न्यूज डेस्क
बिहार की यात्रा का रहे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सिवान में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अन्ना आंदोलन के कारण यूपीए सरकार सत्ता से जरूर बाहर तो जो गई लेकिन फिर भी देश से भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ। सबको याद हो होगा कि किस तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना का आंदोलन हुआ था। सच तो यही है कि भ्रष्टाचार पहले से ज्यादा है और यह सभी जगह व्याप्त भी है।लेकिन अब इस पर कोई चर्चा नहीं को जाती ।
जनसुराज पदयात्रा से बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाने में जुटे किशोर ने यात्रा के 146 वें दिन की शुरूआत सिवान के दोन बुजुर्ग पंचायत स्थित द्रोणाचार्य स्टेडियम में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। प्रशांत किशोर ने इसके बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि लोगों के मन में एक घबराहट है कि कल कोई मंगल ग्रह से आएगा और परसों आंदोलन करके 3 दिनों मे बिहार को सुधार देगा। सबसे पहले लोगों को इस मानसिकता से निकलना होगा, जन सुराज कोई सामाजिक आंदोलन नहीं है और ना ही दल बनाकर वोट लेने का अभियान है।
उन्होंने कहा कि आंदोलन और क्रांति तेज हथियार की तरह है, इससे आप किसी सत्ता को उखाड़ सकते हैं, तेज हथियार से बड़े-बड़े पेड़ को काटा जा सकता है, लेकिन तेज हथियार से आप पौधे को पेड़ नहीं बना सकते हैं। उन्होंने कहा की लोग कहते हैं कि जेपी आंदोलन से बिहार नहीं सुधरा तो आगे कैसे सुधरेगा तो पहली बात तो ये है कि जेपी का आंदोलन बिहार को सुधारने के लिए था ही नहीं। जेपी का आंदोलन उस समय की केंद्र सरकार के खिलाफ था और जेपी उसमें कामयाब भी हुए और इंदिरा गांधी की सरकार को बदल दिया गया।
अन्ना आंदोलन का न तो बिहार से कोई लेना देना था और न ही उससे बिहार में कोई बदलाव हुआ। इसी तरह अन्ना हजारे का आंदोलन से यूपीए सरकार को हटाने में मदद मिली लेकिन उससे देश में भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ, भ्रष्टाचार किसी आंदोलन से खत्म भी नहीं होगा लोगों को जागरूक होना होगा। प्रशांत किशोर ने भ्रष्टाचार पर बात करते हुए कहा कि भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में है।
उन्होंने कहा कि अगर आप 500 रुपये लेकर मुखिया को वोट दे देंगे तो आप कैसे सोच सकते हैं कि वो ईमानदारी से काम करेगा, तो जड़ ये है की हमको अपने वोट करने का तरीका सुधारना होगा, नहीं तो बिहार मे भ्रष्टाचार हो या विकास उस दिशा में आगे नहीं बढ़ पाएंगे।
आज कोई भी पार्टी भ्रष्टाचार पर बात भी नही करती। जनता भी दुविधा भोगी है। उसे हर चीज फ्री की चाहिए और जब पैसे लेकर कोई वोट करे तो वह किसी नेता से क्या अपेक्षा कर सकता है। सच तो ये है देश गरीब है और यहां को जनता लाचार। जनता को लगता है को मिल जाए वही बहुत है ऐसे में बदलाव लाना असंभव है। जबतक लोग नही बदलेंगे और इनकी सोच नही बदलेगी तब तक देश का भला नही होगा।