अखिलेश अखिल
बिहार कमाल कर रहा ही .बिहार पर आज सबकी निगाह है। निगाह तो बिहार पर पहले भी लगी रही है लेकिन आज कुछ कड़ी निगाह है। बिहार में भले ही विकास की गड़ी पिछड़ती दिखी हो लेकिन वहां राजनीति खूब होती है। इतनी राजनीति जिसकी कल्पना भी नहीं की ज सकती। राजनीति जितना बिहार के लोग समझते हैं उतनी समाज देश के गोदी पत्रकारों को तो कतई नहीं होती। जिसका ईमान ही नहीं है वह राजनीति और लोगों के मिजाज को क्या जाने !
कहते हैं कि बिहार यूपी और झारखंड के लोग जाति की राजनीति करते हैं लेकिन यह भी सच नहीं है। सच तो यही है कि इन राज्यों के लोग सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ते हैं। यह लड़ाई कभी नीतीश कुमार लड़ते नजर आते हैं तो कभी लालू यादव लड़ते दीखते हैं। लेकिन बीजेपी जैसी पार्टी तो कतई सामाजिक न्याय की लड़ाई नहीं लड़ती। यह बिहार ही है जब नीतीश कुमार राजद के साथ जाते हैं तो बिहार में कुशासन का राज होता है और जैसे ही नीतीश जाते हैं बिहार से लेकर दिल्ली तक सुशासन की कहानी गाढ़ी जाने लगती है। लेकिन बिहार में कुछ बदलता नहीं। यह गजब का बिहार है और गजब की राजनीति।
आज बिहार फिर फैसला करेगा। किसकी नाक कटती ही यह देखना होगा। नीतीश की नाक बचती है यह नहीं। बीजेपी का साख बचता है या नहीं। लालू का इकबाल कायम होता है या नहीं। आज बहुत कुछ दिखेगा। 14 दिनों से जिस ‘खेला’ की चर्चा पूरे देश में है, वह वास्तव में हुआ या नहीं- कुछ घंटे बाद पता चल जाएगा। बिहार की नीतीश कुमार सरकार का बहुमत परीक्षण आज है। पक्ष में 128 विधायक थे, विपक्ष में 114 और एक अलग। क्या रहता है आज फ्लोर टेस्ट में?
पूर्व उपमुख्यमंत्री और सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विधानसभा में एकजुट एनडीए बहुमत सिद्ध करेगा और “खेला होने का” झूठ तार-तार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए लोकसभा चुनाव में 400 पार का लक्ष्य पाकर तीसरी बार सरकार बनाने के आत्मविश्वास से भरा है, उस समय बिहार में एनडीए का कोई भी विधायक विपक्ष की डूबती नाव पर क्यों सवार होना चाहेगा?
रविवार मध्य रात्रि को फिर सैकड़ों पुलिस बल तेजस्वी आवास पहुंचने पर राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है। राजद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि नीतीश कुमार ने सरकार जाने के डर से हजारों की संख्या में पुलिस भेज तेजस्वी जी के आवास को चारों तरफ़ से घेर लिया है। ये किसी भी तरह से किसी भी बहाने आवास के अंदर घुस कर विधायकों के साथ अप्रिय घटना करना चाहते है। बिहार की जनता नीतीश कुमार और पुलिस के कुकर्म देख रही है। याद रहे हम डरने और झुकने वालों में से नहीं है। ये वैचारिकी का संघर्ष है और हम इसे लड़ेंगे और जीतेंगे क्योंकि बिहार की न्यायप्रिय जनता इस पुलिसिया दमन का प्रतिकार करेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्ष 2000 में सात दिन के लिए मुख्यमंत्री रह सके थे। तब इसी तरह के बहुमत परीक्षण में वह हार गए थे। इस बार वैसी परिस्थिति बनती है या खेला का सारा दावा हवा-हवाई रह जाता है- यह देखना दिलचस्प होगा। यह मुकाबला दो दिन से ज्यादा दिलचस्प हो चुका था। परिणाम, यानी फ्लोर टेस्ट से एक दिन पहले जमकर नाटक भी हुआ। नाटक भी ऐसा कि पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के आवास पर पुलिस पहुंच गई राष्ट्रीय जनता दल के ही एक विधायक की गुमशुदगी की शिकायत जांचने।
राजद अपने 79 विधायकों को साथ रखने की जद्दोजहद करता रहा, मगर शनिवार दोपहर बाद से रविवार की रात तक उसके सारे नहीं पूरे हुए। सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड का भी यही हाल रहा। उसके भी सभी 45 एक जगह रात तक जुटाए ही जाते रहे। भाजपा ने शनिवार-रविवार के दरम्यान बोधगया से पटना तक का सफर पूरा करा दिया, लेकिन उसके भी सभी 78 विधायक एक जगह नहीं जुटे।
कांग्रेस के 19 में से 16 विधायक हैदराबाद से आ गए, जबकि तीन पहले से तेजस्वी यादव के आवास पहुंचे बताए गए। इन सारी परिस्थितियों के बीच सोमवार के फ्लोर टेस्ट की चिंता में ही रविवार की रात गुजरी और अब सुबह सभी को इंतजार है विधानसभा में अपनी संख्या पूरी दिखाने और प्रयास है सामने वाले का नंबर कम करने का।