अखिलेश अखिल
पिछले जनवरी महीने में ए एस ई आर 2023 बियॉन्ड बेसिक सर्वे की रिपोर्ट सामने आयी तो पता चला कि ऊपर से हम जितना ही कूदने का दम भीतर से उतने ही खोखले हो गए हैं। देश की जो शिक्ष व्यवस्था जारी है अगर ऐसे ही चलती रही तो देश का बंटाधार भी हो सकता है। जिनके पास संसाधन हैं वे तो बहार निकलकर पढ़ाई कर लेते हैं लेकिन देश की अधिकतर बड़ी आबादी जो पांच किलो अनाज और कुछ सरकाई पैसे पर आज भी गुजरा करते हैं उनके बच्चो के लिए शिक्षा आज भी बहुत दूर हैं। सरकार भी इन्ही लोगों को टारगेट करके चुनावी खेल को साधती रही है।
सर्वे से पता चला है कि हालांकि 14-18 साल के 86.8 फीसदी बच्चे स्कूल में हैं, उनमें से 25 फीसदी अपनी क्षेत्रीय भाषा में दूसरी कक्षा की किताब अच्छे से नहीं पढ़ पाते।बेसिक गणित स्किल के मूल्यांकन के दौरान रिपोर्ट में पाया गया कि ज्यादातर बच्चे (85 फीसदी ) 0 सेमी से शुरू करके लंबाई माप सकते हैं, लेकिन शुरुआती बिंदु बदलने पर केवल 39 फीसदी ही ऐसा कर सकते हैं। कुल मिलाकर, लगभग आधे बच्चे समय बताने, वज़न जोड़ने और एकात्मक मैथड का उपयोग करने जैसे काम कर सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “आधे से अधिक स्टूडेंट्स भाग की समस्याओं से जूझते हैं। 14-18 वर्ष के केवल 43.3 प्रतिशत बच्चे ही ऐसी समस्याओं को सही ढंग से हल करने में सक्षम हैं। यह स्किल आमतौर पर तीसरी और चौथी कक्षा में अपेक्षित होती है।”
26 राज्यों के 28 जिलों में किए गए सर्वे में यह भी बताया गया है कि केवल 28.1 प्रतिशत महिलाओं के स्टेम (विज्ञान, टेक्नॉलजी, इंजीनियरिंग और गणित) में करियर बनाने की संभावना है, जबकि समान आयु वर्ग के 36.3 प्रतिशत पुरुष इन विषयों में रुचि ले रहे हैं।
इसमें आगे बताया गया है कि आधे से कुछ अधिक 57.3 प्रतिशत अंग्रेजी में वाक्य पढ़ सकते हैं। जो लोग अंग्रेजी में वाक्य पढ़ सकते हैं, उनमें से लगभग तीन-चौथाई उनके अर्थ (73.5 प्रतिशत) बता सकते हैं
सर्वे में पाया गया कि जहां महिलाओं ने अपनी क्षेत्रीय भाषा में दूसरी कक्षा के स्तर का पाठ पढ़ने में (76 प्रतिशत पर) पुरुषों से बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं पुरुषों ने अंकगणित और अंग्रेजी पढ़ने में अपने महिला समकक्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
इसमें यह भी कहा गया है कि 11वीं कक्षा या ऊपर की कक्षा में, आधे से अधिक 55.7 प्रतिशत आर्ट या ह्युमिनिटी स्ट्रीम में इनरोल हैं, इसके बाद स्टेम 31.7 प्रतिशत और कॉमर्स 9.4 प्रतिशत हैं।
बता दें किए एस ई आर एक राष्ट्रव्यापी नागरिक-नेतृत्व वाला घरेलू सर्वे है जो ग्रामीण भारत में बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति का एक स्नैपशॉट देता है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को छोड़कर, जहां दो जिलों का सर्वे किया गया था, प्रत्येक प्रमुख राज्य के एक ग्रामीण जिले में कुल 34,745 युवाओं तक पहुंच कर सर्वे किया गया था।