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लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका,सुप्रीम कोर्ट ने लगाया इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक

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इलेक्टोरल बांड के द्वारा सबसे ज्यादा चंदा भारतीय जनता पार्टी को मिल रहा था, लेकिन लोकसभा चुनाव से करीब 2 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टरल बॉन्ड की व्यवस्था को खत्म कर बीजेपी को एक बड़ा झटका दिया है।सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने अप्रैल 2019 से लागू किए गए इस इलेक्टोरल बांड की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को आदेश दिया है कि चुनावी बांड से मिली फंडिंग को भी वापस करें ।अदालत ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर आज से ही रोक लगाई जाती है। 12 अप्रैल 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड किन-किन लोगों ने खरीदे और कितनी रकम लगाई यह जानकारी स्टेट बैंक को देनी होगी। अदालत ने कहा कि यह जानकारी पहले स्टेट बैंक की तरफ से चुनाव आयोग को दी जाएगी। फिर चुनाव आयोग की तरफ से यह जानकारी जनता को मिलेगी।अदालत ने कहा कि चुनावी बांड की इस तरह की खरीद – फरोख्त से ब्लैक मनी को ही बढ़ावा मिलेगा। इससे ब्लैक मनी पर कोई रोक नहीं लगेगी और पारदर्शिता का भी इसे हनन होता है।

सूचना के अधिकार का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यदि यह इलेक्टोरल बॉन्ड बेनामी खरीद के तहत लिए जाते हैं,तो यह सूचना के अधिकार के नियम का उल्लंघन है।हम इस संवैधानिक अधिकार के उल्लंघन पर आंख बंद नहीं कर सकते। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि जनता को यह जानने का हक है कि आखिर राजनीतिक दलों के पास पैसे कहां से आते हैं और कहां जाते हैं? सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सरकार को चुनावी प्रक्रिया में काला धन रोकने के लिए कुछ और तरीकों पर भी विचार करना चाहिए।

क्या था याचिका कर्ता और सरकार का पक्ष

इलेक्टरल बॉन्ड्स के खिलाफ दायर अर्जियां में कहा गया था कि इस तरह का नियम गलत है। इससे ब्लैक मनी खत्म नहीं होगा, बल्कि उल्टे इससे ब्लैक मनी बढ़ सकता है। वहीं सरकार का पक्ष था कि सिर्फ जनता के पास यह जानकारी नहीं रहेगी। सरकार ,बैंक और आयकर विभाग के पास यह डाटा रहेगा इससे किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो सकती है।अदालत ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि जनता को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी नहीं देने में कुछ गलती नहीं है।बेंच ने कहा कि ऐसा नियम तो आरटीआई का उल्लंघन है।

शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग की भी की खिंचाई

शीर्ष अदालत ने कहा कि जनता को यह जानने का हक है कि वह जिन राजनीतिक दलों को वोट देता है,उसके पास पैसा कहां से आता है और उसका पैसा कहां जाता है? यदि जनता को चुनावी फंडिंग के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है, तो यह संविधान का उल्लंघन है। इस प्रकार शीर्ष अदालत ने 2018 में आई चुनावी इलेक्टोरल बॉन्ड्स की इस व्यवस्था पर बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग की भी खिंचाई करते हुए सवाल किया कि आखिर चुनाव आयोग इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी अपने पास क्यों नहीं रखता है।

इलेक्टरल बॉन्ड से पहले विभिन्न कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को फंडिंग को लेकर क्या थे नियम

इकेक्टिरक बांड लागू करने के पूर्व कंपनी एक्ट में एक संशोधन कर दान देने की लिमिट का ख़त्म किया गया। इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के लागू होने पर पुराना प्रावधान ख़त्म हो गया था, जिसमें कंपनी एक्ट के तहत सिर्फ वही कंपनियां चंदा दे सकती थीं, जिनका बीते तीन वित्त वर्ष का शुद्ध मुनाफा साढ़े सात फ़ीसदी से अधिक रहा हो। 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम लागू होने के बाद कोई भी कंपनी चंदा सकती है। इससे जाली कंपनियों के चंदा देने की आशंका बढ़ गई। साथ ही, यह भी कि सिर्फ चंदे के लिए जाली कंपनियां बनाकर काले धन को चंदे के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बीजेपी की प्रतिक्रिया

शीर्ष अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी नेता नलिन कोहली ने कहा कि यह हमारे लिए कोई झटका नहीं है उन्होंने कहा कि इससे फंडिंग सिर्फ बीजेपी को ही नहीं, बल्कि सभी दलों को मिल रही थी। कोहली ने कहा कि यदि अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड वाले स्कीम को रद्द किया है, तो उसे लगा होगा कि इसमें कुछ गलत है। उन्होंने कहा कि अब चुनाव आयोग की सुझावों के साथ कोई नई चीज लाई जाए। यह जरूरी है कि चुनावी फंडिंग साफ सुथरी हो और ब्लैक मनी पर रोक लगाई जाए। मूल मकसद यही है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर आए फैसले पर राहुल गांधी की प्रतिक्रिया

इलेक्टोरल बांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायानाड के सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी ने इलेक्टोरल बांड को रिश्वत और कमीशन लेने का जरिया बनाया था। गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने इलेक्टोरल बॉन्ड की इस योजना को रद्द कर दिया है।साथ ही इसे असंवैधानिक भी करार दिया है। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। बीजेपी ने इलेक्टोरल बांड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था, आज इस बार पर मोहर लग गई है।

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