बीरेंद्र कुमार झा
चंद्रयान 3 का चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग हो चुका है।उसके साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। बुधवार को पहले अपने अंदर रखे रोवर प्रज्ञान के साथ चंद्रयान-3 के लेंडर विक्रम ने चांद की धरती पर कदम रखा। उसके बाद इसके अंदर रखे 26 किलोग्राम वजन और 6 पहियों वाला रोवर प्रज्ञान लैंडर इससे बाहर निकलकर चांद पर अपने पद चिन्ह छोड़ने लगा। इसरो ने बताया है कि रोवर प्रज्ञान सफलतापूर्वक चांद पर चहलकदमी कर रहा है। रोवर प्रज्ञान14 दिनों तक चांद की धरती पर रहेगा और इस दौरान वहां की अंधेरी दुनिया के रहस्यों पर से पर्दा हटाएगा। इसके लिए रोवर प्रज्ञान में और लैंडर विक्रम में कई इंस्ट्रूमेंट लगाए गए हैं।
लैंडर में लगे स्पेक्ट्रो पॉलीमेट्री और लेजर रेट्रो रिफ्लेक्टर का काम
लैंडर विक्रम के अंदर स्पेक्ट्रो पॉलीमेट्री नाम का एक उपकरण लगाया गया है,जो पृथ्वी से चंद्रमा पर आने वाले प्रकाश की जांच करेगा और उसके स्पेक्ट्रम का अध्ययन कर पृथ्वी जैसे अन्य उपग्रहों की खोज करने में मदद करेगा। इसके साथ इसमें लेजर रेट्रो रिफ्लेक्टर ऐरे इक्विपमेंट लगा हुआ है, जो धरती और चांद की दूरी की सटीक जानकारी देगा।इसे नासा ने तैयार किया है।
लेजर रेट्रो रिफ्लेक्टर अच्छी तरह से स्थापित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी है, जिसका उपयोग आमतौर पर पृथ्वी के चारों ओर उपग्रह की कक्षा को सटीक रूप से निर्धारित करने के लिए किया जाता है।पृथ्वी से चांद तक और वापस जाने के लिए लेजर पल्स की उड़ान के समय को माफ कर इसकी सटीक दूरी की गणना करेगा।इस लेजर की मदद से चांद के ऑर्बिट और उसका धरती पर प्रभाव की जानकारी मिल सकेगा।
रोवर में लगे उपकरण एपीएक्सएस और एलआईबीएस का काम
चांद की मिट्टी की जांच के लिए रोवर में लेजर इंट्रोड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कॉपी(L IBS) लगाया गया है। ये इंस्ट्रूमेंट मिट्टी की जांच कर यह पता लगाएंगे कि चांद कितना पुराना है? और उसमें अब तक क्या-क्या बदलाव हुए हैं? एलआईबीएस चांद की मिट्टी की रासायनिक संरचना और उसके अंदर छिपे खनिजों की मौजूदगी की संभावनाओं का भी पता लगाएगा।
अल्फा पार्टिकल एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर का काम
इसरो ने विशेष रूप से चांद पर मैग्नीशियम अल्युमिनियम सिलिकॉन, पोटेशियम, कैल्शियम टाइटेनियम और लोहे का पता लगाने के लिए रोवर में अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर तैनात किया है।
रेडियो एनाटॉमी ऑफ़ मून बाउंड हाइपरसेंसेटिव आइनोस्फीयर एंड एटमॉस्फेयर पे लोड चांद पर जीवन की संभावना तकाशेंगे
इंसान के चांद पर रहने की संभावना और चांद के अन्य इस्तेमाल को तलाशने के लिए इसरो ने लैंडर में रेडियो एनाटॉमी ऑफ़ मून बाउंड हाइपरसेंसेटिव आइनोस्फीयर एंड एटमॉस्फेयर और लगाया है। यह पता लगाएगी कि चांद पर समय के साथ-साथ स्थानीय गैस और प्लाज्मा वातावरण में क्या-क्या बदलाव आ रहे हैं।
चांद पर कम्पन का प्रभाव मापेगा इल्सा पे लोड
चांद पर होने वाले का।पेलोड इल्सा ( instrument for lunar scyismic activity) जुटाएगा या गृहलैंडिंग स्थल पर चंद्रमा की सतह पर क्रेस्ट और मेंटल को चित्रित करने के लिए भूकंप की गतिविधियों को मापेगा।