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गौ रक्षा की राजनीति और मौजूदा हालात की काली कहानी

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अखिलेश अखिल
पहले इस आंकड़े पर ध्यान दीजिये। ये आंकड़े उन करोडो हिंदूवादी लोगो के लिए बेहद खौफनाक हो सकते हैं जो हिंदुत्व ,गाय ,गंगा और भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगाने को तैयार हैं। गाय और गंगा बचेगी तब भारतीय संस्कृति रहेगी। सनातन बचेगा और इस परम्परा के ध्वज वाहक साधू ,संत ,महात्मा ,योगी और संसार से विरक्त रहने वाले सन्यासी की परंपरा बचेगी। सनातन की जय हो और सनातनी परम्परा अक्षुण बनी रहे यह चाहत तो सबकी है। लेकिन जिस सनातन परंपरा की केंद्र बिंदु गौ माता है अगर वही खतरे में है या फिर उनका भविष्य ही अंधकारमय है तो फिर सनातन ,हिंदुत्व ,हिन्दू संस्कृति की कल्पना कैसे की जा सकती है। गाय के बिना न सनातन हिन्दू की पहचान है और न ही हिंदुत्व वाली संस्कृति की परिकल्पना। संभव है बीजेपी जैसी पार्टी इस संस्कृति के नाम पर वोट राजनीति करती हो और कर भी रही है ताकि अधिक से अधिक सनातनी और गौ सेवक हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी के साथ जुड़े। ऐसा संभव भी हुआ है। लेकिन जो इस देश के सच्चे सनातनी है ,हिन्दू ,हिंदुत्व संस्कृति में जीने वाले हैं उन्हें राजनीति से हटकर गाय संरक्षण की चिंता ज्यादा है। गाय केवल हमारी माता ही नहीं है, यह गंगा की तरह पवित्र भी है और सनातनी परम्परा की अग्रदूत भी। गाय नहीं तो सनातन कैसा ? हिंदुत्व कैसा ? और फिर भारतीयता और राष्ट्रवाद के नारे कैसे ?

मौजूदा केंद्र की बीजेपी सरकार से लेकर बीजेपी की राजनीति के अलावा सरकार राज्यों की हर सरकार तो यही कहती है कि गाय का संरक्षण जरुरी है। गाय की सुरक्षा और गौवध को लेकर न जाने कितने कानून इस देश में बने है उसकी गिनती भी नहीं की जा सकती। बीजेपी अकसर हिंदुत्व के नारे के साथ ही गौ पालन ,गौ संवर्धन ,गौ संरक्षण ,गौशालये ,गौसेवक जैसे शब्दों का प्रयोग तो खूब करती है। इन शब्दों का राजनीतिक लाभ भी उठाती है लेकिन गाय का जो सच बहुत कुछ कहता है। ऐसे में एक सवाल तो उठता है कि गाय संरक्षा और संवर्धन के नाम पर सरकार जो वादे करती है क्या वह पूरी भी होती है ?या फिर हिंदुत्व और गाय के नारे केवल राजनीतिक लाभ के लिए लगाए जाते हैं ?

आंकड़े कहते हैं कि बीफ का अभी भी बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है। भारत दुनिया के 65 से ज्यादा देशो को बीफ निर्यात करता है। अकेला वियतनाम ही भारतीय बीफ का 40 फीसदी हिस्सा उपभोग करता है। अब सवाल है कि जब भारत में बीफ पर ही रोक है तो इतने बीफ भारत से जाते कैसे हैं ? जब सरकार कहती है कि गौवध निषेध है और गौवंश की हत्या पर प्रतिबन्ध है ,तमाम बूचड़खाने बंद हैं तो फिर बीफ निर्यात की कहानी का सच क्या है ? क्या सरकार इस पर कोई रौशनी डाल सकती है ?

दूसरा आंकड़ा कहता है कि 31 मार्च 2014 तक भारत में 1632 पंजीकृत कसाईखाने थे। इसमें 316 कसाईखाने तो केवल महाराष्ट्र में ही थे। इसके अलावा देश भर में 30 हजार से ज्यादा गैर पंजीकृत कसाई खाने थे। इसके अलावे गांव -कस्बो के छोटे कसाईखाने अलग से। मोदी की सरकार आने के बाद गौवध ,गौसुरक्षा और गौ मांस को लेकर बहुत सी राजनीति हुई ,कई लोगो की जान भी चली गई ,सरकार ने बड़े बड़े कई वादे किये ,कई कानून बनाये ,कइयों को जेल में बंद भी किया गया ,कई कसाईखाने की बंदी भी हुई लेकिन आज का सच यही है कि सब कुछ ठीक उसी तरह से चल रहे हैं जैसा पहले चलता था। आज भी हमारी गौमाता वध की शिकार होती है ,गौवंश की हत्या होती है ,बूचड़खाने के आंकड़े बढ़ते गए हैं और लगातार गौमांस का निर्यात बढ़ता ही गया है।

तीसरा आंकड़ा बताता कि भारत से गौमांस का निर्यात लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 2012 में जहां गौमांस का निर्यात 11 लाख 75 हजार मीट्रिक टन का था जो अभी पिछले साल तक 14 लाख मीट्रिक टन से भी ज्यादा हो गया है। याद रहे बीफ भक्षण तो सिर्फ 30 फीसदी ही होता है 70 फीसदी गाय का हिस्सा दूसरे व्यावसायिक कार्यों में होते हैं। गाय के सींग ,खुर ,चमड़ी ,रक्त ,हड्डी ,चर्बी से तमाम तरह के व्यावसायिक चीजें बनायी जाती है। भारतीय गोमांस के निर्यात से हर साल खरबो रुपये की आमदनी सरकार को होती है।

चौथा आंकड़ा और भी शर्मसार करता है। देश में करीब एक दर्जन से ज्यादा ऐसे बड़े कसाईखाने हैं स्तर गौमांस निर्यात करते हैं। लेकिन ये बूचड़खाने किसी मुस्लिम समुदाय के नहीं। ये बूचड़खाने इसी देश के हिन्दू संचालित करते हैं जिसका सालाना कारोबार करोडो -अरबो का है। क्या सरकार को यह सब पता नहीं ?क्या ये बूचड़खाने कभी बंद हो सकेंगे ताकि गोहत्या पर अंकुश लग सके।

इधर पिछले दिन ही उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट लखनऊ पीठ के न्यायाधीश ने देशभर में गोवध पर रोक लगाने की वकालत की है। हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के बाद जारी आदेश में केंद्र सरकार को गोहत्या पर रोक के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कानून और गाय को ‘संरक्षित राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने को कहा गया है। मामले की सुनवाई के दौरान पुराणों के हवाले से कोर्ट ने कहा कि जो कोई भी गायों को मारता है या दूसरों को उन्हें मारने की अनुमति देता है, वह नरक में सड़ने के लिए जाता है। जस्टिस शमीम अहमद ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होने के नाते सभी धर्मों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है। दरअसल, हिंदूवादी संगठनों की ओर से लगातार गोहत्या पर रोक लगाने और गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग होती रही है। अब कोर्ट की बड़ी टिप्पणी के बाद इस मसले पर चर्चा तेज होगी।

जस्टिस शमीम अहमद ने गायों की हत्या के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए गायों के वध पर प्रतिबंध लगाने की मांग को हिंदू ग्रंथों से लिया। जस्टिस अहमद ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश होने के नाते सभी धर्मों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है। इसमें हिंदू धर्म का विश्वास भी शामिल है कि गाय की रक्षा और सम्मान किया जाना चाहिए। दैवीय गुणों और प्राकृतिक रूप से भी गायों की स्थिति को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है।

कोर्ट ने 14 फरवरी को अपने आदेश में कहा कि यह अदालत भी उम्मीद और भरोसा करती है कि केंद्र सरकार देश में गोवध पर प्रतिबंध लगाने और इसे ‘संरक्षित राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने के लिए उचित निर्णय ले सकती है। अधिकांश राज्यों के गोहत्या और गोमांस की बिक्री और खपत को लेकर अपने कानून हैं। हाई कोर्ट ने उपचार शुद्धि, ‘पंचगव्य’ की तपस्या, दूध, दही, मक्खन, मूत्र और गोबर के पांच उत्पादों के अनुष्ठानों में गायों के महत्व का उल्लेख किया। कोर्ट ने कहा कि निर्माता ब्रह्मा ने एक ही समय में पुजारियों और गायों को जीवन दिया ताकि पुजारी धार्मिक ग्रंथों का पाठ कर सकें। गायों को अनुष्ठानों में प्रसाद के रूप में ‘घी’ मिल सके। कोर्ट ने कहा कि गाय विभिन्न देवताओं से जुड़ी हुई हैं। विशेष रूप से भगवान शिव (जिनका घोड़ा नंदी, एक बैल है), भगवान इंद्र (कामधेनु, इच्छा पूरी करने वाली गाय से निकटता से जुड़े), भगवान कृष्ण (अपनी युवावस्था में एक चरवाहा) और सामान्य रूप से देवी (उनमें से कई के मातृ गुणों के कारण) हैं।

हाई कोर्ट ने कहा कि गाय हिंदू धर्म के सभी जानवरों में सबसे पवित्र है। इसे कामधेनु या दिव्य गाय और सभी इच्छाओं की दाता के रूप में जाना जाता है। हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि हिंदू धर्म के अनुसार गायें समुद्रमंथन के दौरान दूध के समुद्र से निकली थीं। देवताओं और राक्षसों ने समुद्र का मंथन किया गया था। उसके पैर चार वेदों का प्रतीक हैं। उसके दूध का स्रोत चार पुरुषार्थ (या उद्देश्य, यानी धर्म या धार्मिकता, अर्थ या भौतिक धन, काम या इच्छा और मोक्ष या मोक्ष) है। उसके सींग देवताओं का प्रतीक हैं। उसका चेहरा सूर्य और चंद्रमा है और उसके कंधे अग्नि या अग्नि के देवता। उन्हें अन्य रूपों में भी वर्णित किया गया है, नंदा, सुनंदा, सुरभि, सुशीला और सुमना।

गाय भारत की संस्कृति है और हिंदुत्व का प्रतीक भी। पिछले कुछ वर्षो में गाय को लेकर बहुत से लोगो की जाने भी गई है। लेकिन सरकार की तरफ से कोई बड़ा कदम उठाया जाता जिससे गायों का वध नहीं हो पाए और गाय को समुचित संरक्षण मिले इसके उदहारण बहुत कम ही देखने को मिलते है। ऐसा हुआ होता तो इलाहबाद कोर्ट की हालित्या टिप्पणी ऐसी नहीं होती। जाहिर है गौ संरक्षण का सारा खेल राजनीति से प्रेरित ही लगता है।

थोड़ा पीछे चलने की जरूरत है। कुछ साल पहले अलवर में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाले गए अकबर ख़ान उर्फ रकबर मामले को लेकर सीकर के भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा, ‘बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्होंने गोरक्षा के नाम पर धंधा शुरू कर दिया है। इन लोगों के गो-तस्करों से वसूली के लिए गिरोह बना रखे हैं। ऐसे लोगों की वजह से ही अलवर जैसी घटनाएं सामने आती हैं।

जयपुर में प्रदेश भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ‘गोरक्षा की आड़ में धंधा करने वाले इन लोगों की वजह से वास्तव में गोसेवा में लगे लोग और संत समाज बदनाम हो रहा है। इन फ़र्ज़ी गोरक्षकों के ख़िलाफ़ कठोर से कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। क्या यह सच नहीं है ?सरकार को यह सब पता नहीं है ?

सुमेधानंद सरस्वती ने कहा, ‘मुझसे अनेक गोशालाओं के संचालक मिले. उन्होंने मुझसे कहा कि हमारे जैसे लोग और साधू-संन्यासी तो निस्वार्थ भाव से गायों की सेवा करते हैं, लेकिन इस काम को धंधा बनाने वाले लोगों की वजह हमारी बदनामी हो रही है। उन्होंने आगे कहा, ‘गोसेवा की आड़ में लोगों ने गिरोह बना लिए हैं। ये दिखावे के लिए गोसेवा करते हैं। असलियत में ये गायों की तस्करी करवाते हैं। इन लोगों के ख़िलाफ़ सरकार को सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अगस्त, 2016 में कथित गोरक्षकों के ख़िलाफ़ बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘गोरक्षा पर जो लोग दुकानें खोलकर बैठे हैं उन पर गुस्सा आता है। कुछ लोग पूरी रात एंटीसोशल एक्टिविटी करते हैं और दिन में गोरक्षा का चोला पहन लेते हैं। 70-80 फीसदी लोग फ़र्ज़ी गोसेवक हैं। राज्य सरकारों से उन्होंने ऐसे लोगों का डोजियर तैयार कर उनके खिलाफ कार्रवाई की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘ऐसे लोग दिन में गोरक्षा का चोला पहनकर घूमते हैं और रात में असामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। अधिकतर गायें कत्ल नहीं की जातीं, बल्कि प्लास्टिक खाने से मरती हैं। यदि आप सच्चे गोरक्षक हैं तो प्लास्टिक फेंकना और इसका इस्तेमाल बंद कराने का प्रयास करें।’ तो क्या प्लास्टिक ख़त्म करने की कहानी बंद हुई ? नकली गौपालकों की पहचान हुई ? जब कोई चीज धंधा बन जाता है तो उसकी तस्करी होती है और आज देश के भीतर गाय की तस्करी गौ पलकों ,गौ सेवको के भेष में लगे लोग ज्यादा कर रहे हैं।

पिछले साल राजधानी में विश्व हिन्दू परिषद के सहयोगी गौ रक्षा संगठन द्वारा आयोजित अधिवेशन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिरकत की। योगी आदित्यनाथ नें अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा- “भारतीय संस्कृति को बचाना है तो गाय, गंगा और तुलसी को बचाना होगा। हर जिले में गौ- शाला खोलेगी सरकार।

योगी ने कहा- “गौ चर भूमि के अवैध कब्जों को लेकर एंटी भू-माफिया टीम का गठन किया गया है। एक भी भू-माफिया को छोड़ा नहीं जायेगा। गौ सेवा के लिये हमे अपने स्तर पर सार्थक प्रयास करना चाहिये। हमारे काम से समाज में कहि वैमनस्यता पैदा ना हो। उस दिन हमारे काम पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं उठायेगा।”

उन्होंने कहा कि यूपी में 45 हजार हेक्टयर भूमि को भू-माफियाओं से एंटी भू-माफिया ने कब्जा हटवाया। क्या ऐसा संभव हो सका है ? सच तो यही है कि देश के 32 करोड़ हेक्टेयर जमीन जो गोचर के लिए थी ,आज भी भू माफिआयों के कब्जे में है और हमारी गाय माता खाने को तरसती है और सड़को पर छूटा घूमने को अभिशप्त है। क्या सरकार इस दिशा में कोई काम करेगी ताकि गाय सडको पर नहीं घूमे और कचरा खाकर मरे नहीं।

खेल पहले से भी ज्यादा खतरनाक चल रहा है। अधिक दूध पाने के फेर में गाय को विदेशी नस्ल के साथ ब्रीडिंग कराया जा रहा है। ऐसे में देशी नस्ले लगभग ख़त्म हो गई है।गोवंश के नस्ल की सुधार की प्रक्रिया चल रही है। जर्सी, फिजी, नस्ल को बढ़ा कर भारत के गोवंश को खत्म किया गया। हमारी देशी गायों की उयोगिताओं को कम करने का प्रयास हुआ। हमें इसे रोकना होगा।जो लोग गो हत्या करेंगे उनकी जगह जेल में होनी चाहिए। सरकार शेड बनवा देगी, पानी की व्यवस्था करवा सकती है , गौरक्षा करने वाले लोगों को उसके चारे की व्यवस्था को कह दिया जाए सारी भक्ति ख़त्म हो जाती है।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा था कि वे फिर से सत्ता में आने पर गायों और अन्य मवेशियों की सुरक्षा बढ़ाने का काम करेंगे।सीएम ने घोषणा की कि गाय पालने वाले किसानों को प्रति गाय 900 रुपये प्रति महीने दिए जाएंगे और उनकी सरकार किसी भी परिस्थिति में गायों की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगी क्या यह सब संभव हो सका ? आज भी बहुत से सवाल है जिसकी पड़ताल करने की जरूरत है। मकसद यही है कि देश की गौमाता जो हमारी संस्कृति की वाहक है वह सुरक्षित रहे और उसकी समुचित देखभाल हो। लेकिन देश के भीतर सभी राज्यों के तमाम कानून के बाद भी आज भी गाय सुरक्षित नहीं है। ऐसे में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर इसके खिलाफ हर हिंसक करवाई को रोका जा सकता है। सरकार को इस दिशा में पहल करने की जरूत है।

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