बीरेंद्र कुमार झा
सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों के तेजी से निपटारे पर सुप्रीम कोर्ट आदेश देगा।सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही देश भर में विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट का गठन हुआ है।सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से निचली अदालत में लंबित ऐसे मुकदमों की खुद निगरानी करने को भी कहा था।इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट आज आगे के निर्देश देगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बने थे ये विशेष अदालत
सांसदों और विधायकों के खिलाफ बढ़ते हुए आपराधिक मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को उन सभी राज्यों में विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट बनाने का आदेश दिया था, जहां पर इन लोक प्रतिनिधियों के खिलाफ कुल 65 से अधिक मामले लंबित थे। कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने 12 राज्यों (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 02 और उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल) में 01-01 विशेष न्यायालय की स्थापना की।
आज क्यों हो रही है सुनवाई?
सुप्रीम कोर्ट में इस बात को लेकर बहुत सारे मामले दायर किए जा रहे थे कि एमपी एमएलए कोर्ट में कई मामले काफी दिनों से लंबित हैं। कुछ याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अगर ये मामले इतने दिन लंबित रहने थे तो फिर विशेष अदालत बनाने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। सुप्रीम कोर्ट इसी मामले में हाईकोर्ट को दिशा निर्देश देने वाला है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को सुप्रीम कोर्ट आदेश दे सकता है कि वह जल्द से जल्द इन मामलों का निपटारा करने में प्रयास करें. वर्तमान में 9 राज्यों में 10 विशेष अदालतें काम करती हैं।(शीर्ष अदालत के दिनांक 04.12.2018 के निर्देश के अनुसार बिहार और केरल की विशेष अदालतें बंद कर दी गई थीं)। इन विशेष अदालतों के प्रदर्शन की निगरानी भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा की जा रही है।