अखिलेश अखिल
अगर राहुल गाँधी की सजा पर रोक नहीं लगती और उनकी सांसदी वापस नहीं होती तब वायनाड का क्या होगा इसको लेकर कई तरह की बातें सामने रही है। कहा जा रहा है कि अगर वायनाड में उपचुनाव होते हैं तो प्रियंका गांधी यहाँ से चुनाव लड़ सकती हैं। यही वजह है कि राहुल के साथ बार -बार वायनाड जा रही है। लेकिन यह सब एक कयास भर है।
पिछले दस सालों से बीजेपी एक अभियान चला रही थी -कांग्रेस मुक्त भारत। चुकी बीजेपी गाँधी परिवार को ही अभी तक कांग्रेस मानती रही है और शायद इसमें कुछ सच्चाई भी हो लेकिन पिछले महीने राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस जीवित हो गई। कांग्रेस का यह नया जीवन बीजेपी को रास नहीं आया। बीजेपी को लगा कि कांग्रेस के जीवंत होने से गाँधी परिवार भी जीवंत हो गया। बीजेपी को सोनिया गाँधी और प्रियंका से जितनी परेशानी नहीं है उससे कही ज्यादा परेशानी राहुल गाँधी से है। यही वजह है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद बीजेपी एक रणनीति के तहत पुराने केस को खोला और फिर सूरत की अदालत से राहुल को दोषी ठहराया। राहुल को दो साल की सजा मोदी सरनेम मामले में हुई। फिर उनकी सांसदी भी गई और बँगला भी खाली करा लिया गया। यह सब महीने भर के भीतर खत्म कर दिया गया।
भारत जोड़ो यात्रा ने वाकई में बीजेपी को परेशान किया है। यह भी सच है कि आगामी लोकसभा चुनाव में या फिर आसन्न विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की क्या स्थिति होती है यह तो वक्त ही बतायेगा लेकिन बीजेपी के लिए अब सब कुछ आसान भी नहीं रह गया है। कांग्रेस भले ही संगठन के तौर पर अभी भी काफी कमजोर है लेकिन कमजोर संगठन से जुड़े कोंग्रेसियों के हौसले काफी बुलंद है और यह सब बीजेपी को कतई बर्दास्त नहीं। फिर जिस तरह से राहुल ने मोदी सरकार को अडानी के मसले पर घेरा है ,बीजेपी के लिए गले की फांस की तरह है। बीजेपी को इसका परिणाम मिलेगा। उधर पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जो खुलासा किया है वह तो बीजेपी के लिए और भी खतरनाक है। इस पुरे मामले पर बीजेपी भी मौन है और पीएम मोदी भी चुप्पी साधे हुए हैं।
लेकिन अब क्या होगा ? अगर राहुल की सदस्यता वापस नहीं होती और उनके दोष पर रोक नहीं लगते तब राहुल क्या करेंगे ? क्या राहुल भी चाहते हैं कि वे जेल जाएँ ? क्या राहुल यह भी चाहते हैं कि वे बाहर रहकर ही आगे की राजनीति करेंगे ? क्या अब वे सांसद बनना भी नहीं चाहते ? ऐसे बहुत से सवाल महीने भर से उठ रहे हैं। क्योंकि जिस तरह से कांग्रेस राहुल को लेकर आगे बढ़ रही है उससे लगता है कि राहुल की कहानी कुछ और ही है। राहुल को लेकर कांग्रेस की रणनीति कुछ और ही है।
राहुल गाँधी की जमीन अमेठी से पहले ही छीन चुकी है। वे केरल से सांसद रहे। अब वहां से भी वे सांसद नहीं रहे। ऐसे में एक सवाल यह भी है कि क्या प्रियंका गाँधी वायनाड से उपचुनाव लड़ेगी ? अगर अगले कुछ हफ्तों में राहुल को राहत नहीं मिलती है तो चुनाव आयोग को वहां उपचुनाव कराना पड़ सकता है। तब राहुल गांधी उम्मीदवार भी नहीं बन पाएंगे।
ऐसे में प्रियंका गांधी के वहां राहुल के साथ जाने के बाद कयास लगने शुरू हो गए हैं कि अगर उपचुनाव की नौबत आती है तो ऐसी सूरत में प्रियंका गांधी उस सीट पर राहुल के बदले चुनाव लड़ सकती हैं। प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की बात पिछले कुछ समय से कांग्रेस हलकों में अलग वजहों से भी चल रही थी। कहा जा रहा था कि 2024 में वह अपनी मां सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। इसे सोनिया गांधी के स्वास्थ्य से जोड़कर देखा जा रहा था। लेकिन राहुल की सांसदी जाने के बाद वह चर्चा पीछे छूट गई है। प्रियंका की अगली राजनीति क्या होगी यह तो कोई जनता लेकिन इतना तय है कि प्रियंका इस बार चुनाव लड़ेगी। वह रायबरेली से चुनाव लड़े या फिर वायनाड से।