न्यूज़ डेस्क
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने बड़ा दाव खेलने का निर्णय लिया है। सपा अब तक यादव और मुस्लिम की राजनीति करती रही है लेकिन अब सपा को लग रहा है कि बाकी पिछड़े हिन्दुओं के बीच अगर पैठ नहीं बनाई गई तो खेल ख़राब हो सकता है। आगामी लोकसभा चुनाव को चुनौती मानते हुए सपा अब एक अलग जातीय राजनीति को आगे बढ़ा रही है।
ताजा खबर है कि उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी सुहेलदेव महाराज की मूर्ति लगवाने की तैयारी कर रही है। गौरतलब है कि मध्यकाल के राजा सुहेलदेव के नाम की राजनीति सबसे पहले भाजपा ने शुरू की थी। इसके जरिए राजभर वोट साधने का प्रयास हुआ था। फिर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठन हुआ, जिसके नेता ओमप्रकाश राजभर हैं। उन्होंने पहले भाजपा से तालमेल किया। फिर समाजवादी पार्टी से तालमेल किया और अब फिर भाजपा के साथ हैं। भाजपा ने सुहेलदेव महाराज को मुस्लिम शासकों के विरोधी राजा के तौर पर स्थापित किया है।
उनके बारे में प्रचलित है कि उनकी सेना ने मोहम्मद गजनवी की सेवा को बुरी तरह से हराया था और खदेड़ कर अपने राज्य की सीमा से बाहर निकाला था। उनकी बहादुरी के किस्से उनके राजभर समुदाय के साथ साथ समूचे हिंदू समुदाय में जोश भरने का काम करते हैं। भाजपा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहराइच में उनकी प्रतिमा लगवाई है। उनके नाम से सुहेलदेव एक्सप्रेस ट्रेन भी चलती है। भाजपा ने गैर यादव वोट की अपनी राजनीति के तहत लोध, राजभर, निषाद, कोईरी-कुर्मी आदि जातियों के महापुरुषों को महत्व देकर अपना वोट आधार मजबूत किया है।
अब समाजवादी पार्टी पिछड़ी जातियों को एकजुट करने में लगी है। उसे यादव और मुस्लिम के अलावा नया वोट अपने साथ जोड़ना है। इसलिए वह सुहेलदेव महाराज की प्रतिमा लगाने की बात कर रही है। इससे राजभर समुदाय को मैसेज जाएगा और साथ ही व्यापक हिंदू समाज में भी मैसेज जाएगा। ऐसा लग रहा है कि सपा मुस्लिमपरस्त पार्टी होने की छवि से निकलने के लिए यह दांव चलने की तैयारी कर रही है।
अब सवाल है कि क्या सपा इस खेल में सफल होगी ? जानकार मान रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में बहुत कुछ बदलेगा। लोगों का मिजाज भी बदलेगा और राजनीतिक दलों की स्थिति भी बदलेगी। बीजेपी को भी बड़े बदलाव करने होंगे। अगर बदलाव नहीं किये तो उसकी राजनीति भी प्रभावित होगी।