- बीरेंद्र कुमार झा
समाजवादी पार्टी के द्वारा अपने नेताओं को धार्मिक मुद्दों पर बहस से परहेज करने की हिदायत दी गई है। इसके बावजूद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर ऐसा ही सुर छेड़ दिया है।स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि देश की महिलाओं आदिवासियों दलितों और पिछड़ों को अपमान से बचाना और उन्हें सम्मान दिलाना यह कोई धार्मिक मुद्दा नहीं है।
दरअसल स्वामी प्रसाद मौर्य ने जनवरी महीने में दिए एक बयान में श्री रामचरितमानस की आलोचना करते हुए कहा था कि उसके कुछ अंशों से दलितों अछूतों और महिलाओं की भावनाएं आहत होती है ऐसे में इन रामचरित मानस के इन अंशों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद यूपी में इस पर जमकर विवाद हुआ था। यहां तक की समाजवादी पार्टी में भी कई नेता इसका विरोध कर रहे थे। पार्टी के प्रमुख नेताओं ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के इस वक्तव्य को उनका निजी वक्तव्य बताते हुए इससे पल्ला झाड़ लिया था।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी का बयान
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने बयान जारी कर कहा था कि पार्टी अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सभी कार्यकर्ताओं पार्टी नेताओं पदाधिकारियों तथा प्रवक्ताओं को हिदायत दी है कि वे टीवी चैनलों पर होने वाले परिचर्चाओं के दौरान सांप्रदायिक मुद्दों पर बहस से परहेज करें। भारतीय जनता पार्टी धार्मिक मुद्दे उठाकर जनता का ध्यान बुनियादी मुद्दों से भटकाने की लगातार कोशिश कर रही है, इसलिए समाजवादी पार्टी के नेता टीवी चैनलों पर धर्म से संबंधित बातों में नहीं उलझे।
इधर विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सदन से बाहर आने पर समाजवादी पार्टी के महासचिव एवं विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने पत्रकारों द्वारा धार्मिक मुद्दों पर बहस न करने की पार्टी के फैसले के बारे में पूछे जाने पर कहा कि पहली बात तो यह है कि देश की महिलाओं, आदिवासियों ,दलितों और पिछड़ों को अपमान से बचाना और उन्हें सम्मान दिलाना यह कोई धार्मिक मुद्दा नहीं है।
रामचरितमानस चौपाई को लेकर कई बातों पर अभी भी कायम है स्वामी प्रसाद मौर्य
रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को समाजवादी पार्टी के द्वारा उनका निजी बयान बताने के सवाल पर उन्होंने कहा जो बात बहुत पहले बीत गई अब उसे फिर से उछालने का कोई मतलब नहीं है हालांकि रामचरितमानस की चौपाई ( ढोल गवार शुद्र पशु नारी, यह सब ताड़न के अधिकारी) के भावार्थ को अच्छी तरह से समझने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं इनके भावार्थ को अच्छी तरह से समझ चुका हूं।चूंकि रामचरितमानस अवधि में काफी सरल भाषा में लिखी गई है इसलिए मैं ही नहीं, कक्षा 5 में पढ़ने वाला विद्यार्थी भी इसका अर्थ अच्छी तरह से समझता है। इसी चौपाई को स्वामी प्रसाद मौर्य की देश की महिलाओं आदिवासियों दलितों और पिछड़ों का अपमान बताते हैं। उन्होंने दोहराया कि मैं अपने रुख पर अभी भी कायम हूं और इस चौपाई को रामचरितमानस से निकालने के लिए मैंने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है।
समाजवादी पार्टी ने 2 महिला नेताओं को पार्टी से किया है निष्कासित
स्वामी प्रसाद मौर्य से जब पत्रकारों ने पूछा कि आप महिलाओं को सम्मान की बात करते हैं, लेकिन इसी मुद्दे पर बयानबाजी के चलते आप की पार्टी ने दो महिला नेताओं को समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इसके जवाब में उन्होंने कहा की अब जिसे निष्कासित कर दिया गया है, उनके विषय में मुझे कुछ नहीं कहना है।हालांकि इस फैसले को महिला उत्पीड़न से जोड़े जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह महिला उत्पीड़न की नहीं बल्कि अनुशासनात्मक कार्रवाई में आता है । उन दोनो महिला नेत्री के बड़बोलेपन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के कई प्रयास किए गए, लेकिन उनके लगातार अनुशासनहीनता का परिणाम है उनका पार्टी से निष्कासन।