इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा दुनियाभर में हो रही है। टैरिफ लगने के बाद पूरी दुनिया के अर्थव्यवस्था में भूचाल आ गया है। जानकारी के अनुसार टैरिफ को लेकर करीब 50 से अधिक देशों ने अमेरिका से संपर्क साधा है।ट्रंप के इस बड़े फैसले में काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर्स ने काफी बड़ा रोल निभाया है। ट्रंप के इस टीम ने पूरी दुनिया के सिस्टम को हिला कर रख दिया है।इन तीन लोगों की चर्चा दुनियाभर में हो रही है।
इन तीन लोगों में एक स्टीफन मिरान
ट्रंप सरकार के आर्थिक सलाहकार परिषद (Council of Economic Advisers) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने 2005 में बोस्टन विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र, दर्शन शास्त्र और गणित में स्नातक किया और 2010 में हार्वर्ड से अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की है।वे अमेरिका के विख्यात अर्थशास्त्री मार्टिन फेल्डस्टीन के शिष्य रहे हैं, जिन्होंने 1980 के दशक में रोनाल्ड रिगन के तहत CEA की अध्यक्षता की थी।
इन तीन चेहरों में एक अन्य
पियरे यारेड हैं जो कोलंबिया बिजनेस स्कूल में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर और वरिष्ठ वाइस डीन हैं। वे ट्रंप की आर्थिक नीति के प्रमुख सलाहकारों में से एक हैं और वैश्विक आर्थिक रणनीतियों में उनकी भूमिका काफी अहम मानी जाती है।
इन तीन चेहरों में एक किम रूहल (Kim Ruhl) यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन में प्रोफेसर हैं।वे अमेरिकी व विदेशी व्यापार, अंतरराष्ट्रीय पूंजी प्रवाह और मैक्रो इकनॉमिक्स के विशेषज्ञ माने जाते हैं। वे भी आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य हैं और राष्ट्रपति को नीति निर्धारण में सलाह दे रहे हैं।
ट्रंप अभी भी अपने टैरिफ नीति पर कायम हैं ।रविवार को CBS को दिए इंटरव्यू में ट्रंप के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति ट्रंप अपनी घोषित टैरिफ नीति पर कायम रहेंगे, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति अमेरिका के साथ-साथ अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है।
गौरतलब है कि ट्रंप के टैरिफ से उत्पन्न वैश्विक व्यापारिक उथल – पुथल के बीच भारत के लिए एक राहत भरी बात यह है कि ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत भारत पर लगाए 26% टैरिफ से भारत को फिलहाल 90 दिनों के लिए मोहलत दे दिया है।भारत इसका फायदा उठाकर फिलहाल अमेरिका में अपना निर्यात बढ़ा सकता है।