि कोर्ट ने बाकी लोगों को निर्दोष करार दिया है और आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला खान को इस मामले में दोषी करार दिया है।
बता दें कि इस केस में अमरोहा के सपा विधायक महबूब अली, पूर्व सपा विधायक हाजी इकराम कुरैशी (अब कांग्रेस में), बिजनौर के सपा नेता मनोज पारस, सपा नेता डीपी यादव, सपा नेता राजेश यादव और सपा नेता रामकुंवर प्रजापति आरोपी थे। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम खान की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पूर्व विधायक को चुनाव की तारीख पर न्यूनतम योग्यता आयु प्राप्त नहीं करने के कारण अयोग्य घोषित किया गया था।