बीरेंद्र कुमार झा
46 साल से महाराष्ट्र और देश की राजनीति को प्रभावित करने वाले शरद पवार ने अपनी बनाई पार्टी एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।पवार के इस्तीफे की खबर से बीजेपी विरोधी पार्टी कांग्रेस और शिवसेना (यूटी) सकते में है। पवार महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी के कर्ता-धर्ता थे।
महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में पवार के इस फैसले को सेफ एग्जिट के रूप में देखा जा रहा है। 82 साल के पवार के इस्तीफे के बाद एनसीपी ने नए अध्यक्ष को चुनने के लिए 15 सदस्यों की एक कमेटी बनाई है। शरद पवार के इस्तीफे के बाद अजित पवार के हाथों में एनसीपी की कमान जाना तय माना जा रहा है।
अजित पवार सुप्रिया सुले से 10 साल बड़े हैं और जमीन पर काफी सालों से काम कर रहे हैं। अजित के बागी रवैये ने शरद पवार की मुश्किलें बढ़ा दी थी।ऐसे में शरद पवार इस्तीफे के जरिए सेफ एग्जिट की तलाश में है।
पवार 24 साल तक राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। लोकसभा चुनाव से पहले पवार का इस्तीफा हैरान करने वाला है। ऐसे में आइए जानते हैं, पवार के इस्तीफे के मायने क्या है?
राजनीति से सेफ एग्जिट
पिछले एक पखवाड़े से महाराष्ट्र की सियासत अजित पवार के इर्द-गिर्द घूम रही है। संजय राउत और बाद में एक अंग्रेजी अखबार ने खुलासा किया था कि अजित पवार मुख्यमंत्री बनने के लिए बीजेपी से मिलने की कवायद में लगे हैं।
अजित पवार के साथ इस अभियान में एनसीपी के कई बड़े नेता भी शामिल हैं। इनमें प्रफुल पटेल, छगन भुजबल और धनंजय मुंडे जैसे नेता शामिल हैं। दावा किया गया कि अजित पवार ने 40 से अधिक विधायकों का हस्ताक्षर भी करवा लिया है।
शरद पवार इस बात को बखूबी जानते हैं कि अजित महाराष्ट्र में पार्टी तोड़ सकते हैं।अजित विधायक दल के नेता हैं और विधायकों के बीच उनकी अच्छी पकड़ है।
अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर दो चीजें एक साथ साधने की कोशिश करते दिख रहे हैं शरद पवार
1. एनसीपी टूटने से बच जाएगी
शरद पवार के इस्तीफा देने के बाद अजित पवार ही अध्यक्ष बनेंगे, यह तय माना जा रहा है। वाईबी चौहान मेमोरियल में अजित पवार के भाषण से भी यही लगा।
अजित ने कहा कि शरद पवार का आशीर्वाद हमें मिलता रहेगा, आप लोग उन्हें फिर से कमान संभालने की गुजारिश न करें।अजित ने भाषण में कहा कि एनसीपी पहले की तरह ही चलती रहेगी। अजित ने कहा कि अब नए नेतृत्व को मौका मिलेगा।
अजित पवार सुप्रिया सुले से 10 साल बड़े हैं और जमीन पर काफी सालों से काम कर रहे हैं. सुप्रिया सुले की राजनीति दिल्ली की रही हैं।अजित को अगर एनसीपी की कमान मिलती है तो पार्टी टूटने से बच जाएगी।
अजित पवार खुद नेता रहेंगे और उन पर पार्टी को आगे बढ़ाने का दबाव भी रहेगा।अजित भी पिछले दिनों एनसीपी नहीं छोड़ने की कसम खा चुके हैं।
2. विपक्षी नेताओं के बीच इज्जत भी बचेगी
-शरद पवार की पॉलिटिक्स बीजेपी विरोधी ही रही है।कांग्रेस से अलग होने के बाद भी पवार ने 2004 में सोनिया गांधी को ही समर्थन दिया था। 2019 में भी शरद पवार ने बीजेपी के विरोध में महाविकास अघाड़ी का गठन किया था।
हाल-फिलहाल तक शरद पवार को गैर-बीजेपी गठबंधन का संयोजक नियुक्त करने की मांग भी की जा रही थी।ऐसे में उनके रहते अगर अजित पवार एनसीपी तोड़ बीजेपी के साथ जाते तो उनकी इमेज पर असर पड़ता।
इस्तीफा दे देने की वजह से शरद पवार अब आगे के फैसले से खुद को आसानी से अलग कर पाएंगे। अजित पवार अगर बीजेपी में जाने का फैसला करेंगे भी तो शरद पवार यह कहकर बच जाएंगे कि वे अब अध्यक्ष नहीं हैं।
इस्तीफे के प्वॉइंट्स…
सुप्रिया नहीं बना पाई पकड़, एनसीपी टूट जाती।
एनसीपी बनाने के बाद शरद पवार ने कामों का भी विभाजन उसी वक्त कर दिया था।बेटी सुप्रिया सुले को दिल्ली और भतीजे अजित पवार को महाराष्ट्र में स्थापित कर दिया।2014 के बाद सुप्रिया भी महाराष्ट्र में सक्रिय होने लगी और 2019 में सरकार बनाने में काफी भूमिका निभाई।
शिवसेना में टूट के बाद शरद पवार को एनसीपी की चिंता सता रही थी, जिसकी झलक उनकी पार्टी के नेताओं के बयान से दिख भी रहा था।हालांकि, अटकलें उनकी बेटी को ही कमान मिलने की लग रही थी, लेकिन सुप्रिया की पकड़ न होना राह में रोड़ा बन गया।
एनसीपी के प्रफुल पटेल, छगन भुजबल, राजेश टोपे, सुनील टटकाड़े और धनंजय मुंडे जैसे बड़े नेता अजित पवार के साथ थे।पवार अगर सुप्रिया को कमान सौंपते तो एनसीपी का हाल भी शिवसेना की तरह हो सकती थी।
बागी अजित को इस बार नहीं मना पाए पवार
मुख्यमंत्री बनने के लिए बेताब अजित को शायद इस बार चाचा शरद पवार नहीं मना पाए।2004 में एनसीपी को कांग्रेस से 2 अधिक सीटें मिली थी, इसके बावजूद अजित पवार मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे।उस वक्त भी अजित ने आवाज उठाई थी।
अजित और उनके समर्थक विधायकों का कहना था कि बड़ी पार्टी का सीएम होना चाहिए, लेकिन शरद पवार ने वचन का हवाला देते हुए अजित को मना लिया था।
2019 में भी शिवसेना और एनसीपी के लगभग बराबर विधायक थे, लेकिन अजित को डिप्टी सीएम से ही संतोष करना पड़ा।इतना ही नहीं, कांग्रेस की मांग से अजित पवार नाराज भी हो गए थे।
पिछले दिनों संजय राउत ने दावा किया था कि महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद बीजेपी एकनाथ शिंदे को अलग कर देगी और अजित पवार को समर्थन देने की तैयारी है।खबर लीक होने के बाद अजित पवार ने संजय राउत को खरी-खोटी सुनाई थी।
अजित पवार ने इस वाकये को लेकर एक इंटरव्यू में साफ कहा था कि मैं 100 फीसदी मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं।माना जा रहा है कि अजित के इस महत्वाकांक्षा को शरद पवार इस बार दबा नहीं पाए हैं।
अजित पवार के बीजेपी के साथ जाने की अटकलें
शिवसेना (ठाकरे) के मुखपत्र सामना में संजय राउत ने इसे विस्तार से लिखा है।राउत के मुताबिक बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बचाने के लिए प्लान-बी पर काम कर रही है।इसके तहत अजित पवार को साधा गया है।
शिवसेना के 17 बागियों की सदस्यता रद्द पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है। यह फैसला अगर पक्ष में नहीं आता है तो महाराष्ट्र में सरकार अल्पमत में आ जाएगी और विधानसभा भंग करना पड़ेगा।
ऐसे में महाराष्ट्र में लोकसभा से पहले विधानसभा का चुनाव हो सकता है और बीजेपी यह रिस्क नहीं लेना चाहती है, इसलिए अजित पवार के सहारे सरकार बचाने की कवायद में लगी है।
जब पवार ने इस्तीफा देने की घोषणा की, तब क्या हुआ?
शरद पवार अपने परिवार और करीबी नेताओं के साथ आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती’ का विमोचन करने वाईबी चौहान सेंटर आए थे।इसी दौरान उन्होंने एनसीपी अध्यक्ष पद से हटने की घोषणा कर दी।पवार के इस ऐलान के बाद वहां मौजूद कार्यकर्ता जय महाराष्ट्र, जय पवार के नारे लगाने लगे।
कार्यकर्ताओं की नारेबाजी की वजह से सुप्रिया सुले भी अपनी बात नहीं रख पाई।जयंत पाटिल रोने लगे।कार्यकर्ताओं का कहना था कि पवार कार्यकारी अध्यक्ष का चुनाव कर लें और अध्यक्ष पद पर खुद रहें।हालांकि, अजित पवार कमेटी की बैठक तक कार्यकर्ताओं को इंतजार करने के लिए कहा है।
शरद पवार के इस्तीफे पर किसने क्या कहा
संजय राउत, शिवसेना (ठाकरे)- एक बार बालासाहेब ठाकरे ने भी शिवसेना प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया था।बालासाहेब ने जनता की मांग पर अपना इस्तीफा वापस ले लिया था। देश की राजनीति और सामाजिक मुद्दों की शरद पवार मुखर आवाज बनने के लिए अपना इस्तीफा वापस लेना चाहिए।
जयंत पाटिल, एनसीपी स्टेट चीफ- हम पवार साहब को आगे कर वोट मांगते थे, अब किसके नाम पर वोट मांगेंगे? पवार साहब आप हम सबका इस्तीफा ले लीजिए और नए लोगों को अपने हिसाब से जिम्मेदारी दीजिए। आप पार्टी की कमान संभालिए।
प्रफुल पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री- शरद पवार साहब का इस्तीफा चौंकाने वाला है।हम किताब विमोचन करने आए थे और हमें इसकी उम्मीद नहीं थी। पवार साहब को फिर से विचार करना चाहिए।कार्यकर्ता यह फैसला नहीं मानेंगे।