न्यूज़ डेस्क
विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा है कि मोदी सरकार ने 2024-25 का जो बजट पेश किया है, उसमें बेरोजगारी, महंगाई तथा अन्य समस्याओं का समाधान नहीं किया गया और सिर्फ सरकार बचाने के दबाव में गठबंधन के सहयोगियों को खुश करने का प्रयास हुआ है।
आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने लोकसभा में बजट 2024-25 पर चल रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि यह सरकार पूरी तरह से गठबंधन के साथियों पर निर्भर नजर आ रही है और इसी निर्भरता को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन दोनों दलों को खुश करने के लिए बजट में व्यवस्था की है।
उन्होंने कहा कि बजट से साफ राजनीतिक संदेश गया है कि सरकार दबाव में काम कर रही है और उसमें आत्मविश्वास की कमी है इसलिए यह सरकार सिर्फ अपने सहयोगियों को खुश करने का प्रयास कर रही है। बजट में पारदर्शिता नहीं है। बजट में रोजगार के अवसर प्रदान करने के कोई उपाय नहीं किए गये हैं। बजट में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। केरल की बजट में पूरी तरह से उपेक्षा हुई है और यह उपेक्षा राजनीतिक कारणों से हुई है।
समाजवादी पार्टी की डिम्पल यादव ने कहा कि सरकार ने किसान की आय 2022 तक दोगुनी करने का वादा किया गया था और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने का बात की गई थी, लेकिन सरकार ने अपना कोई वादा पूरा नहीं किया। उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या के कारण किसान सो नहीं पा रहा है, उसके लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। सरकार एक दशक से किसानों की अनदेखी कर रही है।
उन्होंने कहा कि मनरेगा का बजट बढ़ाया जाना चाहिए और सात दिन की मजदूरी दी जानी चाहिए। सरकार ने शिक्षा बजट में भी कटौती की है और इससे साबित होता है कि सरकार युवाओं के भविष्य को लेकर कुछ नहीं कर रही है। बेरोजगारी दर चरम पर है, लेकिन सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।
उन्होंने सरकार पर जातिगत जनगणना कराने से बचने का आरोप लगाया और कहा कि उत्तर प्रदेश में अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार निष्क्रिय नजर है और उसने कोई कदम महिलाओं की सुरक्षा के लिए नहीं उठाए हैं। महिलाओं को आरक्षण देने का कानून पारित किया है लेकिन उसे लागू नहीं किया जा रहा है।