बीरेंद्र कुमार झा
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने पूर्व डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन की रिहाई पर अधिकारियों के विभिन्न संगठन को एक साथ घेरा है। उन्होंने कहा कि ड्यूटी पर रहते हुए एक दलित आईएएस अधिकारी की हत्या के मामले में दोषी पूर्व सांसद को जेल मैनुअल से छेड़छाड़ कर रिहा करने की सर्वत्र निंदा हो रही है, लेकिन इस पर बिहार प्रशासनिक सेवा संघ और आईएएस एसोसिएशन की राज्य इकाई की चुप्पी आश्चर्यजनक है।
अधिकारियों के संगठन को लिया आड़े हाथ
अधिकारियों के संगठन को आड़े हाथ लेते हुए सुशील मोदी ने कहा कि जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी आनंद मोहन की रिहाई पर अफसरों के संगठनों ने विरोध करना तो दूर,सरकार के डर से एक निंदा प्रस्ताव तक पारित नहीं किया।ऐसी तटस्थता, डर और चुप्पी को इतिहास क्षमा नहीं करेगा।उन्होंने इस मुद्दे पर राष्ट्र कवि दिनकर की पंक्ति याद करते हुए कहा कि ’जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उसका भी इतिहास।’
मॉडल जेल मैनुअल क्यों नहीं हुआ लागू
बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि जेल मैनुअल को शिथिल कर राजनीतिक मंशा से 27 दुर्दांत अपराधियों की रिहाई के लिए लोकसेवकों और आम नागरिकों में अंतर समाप्त करने का मुख्यमंत्री का तर्क बिल्कुल बचकाना है। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को यदि आम लोगों से अलग और अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने वाले नियम कानून है, तो इसलिए ताकि वे निर्वाध ढंग से निडर होकर अपने कर्तव्य का पालन कर सकें। क्या नीतीश कुमार जेल मैनुअल में संशोधन के री आईपीसी की अन्य धाराओं और विभिन्न कानूनों में भी ऐसा ही समानता ला सकते हैं?
लोक सेवकों को आम लोगों की तरह नहीं है कई अधिकार
बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि आईपीसी की धारा 353 लोक सेवकों के सरकारी कामकाज में बाधा डालने पर लागू होती है, लेकिन यह अन्य लोगों लागू पर नहीं होती है। क्या इस अंतर को भी समाप्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोक सेवकों को विशेष सुरक्षा देने वाले कुछ कानून हैं, तो कुछ कानून उस पर विशेष प्रतिबंध लगाने वाले भी है ।लोक सेवकों को आम लोगों की तरह चुनाव लड़ने और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार नहीं है क्या यहां भी आम और खास का अंतर नितीश कुमार जी खत्म करेंगे?