बीरेंद्र कुमार झा
रामनगरी अयोध्या में रामलला के पांच दिवसीय प्रमाण प्रतिष्ठा समारोह का अनुष्ठान, पांच दिवसीय अनुष्ठान 17 जनवरी से शुरू होकर 22 जनवरी तक चलेगा। इसके बाद 48 दिनों का मंडल पूजन और मंडल अभिषेकम भी होगा जो की 7 मार्च महाशिवरात्रि तक चलेगा। इस मंडल पूजन में देशभर में व विदेश में प्रवासी भारतीय भी यजमान के रूप में सम्मिलित हो सकेंगे। इस दौरान सवा सौ वैदिक आचार्यगण चार वेदों की छह शाखाओं के दिव्य ग्रंथों का पारायण करेंगे।
यह जानकारी कांची कामकोटि के शंकराचार्य स्वामी विजेंद्र सरस्वती ने दी।शंकराचार्य स्वामी विजेंद्र सरस्वती इन दिनो अयोध्या में ही प्रवास कर रहे हैं। बीती शाम वह राम मंदिर निर्माण का अवलोकन करने गए थे।उन्होंने अमावा राम मंदिर में आचार्य किशोर कुणाल का आतिथ्य स्वीकार किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह 2 अक्टूबर को काशी प्रस्थान करेंगे। वहां रामलला के प्रतिस्ठाचार्य बने पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित व पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ सहित अन्य विद्वानों के साथ परामर्श का रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के निर्धारित कार्यक्रम को अंतिम रूप प्रदान करेंगे।
तिरुपति बालाजी की तरह सुप्रभातम से लेकर सायं तक निर्दिष्ट विधि से होगी पूजा
शंकराचार्य ने बताया कि भगवान श्री राम यज्ञ संरक्षण मूर्ति हैं। उनकी पूजा उत्तम प्रकार से होगी और पालकी यात्रा भी निकाली जाएगी। उन्होंने कहा कि तिरुपति बालाजी में जिस प्रकार सुप्रभातम से लेकर शयन तक पूजन का विधान है, उसी प्रकार रामलाल की भी पूजा होगी। उन्होंने कहा कि रामलला का प्रतिष्ठा समारोह इस शताब्दी का मुख्य उत्सव है।
देश के 50 केदो के अलावा लखनऊ क्षेत्र के चारों प्रांत से बुलाए गए दो-दो प्रमुख
श्री राम जन्मभूमि के क्षेत्र महासचिव चंपतराय के अनुसार पूजित अक्षत को देश के 5 लाख गांव के हर घर में पहुंचने की व्यवस्था अब तय कर दी गई है। इसके वितरण की प्रक्रिया में 5 नवंबर को देश के 50 केदो के दो-दो प्रमुखों के अलावा लखनऊ क्षेत्र के चारों प्रांत कानपुर प्रांत, अवध प्रांत गोरक्ष प्रांत और काशी प्रांत के 27 विभागों से भी दो-दो प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। यह सभी प्रमुख प्रखंड स्तर पर अक्षत के साथ-साथ पत्रको को भिजवाकर संगठन के पदाधिकारी के माध्यम से गांव-गांव वितरण सुनिश्चित करेंगे। अक्षत एवं पत्रको का वितरण कार्यक्रम 1 जनवरी से 15 जनवरी 2024 के बीच होगा।