न्यूज डेस्क
स्कूली शिक्षा में एकरूपता लाने के उद्देश्य से केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक बार फिर पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र छह साल रखने के निर्देश दिये हैं। साथ ही सभी से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप तैयार किए गय स्कूली शिक्षा के नए ढ़ांचे को भी अपनाने के लिए कहा है। इसमें बच्चों को तीन साल की उम्र से ही स्कूली व्यवस्था से जोड़ना भी है। उन्हें शुरू के तीन साल तक बालवाटिका से जोड़ा जाएगा। उसके बाद ही उन्हें पहली कक्षा में दाखिला दिया जाएगा।
शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश उस समय दिया है जब स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। साथ ही नया शैक्षणिक सत्र भी अप्रैल से शुरू होने वाला है। स्कूली शिक्षा 10 प्लस 2 के ढांचे से निकलकर 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 में तब्दील किया गया है। इस ढांचे के शुरू के पांच साल को बुनियादी स्तर (फाउंडेशनल स्टेज) नाम दिया गया है। इसमें शुरू के तीन साल बालवाटिका के होंगे जबकि अगले दो सला पहली और दूसरी कक्षा के होंगे। मंत्रालय का मानना है कि पहली कक्षा में दाखिले की उम्र राज्यों में अलग होना स्कूली शिक्षा की एक बड़ी विसंगति है। इसका खामियाजा बच्चों को एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने या फिर प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के दौरान उठाना पड़ता है।
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय ने पिछले साल ही पहली कक्षा में दाखिले की उम्र को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद इस संबंध में निर्देश जारी किए थे। इसमें सभी राज्यों से पहली कक्षा में दाखिले की उम्र न्यूनतम छह वर्ष रखने को कहा था। साथ ही बताया था कि उत्तर प्रदेश, बिहार समेत देश के 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पहले से ही पहली कक्षा में दाखिले की न्यूनतम उम्र छह वर्ष है,जबकि गुजरात,दिल्ली,केरल समेत 14 राज्यों में यह उम्र सीमा पांच से साढ़े पांच वर्ष है।