न्यूज़ डेस्क
एक तरफ राहुल गाँधी भारत को जोड़ने और सबको न्याय दिलाने की यात्रा पर निकले हुए हैं लेकिन कांग्रेस के भीतर ही टूट जारी है और नेताओं को न्याय नहीं मिल रहे हैं। दिल्ली में आचार्य प्रमोदे कृष्णम पार्टी से नाराज माने जा रहे हैं तो महाराष्ट्र में पार्टी के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दिकी ने आज पार्टी को राम -कर कह दिया। सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। मिलिंद देवड़ा ने कुछ दिन पहले पार्टी से नाता तोड़ते हुए शिंदे गुट के साथ जा मिले थे और अब बाबा सिद्धकी का पार्टी से जाना महाराष्ट्र कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
पिछले कुछ दिनों से अटकले थी कि सिद्दीकी कांग्रेस आलाकमान से नाराज है और पार्टी से दशकों पुराना रिश्ता तोड़ देंगे। उनके अजित पवार की पार्टी एनसीपी में जाने की चर्चा है।बाबा सिद्दीकी ने कांग्रेस छोड़ने की जानकारी ‘एक्स’ पर पोस्ट कर दी है।
उन्होंने लिखा, ‘“मैं कांग्रेस पार्टी में युवावस्था से शामिल हुआ था और मेरी यह 48 वर्षों तक चली एक महत्वपूर्ण यात्रा रही। आज मैं तत्काल प्रभाव से कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। मैं बहुत कुछ व्यक्त करना चाहता हूं, लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि कुछ चीजें अनकही ही रह जाएं तो बेहतर है। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं जो मेरी इस यात्रा का हिस्सा रहे हैं।“
सिद्दीकी मुंबई के बांद्रा पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक रहे हैं। वह पहली बार 1999 में महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद उन्हें 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल हुई। वह 2004 से 2008 तक राज्य मंत्री के पद पर रहे। विधायक बनने से पहले वह दो बार पार्षद चुने गए थे। बाबा सिद्दीकी पहली बार 1992 में मुंबई नगर निगम के पार्षद चुने गए। 1997 के बीएमसी चुनाव में भी उन्हें सफलता मिली।
मिली जानकारी के मुताबिक बाबा सिद्दीकी अजित पवार की पार्टी एनसीपी का दामन थामेंगे। सूत्रों ने बताया कि 10 फरवरी को बांद्रा में होने वाले ‘सरकार आपल्या दारी’ कार्यक्रम में एनसीपी में शामिल होंगे। मुंबई के बांद्रा और उसके आसपास बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते है, जिनके बीच सिद्दीकी की गहरी पैठ है। इसलिए आगामी लोकसभा, विधानसभा और बीएमसी चुनाव में एनसीपी अजित पवार गुट को बड़ा फायदा होने की संभावना है।
बता दें कि पिछले महीने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मिलिंद देवड़ा ने पार्टी से इस्तीफा देकर बड़ा झटका दिया है। उनके इस्तीफे से मुंबई कांग्रेस हिल गयी। इसके साथ ही कांग्रेस से उनका 55 साल पुराना रिश्ता खत्म हो गया। दो बार सांसद रहे मिलिंद देवड़ा केंद्र में मंत्री थे। उनके पिता मुरली देवड़ा के पास भी पार्टी में बड़ी जिम्मेदारियां थीं। पिता के बाद बेटे मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस को नई मजबूती दी।