नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 फीसदी आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा है। देश की सबसे बड़ी अदालत में 5 जजों की बेंच में से 3 जजों ने इसके पक्ष में अपना फैसला सुनाया। बेंच में शामिल जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, बेला त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला ने EWS संशोधन को बरकरार रखा है। जबकि चीफ जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस रवींद्र भट ने इस पर असहमति जताई है। कोर्ट ने कहा कि इस कोटे से संविधान का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Supreme Court upholds 10 per cent quota for economically weaker sections in 3:2 split verdict
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— ANI Digital (@ani_digital) November 7, 2022
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने EWS आरक्षण को सही करार दिया
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने ईडल्ब्यूएस आरक्षण को सही करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कोटा संविधान के मूलभूत सिद्धांतों और भावना का उल्लंघन नहीं करता है। माहेश्वरी के अलावा जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने EWS कोटे के पक्ष में अपनी राय दी। उनके अलावा जस्टिस जेपी पारदीवाला ने भी गरीबों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण को सही करार दिया।
CJI UU Lalit agreed with Justice S Ravindra Bhat & gave a dissent judgement
Five-judge Constitution bench by a majority of 3:2 upholds the validity of Constitution’s 103rd Amendment Act which provides 10% EWS reservation in educational institutions and government jobs pic.twitter.com/OwGygzSTpP
— ANI (@ANI) November 7, 2022
चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र ने EWS कोटे को अवैध करार दिया
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने कहा कि मेरा फैसला जस्टिस माहेश्वरी की राय से सहमत है। उन्होंने कहा कि EWS कोटा वैध और संवैधानिक है। हालांकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रवींद्र ने EWS कोटे को अवैध और भेदभावपूर्ण करार दिया।
पांच जजों की पीठ में EWS आरक्षण पर 3-1 से लगी मुहर
इस तरह सामान्य वर्ग के गरीब तबके को मिलने वाले 10 फीसदी EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने 3-1 से मुहर लगा दी है। 5 जजों की संवैधानिक बेंच में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट ही ऐसे थे, जिन्होंने इस कोटे को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कानून भेदभाव से पूर्ण है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।