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कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया को हाई कोर्ट से झटका लगा है। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण यानी मुडा मामले में कर्नाटक की हाई कोर्ट ने सीएम सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ कथित भूमि घोटाले में मुकदमा चलाने के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को चुनौती दी थी।
राज्यपाल ने 17 अगस्त को मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। हाईकोर्ट के जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की पीठ ने कहा, राज्यपाल स्वतंत्र फैसला कर सकते हैं। उन्होंने काफी सोच-समझ कर मुकदमा चलाने का आदेश दिया। आदेश में कोई खामी नहीं है।
हाईकोर्ट ने 12 सितंबर को मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले के बाद सिद्धारामैया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा, इसकी जांच जरूरी है कि क्या लाभार्थी कोई बाहरी व्यक्ति नहीं बल्कि याचिकाकर्ता के परिवार के अंदर का ही व्यक्ति है। फैसले को लेकर कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बी.वाई. विजेंद्र ने कहा कि कानून सबके लिए बराबर है।
मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। दूसरी तरफ डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने कहा, मुख्यमंत्री के इस्तीफे का कोई सवाल नहीं है। वह किसी घोटाले में शामिल नहीं हैं। यह भाजपा की राजनीतिक साजिश है। हम सीएम के साथ खड़े हैं। राज्य के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा, हमें कानून पर भरोसा है। हम इसका मुकाबला करेंगे। हम फैसले पर डबल बेंच और सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठाएंगे।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद सिद्धारामैया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनका इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है। वह जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी जद-एस पर कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा, मोदी सरकार ने ऑपरेशन कमल और पैसों की ताकत का इस्तेमाल कर हमारी सरकार हटाने की कोशिश की। मैं साजिश से डरने वाला नहीं हूं। इस्तीफे के सवाल पर सिद्धारामैया ने कहा, मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए? क्या एच.डी. कुमारस्वामी ने इस्तीफा दिया था? हम यह लड़ाई कानूनी और राजनीतिक तरीके से लड़ेंगे।
केंद्रीय श्रम राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने दावा किया कि सिद्धारामैया की पत्नी ने मूडा से जो 14 प्लॉट लिए, वह जमीन दलितों की है। उन्होंने दलित की जमीन लेकर गलत किया। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सी.आर. केशवन ने कहा, सिद्धारामैया ने कर्नाटक सरकार का प्रमुख बने रहने के सभी नैतिक अधिकार खो दिए हैं।
मूडा कर्नाटक की विकास एजेंसी है जिसका गठन मई 1988 में किया गया था। मूडा शहरी विकास के दौरान जमीन खोने वाले लोगों के लिए 2009 में ‘50:50’ नाम की योजना लेकर आई थी। योजना 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने बंद कर दी थी।
इसके बाद भी मूडा ने योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मूडा की ओर से सिद्धारामैया की पत्नी को 14 जगह जमीन आवंटित करने में नियमों की अनदेखी की गई।
सिद्धारामैया का दावा है कि मूडा ने उनकी पत्नी को जमीन उनकी 3.14 एकड़ की जमीन के बदले में दी थी, जो गैर-कानूनी तरीके से कब्जे में ले ली गई थी।