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बीरभूम से बीजेपी प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने से मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, गरमाई राजनीति

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2024 के लोकसभा चुनाव का परिणाम 4 जून को आने वाला है।तब का रंग कुछ और होगा,लेकिन इससे पहले भी लोकसभा चुनाव 2024 में चुनाव से जुड़े कई रंग बिरंगी तस्वीरें सामने आ रही है। गुजरात के सूरत में कांग्रेस के उम्मीदवार के नामांकन के पर्चे के रद्द होने और बाद बाकी उम्मीदवारों द्वारा अपने नामांकन का पर्चा वापस के लिए जाने से बीजेपी के उम्मीदवार मुकेश दलाल बिना मतदान हुए और बिना मतगणना हुए ही चुनाव में जीत गए।वहां के जिलाधिकारी ने उन्हें जीत का प्रमाण पत्र भी दे दिया,लेकिन पश्चिम बंगाल के बीरभूम में बीजेपी के उम्मीदवार पूर्व एसपी देवाशीष धर के नामांकन का पर्चा रद्द हुआ तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और खुद भारत के मुख्य न्यायधीश ने मामला को देखनी की बात कही।बीरभूम से बीजेपी के सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाने से पश्चिम बंगाल का सियासी पारा गरमाने लगा है।

भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मामला को देखने की कही बात

बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के बीरभूम सीट से पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर को अपना प्रत्याशी बनाया था,लेकिन ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ पेश करने में फेल होने पर देबाशीष का नामांकन रद्द कर दिया गया था।इसके बाद पूर्व आईपीएस अधिकारी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।देबाशीष धर की याचिका में कहा गया कि आज बीरभूम सीट से नामांकन की आखिरी तारीख है। चीफ जस्टिस ने इस पर कहा कि हम इस मामले को देखेंगे।

चुनाव लड़ने के लिए छोड़ा था आईपीएस का पद

दरअसल देवाशीष धर कूच बिहार में घटित पुलिस ज्यादती की एक घटना को लेकर योगदान के लिए प्रतीक्षा सूची में शामिल थे, लेकिन इससे पूर्व की वह कहीं पदस्थापित हो पाते एक माह पहले उन्होंने एसपी के पद से ही इस्तीफा दे दिया।तभी से यह कयास लगाए जाने लगा कि वे इस लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। अंत में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और पश्चिम बंगाल के पूर्व लोकसभा सीट से चुनाव में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया।हालांकि निर्वाचन अधिकारी द्वारा उनके नामांकन पत्र को रद्द किए जाने के बाद यहीं पर उनकी राजनीति समाप्त होती दिखने लगी,लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अभी भी अपनी संभावना को बचाए रखा है।

बीजेपी ने देबतनु भट्टाचार्य को बनाया अपना आधिकारिक उम्मीदवार

दरअसल, बीजेपी ने बीरभूम से पूर्व आईपीएस अधिकारी देबाशीष धर को टिकट दिया था, लेकिन शुक्रवार (26 अप्रैल) को उनका नामांकन पत्र खारिज हो गया।’नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ पेश करने में विफल रहने के बाद धर का नामांकन रद्द हुआ। बीजेपी को लग रहा था कि इस तरह की चीजें हो सकती हैं। इस वजह से पार्टी ने आखिरी दिन देबतनु भट्टाचार्य से भी नामांकन का पर्चा भरा दिया था।अब देबतनु भट्टाचार्य बीजेपी के आधिकारिक उम्मीदवार होंगे।

ममता बनर्जी ने देबाशीष धर पर साधा था निशाना

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक चुनावी जनसभा में देबाशीष धर पर निशाना साधा था।ममता ने कहा कि 2021 में कूचबिहार के सीतलकुची में केंद्रीय बलों के जरिए गोलीबारी की गई थी।इस घटना के बाद देबाशीष को एसपी के रूप में अपने कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया था।उनके ऊपर अभी भी विभागीय कार्रवाई हो रही है।सूत्रों ने बताया है कि भले ही देबाशीष ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अभी तक उनका रिलीज ऑर्डर जारी नहीं किया गया है।

क्या है सीतलकुची की घटना

2021 ईसवी में पश्चिम बंगाल के सीतलकुची में केंद्रीय बलों के जरिए गोलीबारी की गई थी।गोलीबारी की इस घटना में पांच लोगों की मौत हुई थी। तब देबाशीष धर वहां के एसपी थे। इस कांड की वजह से देबाशीष धर का नाम अनिवार्य प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया था। इसके बाद देबाशीष धर ने एसपी के पद से इस्तीफा देकर बीरभूम लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल किया था, जिसे जांच के दौरान निर्वाचन पदाधिकारी ने रद्द कर दिया,जिसके बाद वे इस मामला को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।गौरतलब है कि बीरभूम सीट पर चौथे चरण के तहत 13 मई को मतदान होना है।टीएमसी ने यहां से मौजूदा सांसद शताब्दी रॉय पर ही फिर से भरोसा जताकर टिकट दिया है।

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