नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को उत्तर प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के बिना निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना आरक्षण के चुनाव नहीं होंगे। कोर्ट ने ये भी कहा कि हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों को संज्ञान में नहीं रखा। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार के लिए राहत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, इस मामले पर यूपी सरकार पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार ने आरक्षण का ध्यान नहीं रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, पिछड़ा आयोग को 31 मार्च तक सभी काम पूरा करना होगा।
Supreme Court stays Allahabad High Court’s order directing the Uttar Pradesh government to hold local urban bodies elections in the State by January without granting reservation to OBCs. pic.twitter.com/SzeCaTzdit
— ANI (@ANI) January 4, 2023
कोर्ट ने तीन महीने बाद दी निकाय चुनाव कराने की अनुमति
कोर्ट ने निकाय चुनाव को तीन महीने बाद कराने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि इस दौरान कोई भी बड़ी नीतिगत फैसला नहीं लिया जा सकता है। आयोग तीन महीने के अंदर अपना काम पूरा करने की कोशिश करे। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में चुनाव कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नया नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गयी योगी सरकार
बता दें कि शहरी स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में निकाय चुनावों पर सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया गया था।
सरकार ने रखा अपना पक्ष
आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई की हुई। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से बताया कि निकाय चुनाव के लिए उसकी तरफ से जारी आरक्षण सूची में कोई विसंगति नहीं थी। निकाय चुनाव के लिए वॉर्डों और सीटों के आरक्षण में सभी नियमों का पालन किया गया। अभी सुप्रीम कोर्ट कोर्ट में मामले की सुनवाई जारी रहेगी। उसके फैसले के बाद ही निकाय चुनाव कराने को लेकर तस्वीर साफ हो पाएगी।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पांच दिसंबर 2022 को निकाय चुनाव के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। कहा गया कि यूपी सरकार ने आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं किया है। इस पर हाईकोर्ट ने आरक्षण की अधिसूचना रद्द करते हुए यूपी सरकार को तत्काल प्रभाव से बिना ओबीसी आरक्षण लागू किए नगर निकाय चुनाव कराने का फैसला दे दिया था।