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क्या हार की डर से रायबरेली को छोड़ दक्षिण भारत से चुनाव लड़ेंगी सोनिया गांधी

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इन दिनों सोनिया गांधी के रायबरेली छोड़ दक्षिण भारत के किसी राज्य के लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा आम हो रही है। यहां तक की संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने बिना पार्टी और व्यक्ति का नाम लिए इशारे ही इशारे में इस बात को खुलकर कह दिया कि विपक्ष के कई बड़े नेता अब या तो अपने चुनाव क्षेत्र को बदलने की तैयारी कर रहे हैं या फिर बैक डोर से राज्यसभा में जाकर अपनी संसद की सदस्यता बरकरार रखने का प्रयास कर रहे। 2019 ई में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने भी अमेठी से अपनी आसन्न हार को देखते हुए अमेठी के अलावा दक्षिण भारत के वायानाड सीट से भी चुनाव लड़ा था, जहां से अभी वे सांसद है। कुछ इसी तर्ज पर सोनिया गांधी के भी या तो रायबरेली छोड़कर सिर्फ दक्षिण भारत के ही किसी राज्य से चुनाव लड़ने या फिर रायबरेली के साथ-साथ दक्षिण भारत की किसी सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा राजनीतिक हलकों में इस समय जोरो से हो रही है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री का सोनिया गांधी को चुनाव लड़ने का आमंत्रण

तेलंगाना जहां 2023 के अंतिम महीने में आए चुनाव परिणाम में कांग्रेस पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली है,वहां के नवनियुक्त मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सोमवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और उनसे आगामी लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़ने की अपील की। रेवंत रेड्डी ने अपने उप मुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क और राज्य मंत्री श्रीनिवास रेड्डी के साथ दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की और उनसे तेलंगाना की खम्मम सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा।

सोनिया गांधी को मां के रूप में देखते हैं तेलंगाना के लोग

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर उन्हें बताया कि तेलंगाना कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित कर उनसे तेलंगाना से चुनाव लड़ने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि सोनिया गांधी इस समय उत्तर प्रदेश के रायबरेली से लोकसभा सांसद हैं। वे 2004 से लगातार रायबरेली से जीतती चली आ रही हैं। सोमवार रात जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार रेवंत रेड्डी ने कहा कि सोनिया गांधी से तेलंगाना राज्य से चुनाव लड़ने का अनुरोध इसलिए किया जा रहा है,क्योंकि तेलंगाना के लोग उन्हें मां के रूप में देखते हैं,क्योंकि उन्होंने तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा दिलवाया था।

उचित समय पर इस आमंत्रण पर निर्णय लेंगी सोनिया गांधी

विज्ञप्ति में कहा गया है कि सोनिया गांधी ने उनके अनुरोध पर कहा कि उचित समय पर इस मामले में फैसला किया जाएगा। रेवंत रेड्डी के साथ उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क और राज्य के राजस्व मंत्री पी श्रीनिवास रेड्डी भी मौजूद थे।मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार द्वारा लागू किया जा रहे चुनावी वादों के बारे में भी सोनिया गांधी को जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि तेलंगाना सरकार ने जाति आधारित जानकारी गणना करने का फैसला किया है और इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। इस बीच रेवंत रेड्डी ने रांची में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात की।

कांग्रेस के लिए कितना सुरक्षित है खम्मम लोक सभा सीट

तेलंगाना के कांग्रेस समर्थक सोनिया गांधी को खम्मम सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। 1952 ईस्वी में अपनी स्थापना के बाद के दो चुनावों को छोड़कर खम्मम निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है कांग्रेस ने यहां से अब तक 11 बार जीत हासिल की है। कांग्रेस की टी लक्ष्मीकांतम्मा ने तो यहां से सीट जीतने का हैट्रिक भी बनाया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री जलागम वेंगल राव और उसके भाई जे कोंडल राव ने दो-दो बार इस सीट पर जीत हासिल की है हालांकि पिछले तीन चुनाव में कांग्रेस को खम्मम लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा है और यहां से तेलंगाना राष्ट्र समिति जो अब भारत राष्ट्र समिति के नाम से जानी जाती है के नागेश्वर राव दूसरी बार निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव में तेलंगाना में मिली बंपर जीत को देखते हुए कांग्रेस पार्टी खम्मम के अपने पुराने किले को फिर से फतह करना चाहती है और इसके लिए वह सोनिया गांधी को यहां से चुनाव लड़ना चाहती है।

उत्तर भारत में खस्ताहाल होने पर दक्षिण बना है कांग्रेस का सहारा

उत्तर भारत में जब-जब भी कांग्रेस की स्थिति खस्ताहाल हुई है,तब – तब दक्षिणी का राज्य इसका सहारा बना है। 1977 ई में हुए आम चुनाव के दौरान जब कांग्रेस का उत्तर भारत से सफाया हो गया था और उसके हाथ से केंद्र की सत्ता चली गई थी। यहां तक कि इंदिरा गांधी भी उस वर्ष लोकसभा चुनाव हार गई थी।इसके बाद तब कर्नाटक का चिकमंगलुर इनका सहारा बना था।यहां 1978 ईस्वी में हुए उपचुनाव जीतकर न सिर्फ वे फिर से संसद में पहुंची,बल्कि कांग्रेस को संजीवनी प्रदान की।उसके बाद 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने केंद्र में शानदार पुनर्वापसी की थी।

सोनिया गांधी भी इससे पहले कर्नाटक के बेलकारी से 1999 ईसवी में लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है। उस चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के सुषमा स्वराज को हराया था।हालांकि वे अमेठी से भी चुनाव जीती थी,लेकिन बेल्लारी की अहमियत को देखते हुए उन्होंने बेल्लारी से ही अपनी संसद की सदस्यता बरकरार रखी थी ।यहां पर जीत के बाद कांग्रेस का भी खुद पर भरोसा बढ़ा और उसने केंद्र में दो बार यूपीए 1 और यूपीए 2 के रूप में सरकार बनाई।

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