न्यूज़ डेस्क
शिवसेना से जुडी आज की दो बड़ी खबरे सामने आ रही हैं। पहली खबर तो ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव गुट की आज उस याचिका को स्वीकार कर लिया है जिसमे शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को दिए जाने की चुनौती दी गई है। बुधवार को दोपहर बाद इस मामले की सुनवाई होगी। बता दें कि ठाकरे गुट की पैरवी नामी वकील कपिल सिब्बल कर रहे हैं। उन्हीं के आवेदन पर आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को मेंशन किया है।
बता दें कि निर्वाचन आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को शुक्रवार को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित अविभाजित शिवसेना का ‘तीर-कमान’ चुनाव चिन्ह आवंटित करने का आदेश दिया था। इससे पहले इस विवाद को लेकर उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग ने उनके साथ न्याय नहीं किया। उन्होंने कहा था कि उनसे उनका सब कुछ चुरा लिया गया। पार्टी का नाम, पार्टी का चुनाव चिन्ह सब चुरा लिया गया। ठाकरे ने कहा था कि वह लोग ठाकरे नाम नहीं चुरा सकते। हम चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और मामले की सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ही हमारी आखिरी उम्मीद है। उधर शिंदे गुट भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर एक कैवियट याचिका दायर की है ताकि आगे की लड़ाई लड़ी जा सके।
उधर दूसरी तरफ शिंदे गुट ने आज शिवसेना की कार्यकारिणी बैठक बुलाई है जिसमे कई मसलो पर चर्चा की उम्मीद जताई जा रही है। खबर के मुताबिक़ इस अहम् बैठक में पार्टी के सभी विधयक ,सांसद और नेता शामिल होंगे। इस बैठक की अध्यक्षता खुद पार्टी के अध्यक्ष शिंदे करेंगे। कहा जा रहा है कि जिस तरह से उद्धव गुट की तरफ से शिंदे गुट पर लगातरा हमला किया जा रहा है ऐसे में इस कार्यकारिणी की बैठक में कई फैसले लिए जा सकते हैं। इसमें संगठन की मजबूती के साथ ही शिव सैनिको के नेटवर्क को अपने साथ जोड़ने पर भी बात की जा सकती है। कहा जा रहा है कि शिंदे गुट शिव शक्ति अभियान चलकर संगठन को मजबूत करने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना की संपत्ति पर दावे को लेकर कहा कि ‘हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा के उत्तराधिकारी हैं। हमें कोई लालच नहीं है।’ शिंदे ने कहा कि मुझे शिवसेना की संपत्ति और फंड का कोई लालच नहीं है। मैं हमेशा दूसरों को देने वाला इंसान रहा हूं। शिंदे ने उद्धव ठाकरे गुट पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें संपत्ति और धन का लालच था, उन्होंने 2019 में गलत रास्ता ले लिया था। चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह पर फैसला लिया है। नियमों के मुताबिक पार्टी कार्यालय भी शिवसेना का है। रही बात संपत्ति की तो हमें इसका कोई लालच नहीं है।
उद्धव गुट ने अभी तक शिंदे के इस बयान का जवाब नहीं दिया है लेकिन माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र में एक नयी लड़ाई शुरू हो सकती है जिसमे शिवसेना के दोनों गुट आमने सामने होंगे।