Homeदेशजम्मू कश्मीर परिसीमन के खिलाफ दायर याचिका को शीर्ष अदालत ने ख़ारिज...

जम्मू कश्मीर परिसीमन के खिलाफ दायर याचिका को शीर्ष अदालत ने ख़ारिज कर दिया

Published on

न्यूज़ डेस्क
आज देश की शीर्ष अदालत ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग के गठन और केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को ख़ारिज कर दिया। न्यायमूर्ति ओका ने फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ते हुए कहा कि याचिका को खारिज करने का अर्थ यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि अनुच्छेद 370 के संबंध में लिए गए निर्णयों को अनुमति दी गई है। क्योंकि उक्त मुद्दा एक संविधान पीठ के समक्ष लंबित है।

लेकिन माना जा रहा है कि अदालत के इस फैसले के बाद सरकार को बड़ी राहत मिली है। अब सरकार वहां जल्द चुनाव करा सकती है। बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए जम्मू और कश्मीर परिसीमन आयोग केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से परिभाषित करने के लिए भारत सरकार द्वारा गठित एक आयोग है। आयोग की स्थापना 2002 के परिसीमन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की गई थी, जो प्रत्येक जनगणना के बाद निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं के पुनर्निर्धारण को अनिवार्य करता है।

नवीनतम जनगणना के पूरा होने के बाद नवंबर 2020 में जम्मू और कश्मीर परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। आयोग की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई कर रही हैं, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं। आयोग को जम्मू और कश्मीर में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से परिभाषित करने का काम सौंपा गया है, नवीनतम जनसंख्या डेटा को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या लगभग समान है।

लोकतांत्रिक प्रणाली में निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का पुनर्निर्धारण एक महत्वपूर्ण अभ्यास है, क्योंकि यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि प्रत्येक वोट का वजन समान है और कोई भी समुदाय या मतदाताओं का समूह अनुचित रूप से वंचित नहीं है। जम्मू और कश्मीर में, परिसीमन प्रक्रिया विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि केंद्र शासित प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व उनकी जनसांख्यिकीय संरचना के अनुरूप हो।

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रविशंकर जंध्याला ने तर्क दिया था कि परिसीमन अभ्यास भारत के संविधान की योजना का उल्लंघन करता है। विशेष रूप से अनुच्छेद 170 (3), जिसने 2026 के बाद पहली जनगणना तक परिसीमन को रोक दिया था। साथ ही उन्होंने तर्क दिया था कि संवैधानिक और वैधानिक प्रावधानों के तहत परिसीमन अभ्यास किया गया। उन्होंने आगे कहा था कि वर्ष 2008 में परिसीमन आदेश पारित होने के बाद, कोई और परिसीमन अभ्यास नहीं किया जा सकता था। वरिष्ठ वकील ने इस बात पर जोर दिया था कि 2008 के बाद, परिसीमन संबंधी सभी अभ्यास केवल चुनाव आयोग द्वारा किए जा सकते हैं, न कि परिसीमन आयोग द्वारा। लेकिन अदालत इन तर्कों को नकार दिया है।

Latest articles

Marwadi Mehandi Designing: हथेलियों पर लगवानी हो मेहंदी, तो मारवाड़ी मेहंदी के इन डिजाइन्स को करें ट्राई

MARWADI MEHANDI DESIGN: हाथों की शोभा बढ़ाने के लिए आजकल बारीकी से बनाई गई...

केजरीवाल की 14 दिनों तक बढ़ी न्यायिक हिरासत, 7 मई तक तिहाड़ में रहेंगे दिल्ली के सीएम

इन दिनों आम आदमी पार्टी को संजय सिंह की रिहाई के अलावा अन्य मामलों...

ममता बनर्जी पर अमित शाह का तंज,घुसपैठियों को बढ़ावा,लेकिनसीएए का विरोध करती है दीदी

2019 ईस्वी में हुए लोकसभा चुनाव से प्रभावित बीजेपी 2024 ई में होने वाले...

ममता बनर्जी पर अमित शाह का तंज,घुसपैठियों को बढ़ावा,लेकिन सीएए का विरोध करती है दीदी

2019 ईस्वी में हुए लोकसभा चुनाव से प्रभावित बीजेपी 2024 ई में होने वाले...

More like this

Marwadi Mehandi Designing: हथेलियों पर लगवानी हो मेहंदी, तो मारवाड़ी मेहंदी के इन डिजाइन्स को करें ट्राई

MARWADI MEHANDI DESIGN: हाथों की शोभा बढ़ाने के लिए आजकल बारीकी से बनाई गई...

केजरीवाल की 14 दिनों तक बढ़ी न्यायिक हिरासत, 7 मई तक तिहाड़ में रहेंगे दिल्ली के सीएम

इन दिनों आम आदमी पार्टी को संजय सिंह की रिहाई के अलावा अन्य मामलों...

ममता बनर्जी पर अमित शाह का तंज,घुसपैठियों को बढ़ावा,लेकिनसीएए का विरोध करती है दीदी

2019 ईस्वी में हुए लोकसभा चुनाव से प्रभावित बीजेपी 2024 ई में होने वाले...