रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया और इसे बढ़ाने की भी धमकी दी।जब रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ था उस समय अमेरिका ये चाहता था कि भारत रूसी तेल खरीदे। भारत में पूर्व अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी का एक पुराना बयान सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा कि हम रूसी तेल खरीदने के लिए नई दिल्ली की सराहना कर रहे हैं।
जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान दिल्ली में पूर्व अमेरिकी राजदूत एरिक गर्सेटी ने साल 2024 में कहा कि भारत ने रूसी तेल इसलिए खरीदा क्योंकि हम (अमेरिका) चाहते थे कि कोई तय सीमा मूल्य पर रूस से तेल खरीदे। यह किसी भी प्रकार का कोई उल्लंघन नहीं था, बल्कि नीति का ही एक हिस्सा था, क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि तेल की कीमतें बढ़ें और उन्होंने (भारत) इसे पूरा किया। उन्होंने कहा था कि अमेरिका खुश है कि भारत ने प्रतिबंधित रूसी तेल खरीदने का आदेश पूरा किया।
उस समय एरिक गार्सेटी के बयान पर विवाद छिड़ गया था। बाद में अमेरिकी वित्त विभाग ने भी 2024 की शुरुआत में बयान जारी कर कहा था कि अमेरिका ने भारत से रूस से कच्चा तेल आयात बंद करने के लिए नहीं कहा है।सिर्फ गार्सेटी ही एकमात्र ऐसे उदाहरण नहीं हैं, जिन्होंने रूस के साथ भारत के तेल व्यापार का समर्थन किया था।साल 2022 में तत्कालीन अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने कहा था कि वाशिंगटन इस बात से खुश है कि भारत जितना चाहे उतना रूसी तेल खरीदना जारी रखे।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में जेनेट येलेन ने कहा ने कहा कि जब यूरोपीय यूनियन रूसी तेल खरीदना बंद कर देगा तो रूस के लिए उतना तेल भेजना जारी रखना बहुत मुश्किल हो जाएगा जितना वे अब तक करते आए हैं। उन्हें खरीदारों की भारी तलाश होगी और कई देश इसके लिए पश्चिमी देशों पर निर्भर हैं।हालांकि अब वही अमेरिका है जो भारत के रूसी तेल आयात को यूक्रेन युद्ध के लिए जिम्मेदार बता रहा है।
भारत रूस से सबसे बड़ा समुद्री तेल खरीदार बन गया है, जो यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों के प्रतिबंध की मार झेल रहा है।रूस ने जब से यूक्रेन पर हमले शुरू किए हैं तब से युद्ध के कारण यूरोप के साथ व्यापार करने वाले कई देश कटने लगे।इससे रूस को एक बड़ा बाजार मिला गया।इससे ऊर्जा संबंधों में भारी बदलाव आया है, जिससे भारत ने अरबों डॉलर की बचत की है और साथ ही मास्को के खजाने में भी इजाफा हुआ।
इस साल जनवरी से जून के बीच भारतीय रिफाइनर रोज 1.75 मिलियन बैरल रूसी तेल का आयात किया, जो पिछले साल पहले की तुलना में एक फीसदी ज्यादा है । 2023 में भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूस का योगदान 35 फीसदी से अधिक था।
अब डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत से आने वाले सामानों पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी है।ट्रंप ने कहा कि भारत रूस से भारी मात्रा में तेल सिर्फ खरीद ही नहीं रहा है, बल्कि उस तेल के बड़े हिस्से को खुले बाजार में ऊंचे दामों पर बेचकर भारी मुनाफा भी कमा रहा है।भारत को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि यूक्रेन में रूस की युद्ध मशीन कितने लोगों की जान ले रही है।इसी वजह से मैं भारत से अमेरिका को दिए जाने वाले शुल्क को काफी बढ़ाने जा रहा हूं।
भारत ने अमेरिका और यूरोपीय यूनियन की ओर से रूस से तेल आयात को लेकर की जा रही आलोचना का कड़ा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोमवार को एक बयान में कहा कि भारत ने यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात शुरू किया, क्योंकि उस समय पारंपरिक तेल आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी।
रणधीर जायसवाल ने कहा कि उस समय अमेरिका ने खुद भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता बनी रहे। भारत के लिए यह कदम राष्ट्रीय जरूरत था, लेकिन जो देश आज भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे स्वयं रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं।भारत को निशाना बनाना बिल्कुल अनुचित और दोहरे मापदंड का उदाहरण है।भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता रहेगा।
विदेश मंत्रालय ने आंकड़े देते हुए बताया कि 2024 में यूरोपीय संघ और रूस के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 अरब यूरो था। इसके अलावा, 2023 में सेवाओं में भी दोनों के बीच 17.2 अरब यूरो का व्यापार हुआ।यह व्यापार भारत-रूस व्यापार से कहीं अधिक है।2024 में यूरोप ने रूस से रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन एलएनजी (एलएनजी) का आयात किया, जो 2022 के पिछले रिकॉर्ड 15.21 मिलियन टन से भी ज्यादा है।