विकास कुमार
एक बार फिर देश में समान नागरिक संहिता पर चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। विधि आयोग ने हाल ही में समान नागरिक संहिता को लेकर सलाह और टिप्पणी मांगी है। विधि आयोग ने हाल ही में कहा कि उसने यूसीसी की आवश्यकता को नए सिरे से देखने और हितधारकों के विचार जानने का फैसला किया है। वहीं इस संहिता को लेकर राजनीतिक दलों की भी राय बंटी हुई है। बीजेपी के नेता जहां आंख मूंदकर समान नागरिक संहिता का समर्थन कर रहे हैं। वहीं जेडीयू और आरजेडी जैसे दल इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं। बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के लिए संविधान धारा 44 में प्रावधान है। उन्होंने मोदी सरकार से इसे जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह भी किया है।
वहीं समान नागरिक संहिता को लेकर उद्धव ठाकरे ने भी अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि अगर समान नागरिक कानून लाया जाएगा तो वे उसके साथ हैं। लेकिन ये भी बताया जाना चाहिए कि इससे हिंदुओं को क्या दिक्कतें आएगी। ठाकरे ने कहा कि हम सभी के लिए समान नागरिक संहिता का स्वागत करते हैं। लेकिन क्या यह हिंदुओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा? यदि बीजेपी पूरे देश में गोहत्या पर प्रतिबंध को लागू नहीं कर सकी तो समान नागरिक संहिता को कैसे लागू किया जा सकता है?
हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में बीजेपी को करारी हार मिली है। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सभी विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं। ऐसे में बीजेपी की सरकार ने अपने पिटारे से समान नागरिक संहिता का नया मुद्दा निकाल लिया है। लेकिन भारत जैसे विशाल देश में समान नागरिक संहिता लागू करना लोहे के चने चबाने जैसा है। अगर मोदी सरकार ने इस बार भी हड़बड़ी में कोई कदम उठाया तो उनके खिलाफ बड़ा आंदोलन खड़ा हो सकता है।